नई दिल्ली: बिहार के मधुबनी क्षेत्र में शुक्रवार को एक निर्माणाधीन पुल ढह गया, जो पिछले नौ दिनों में राज्य में इस तरह की पांचवीं घटना है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना मधुबनी जिले के भेजा थाने के मधेपुर प्रखंड में हुई, जहां 75 मीटर लंबा पुल निर्माणाधीन था. 3 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह पुल 2021 से निर्माणाधीन था. इसे बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा बनाया जा रहा था.
रिपोर्ट के अनुसार, जैसे ही जलस्तर बढ़ा 25 मीटर लंबा सहायक खंभा नीचे नदी में गिर गया. घटनास्थल से मिली तस्वीरों में गिरे हुए खंभों को बड़े तिरपाल से ढका हुआ दिखाया गया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी इस घटना के बारे में कुछ नहीं बता रहे हैं, हालांकि ग्रामीण निर्माण विभाग के सूत्रों ने, जिन्हें 75 मीटर लंबे पुल के निर्माण का जिम्मा सौंपा गया था, ने पुष्टि की है कि कुछ दिन पहले एक खंभा बह गया था.
उन्होंने कहा कि यह पुल 3 करोड़ रुपये की लागत से भुतही नदी पर बनाया जा रहा है, जो नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के बाद उफान पर है.
सूत्रों ने बताया कि जिला प्रशासन को मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है, जबकि संबंधित ठेकेदार को जल्द से जल्द पुल की मरम्मत करने का निर्देश दिया गया है.
इसी बीच, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस ताजा घटना पर कटाक्ष किया करते हुए कहा, ‘बधाई हो! बिहार में डबल इंजन सरकार की डबल ताकत से महज 9 दिन में केवल और केवल मात्र 5 पुल ही गिरे है.’
बधाई हो! बिहार में डबल इंजन सरकार की डबल ताकत से महज 𝟗 दिन में केवल और केवल मात्र 𝟓 पुल ही गिरे है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रहनुमाई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 𝟔 दलों वाली डबल इंजनधारी 𝐍𝐃𝐀 सरकार ने बिहारवासियों को 𝟗 दिन में 𝟓 पुल गिरने पर मंगलराज की… pic.twitter.com/Jj8cVPwKlY
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) June 29, 2024
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रहनुमाई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 6 दलों वाली डबल इंजनधारी एनडीए सरकार ने बिहारवासियों को 9 दिन में 5 पुल गिरने पर मंगलराज की कल्याणमय उज्जवल शुभकामनाएं प्रेषित की है. पुलों के गिरने से जनता के स्वाहा हो रहे हजारों करोड़ को स्वघोषित ईमानदार लोग ‘भ्रष्टाचार’ न कहकर ‘शिष्टाचार’ कह रहे है.’
उन्होंने आगे जोड़ा, ‘विपक्षियों को भ्रष्टाचारी का नारंगी प्रमाण पत्र बांटने वाले तथा पक्षकारिता की पत्रकारिता में पृथ्वी और आकाश की सभी रैंकिंग में नंबर-1 विश्व विजेता गोदी मीडिया द्वारा प्रमाणित सत्यवादी एवं अविनाशी नेता इन सुशासनी कारनामों पर मुंह क्यों नहीं खोलते? पुलों द्वारा जलसमाधि लेने पर विपक्षी नेता इस्तीफ़ा दें.’
ज्ञात हो कि इससे पहले किशनगंज जिले में गुरुवार (25 जून) को एक पुल ढह गया था. उससे पूर्व 23 जून को पूर्वी चंपारण जिले में निर्माणाधीन छोटा पुल ढह गया. 22 जून को सीवान में गंडक नहर पर बना पुल ढह गया था. 19 जून को अररिया में निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा ढह गया था. बकरा नदी पर बने इस पुल का निर्माण निजी ठेकेदारों ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 12 करोड़ रुपये की लागत से किया था.
बिहार में हाल के वर्षों में पुल ढहने की अन्य घटनाएं भी देखी गई हैं.
इसी साल 22 मार्च को कोसी नदी पर सुपौल में निर्माणाधीन पुल के तीन स्लैब गिरने से एक मजदूर की मौत हो गई और आठ लोग घायल हो गए. 10.5 किलोमीटर लंबे इस पुल का उद्घाटन 2014 में हुआ था.
इससे पहले जून 2023 में गंगा नदी पर बने अगुआनी-सुल्तानगंज पुल का 200 मीटर हिस्सा ढह गया था, जब इसे सहारा देने वाले तीन खंभे ढह गए थे. ठीक एक साल पहले इसी तरह की एक और घटना इसी पुल पर घटी थी.
इसके तीन हफ्ते बाद 24 जून 2023 को किशनगंज जिले में मेची नदी पर बन रहे एक और पुल का एक हिस्सा ढह गया था. पुल को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा बनाया जा रहा था, जो केंद्र सरकार की भारत माला परियोजना के तहत किशनगंज और कटिहार जिलों को जोड़ने वाली 49 किलोमीटर लंबी चार-लेन सड़क का हिस्सा था.
दिसंबर 2022 में बेगूसराय जिले में बूढ़ी गंडक नदी पर 13 करोड़ रुपये की लागत से बना पुल उद्घाटन से पहले ही ढह गया था. साल 2020 में बिहार के गोपालगंज और पूर्वी चंपारण जिले को जोड़ने वाले एक नवनिर्मित पुल का एक हिस्सा उद्घाटन के करीब एक महीने बाद ही भारी बारिश के बाद ढह गया था. इस पुल का उद्घाटन खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था.