मध्य प्रदेश में मंत्रियों के आयकर का भुगतान अब राज्य सरकार नहीं करेगी

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रस्ताव दिया है कि मंत्रियों को अपने भत्तों पर आयकर ख़ुद भरना चाहिए, न कि राज्य सरकार को इन करों का भुगतान करना चाहिए. कैबिनेट ने राज्य को इन करों का भुगतान करने की अनुमति देने वाले प्रावधान को समाप्त करने का फैसला किया है.

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इंदौर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अधिकारियों की एक बैठक लेने के दौरान. (फोटो साभार: एक्स)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल ने मंगलवार को फैसला किया कि राज्य के मंत्री अपने वेतन और भत्तों पर आयकर का भुगतान खुद करेंगे. इस तरह 1972 के उस नियम को खत्म कर दिया गया जिसके तहत राज्य सरकार उनके लिए आयकर का भुगतान करती थी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि इस कदम का सुझाव मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कैबिनेट बैठक के दौरान दिया था.

विजयवर्गीय ने कहा, ‘मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव दिया है कि मंत्रियों को अपने भत्तों पर आयकर खुद भरना चाहिए, न कि राज्य सरकार को इन करों का भुगतान करना चाहिए. कैबिनेट ने राज्य को इन करों का भुगतान करने की अनुमति देने वाले प्रावधान को समाप्त करने का फैसला किया है.’

कांग्रेस ने भाजपा सरकार के इस कदम की आलोचना की है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि सरकार को वास्तव में ‘हवाई जहाज खरीदने, सरकारी बंगलों को सजाने और लग्जरी कारें खरीदने’ पर होने वाली फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाना चाहिए.

मध्य प्रदेश मंत्री (वेतन और भत्ते) अधिनियम की धारा 9(के) के अनुसार, ‘किसी भी मंत्री, राज्य मंत्री, उप मंत्री या संसदीय सचिव पर उनको देय सभी भत्तों, बिना किराए के भुगतान के उपलब्ध कराए गए सुसज्जित आवास की सुविधा और इस अधिनियम के तहत उन्हें अनुमेय अन्य सुविधाओं के लिए कोई आयकर नहीं लगाया जाएगा.’

अधिनियम में कहा गया है, ‘आयकर, जैसा लागू हो, राज्य सरकार द्वारा मंत्री, राज्य मंत्री, उप मंत्री या संसदीय सचिव द्वारा देय अधिकतम दर पर देय होगा.’

वित्त विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह कानून यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था कि ‘गरीब पृष्ठभूमि वाले मंत्रियों पर आयकर का बोझ न पड़े.’

अधिकारियों ने कहा कि इस प्रथा के समाप्त होने से ‘राज्य को प्रत्यक्ष वित्तीय बचत’ होगी, जिससे ‘विकास परियोजनाओं और सार्वजनिक सेवाओं के लिए संसाधनों का बेहतर आवंटन’ होगा.

एक अधिकारी ने कहा, ‘मंत्रियों द्वारा अपने करों का भुगतान स्वयं करने से जिम्मेदारी की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है और यह शासन में पारदर्शिता की जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप होता है. इससे राज्य के बजट से अनावश्यक व्यय में भी कमी आएगी, जिससे धन को अन्य आवश्यक सेवाओं और विकास परियोजनाओं में लगाया जा सकेगा. सरकार वर्तमान में वित्तीय बोझ से जूझ रही है.’

ऐसे अन्य राज्य भी हैं जिन्होंने अतीत में मंत्रियों को कर का भुगतान करने से छूट देने वाले प्रावधानों में संशोधन किया है. 2019 में, उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को अपने स्वयं के आयकर का भुगतान करने से छूट देने वाले कानून में संशोधन करने का निर्णय लिया.

हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल ने भी 2022 में कहा था कि सभी मंत्री और विधायक अपना आयकर स्वयं भरेंगे, जो तब तक राज्य सरकार द्वारा चुकाया जा रहा था.