नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब महज़ कुछ महीनों का समय बचा है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के नतीजे से उत्साहित महाविकास अघाड़ी (एमवीए) राज्य विधानसभा चुनाव के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.
रिपोर्ट के मुताबिक, आम चुनाव परिणामों के ठीक बाद महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने अपने एक बयान में कहा था कि प्रदेश के लोकसभा चुनाव में अपने बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस पार्टी एमवीए गठबंधन में ‘बड़े भाई’ की भूमिका में आ गई है.
मालूम हो कि हाल के संसदीय चुनावों में एमवीए द्वारा जीती गई 30 सीटों में से कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 13 सीटें सीटों पर जीत हासिल की थी.
हालांकि, पटोले के इस बयान ने उनकी पार्टी के साथ-साथ गठबंधन के नेताओं को भी नाराज कर दिया था. लेकिन इसके कुछ ही हफ्तों बाद एमवीए गठबंधन की ओर से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए ‘बराबर सीट बंटवारे’ का फॉर्मूला तैयार करने की बात सामने आई, जिसे अक्तूबर या नवंबर में होने वाले चुनाव में आज़माया जाएगा.
पटोले के इस बयान का विरोध पार्टी के बीच भी देखने को मिला था. कांग्रेस कमेटी की राज्य इकाई के प्रभारी रमेश चेन्निथला ने पटोले के बयान को खारिज करते हुए पार्टी को इससे अलग बताया था.
वहीं, कांग्रेस के कई नेताओं का कहना है कि राज्य में बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने का हालिया निर्णय यह संदेश देना था कि समीकरण में कोई भी ‘बड़ा या छोटा’ नहीं है.
गठबंधन के अनुसार, 288 सदस्यीय विधानसभा में एमवीए में शामिल हर पार्टी 96 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इनमें से प्रत्येक व्यक्तिगत दल से राज्य में अपने छोटे सहयोगियों को समायोजित करने की अपेक्षा की जाती है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पटोले ने कहा था कि चूंकि कांग्रेस 13 लोकसभा सांसदों और एक स्वतंत्र सांसद के साथ राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, इसलिए उसे विधानसभा चुनाव में अपने सहयोगियों की तुलना में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का वैध अधिकार है.
हालांकि, पार्टी एमवीए के व्यापक हितों के लिए कुछ सीटों को समायोजित करने के लिए तैयार थी, जैसा कि उन्होंने पहले कहा था.
ज्ञात हो कि एमवीए में शामिल कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस [एनसीपी] (शरद पवार गुट) तीनों पार्टियों ने आम चुनाव में सफलतापूर्वक समन्वय किया था और सभी पार्टियों के वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं ने एमवीए उम्मीदवारों के लिए राज्यव्यापी प्रचार किया था.
पहले पटोले के बयान से नाराज हुए शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने दावा किया था कि भले ही कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने चुनाव में अधिक सीटें हासिल की हों, लेकिन वह उद्धव ठाकरे ही थे जो गठबंधन का चेहरा थे.
गौरतलब है कि एमवीए के सीट-बंटवारे की घोषणा विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले हुई है. ऐसे में इस गठबंधन की ओर से ये संदेश देने की कोशिश हो रही है कि एमवीए मजबूत है और राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगियों का डटकर मुकाबला करने को तैयार है.
दूसरी ओर लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से अभी भी असंतोष की खबरें सामने आ रही हैं.
महायुति, जिसमें भाजपा और उसके दो सहयोगी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल हैं, अभी भी सीट बटंवारे को लेकर मंथन कर रही हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये भी है कि क्या ये पार्टियां आगामी विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ेंगी या अलग हो जाएंगी.