तमिलनाडु विधानसभा ने जातिगत जनगणना के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी

जातिगत जनगणना की मांग हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के दौरान 'इंडिया' गठबंधन द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों में से एक थी. अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने जातिगत जनगणना से जुड़ा एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से सामान्य जनगणना के साथ-साथ देशव्यापी जातिगत जनगणना कराने की भी मांग की है.

एमके स्टालिन. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: तमिलनाडु विधानसभा ने बुधवार (26 जून) को सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा पेश जातिगत जनगणना से जुड़ा एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से सामान्य जनगणना के साथ-साथ देशव्यापी जातिगत जनगणना कराने की मांग की.

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक इस प्रस्ताव में कहा गया है, ‘यह सदन इस बात को स्वीकार करता है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को शिक्षा, अर्थव्यवस्था और रोजगार में समान अधिकार व समान अवसर प्रदान करने के लिए नीतियां बनाने को लेकर जातिगत जनगणना करना बेहद आवश्यक है. इसलिए यह सदन सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से जनगणना का काम तुरंत शुरू करने का आग्रह करता है, जो साल 2021 से लंबित है. इसके साथ ही सदन द्वारा जाति आधारित जनगणना की भी मांग की जाती है.’

मालूम हो कि जाति जनगणना की मांग हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के दौरान ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों में से एक थी.

राज्य स्तर पर जातिगत जनगणना के सवाल पर मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि राज्य सरकारों के पास जाति पर डेटा एकत्र करने और उनके आधार पर कानून का मसौदा तैयार करने की सीमाएं हैं, जिन्हें कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

ज्ञात हो कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के विधायकों ने सत्तारूढ़ द्रमुक से अपने दम पर जाति जनगणना कराने का आग्रह किया था. हालांकि, तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है.

हालांकि, बुधवार को अन्नाद्रमुक के विधायकों को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने को लेकर विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था. इन विधायकों को कल्लाकुरिची त्रासदी का मुद्दा उठाने के लिए इस कार्रवाई का सामना करना पड़ा था, जिसमें  63 लोगों की जान चली गई थी.

विपक्ष के नेता और अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी पलानीस्वामी (ईपीएस) ने सदन से बाहर होने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘यह हमारी अन्नाद्रमुक सरकार थी जिसने जातिगत जनगणना के लिए काम शुरू किया था. लेकिन हमारे बाद आई (द्रविड़ मुनेत्र कषगम) द्रमुक सरकार सिर्फ नाटक कर रही है. राज्य के पास जातिगत जनगणना कराने की शक्ति है.’

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में जातियों, समुदायों और जनजातियों का डेटा एकत्र करने के लिए 2020 में सेवानिवृत्त जस्टिस ए. कुलशेखरन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी. उन्होंने समिति को छह महीने का विस्तार नहीं देने के लिए मई 2021 में सरकार बनाने वाली द्रमुक को दोषी ठहराया.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने  भी सवाल कि स्टालिन का यह बताने का नैतिक दायित्व है कि उन्होंने समिति को विस्तार क्यों नहीं दिया.