यूपी: अनुप्रिया पटेल ने सरकारी नौकरियों में आरक्षित उम्मीदवारों से पक्षपात का आरोप लगाया

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि साक्षात्कार-आधारित भर्ती प्रक्रिया वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में ओबीसी व एससी/एसटी श्रेणियों के लिए आरक्षित पदों को केवल इन श्रेणियों के उम्मीदवारों से भरना अनिवार्य बनाने के प्रावधान किए जाएं.

अनुप्रिया पटेल. (फोटो साभार: एक्स/@AnupriyaSPatel)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सरकारी नौकरियों में आरक्षित वर्ग की अनदेखी का मामला इस समय सुर्खियों में है. इस मुद्दे को किसी और ने नहीं बल्कि खुद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल अपना दल (एस) की प्रमुख, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उठाया है.

द हिंदू की खबर के अनुसार, अनुप्रिया पटेल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर राज्य में सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों की नियुक्तियों में पक्षपात का आरोप लगाया है.

अनुप्रिया पटेल के इस पत्र को उत्तर प्रदेश में एनडीए के बीच चल रही खींचातान के तौर पर देखा जा रहा है. मालूम हो कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा का यूपी में प्रदर्शन खराब रहा है, जिसे लेकर सहयोगी दलों में असंतोष देखने को मिल रहा है.

शुक्रवार (28 जून) को लिखे अपने पत्र में अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, सैनिक स्कूलों और नीट की प्रवेश परीक्षा में पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षण देने के लिए कदम उठाए हैं, ऐसे में राज्य सरकार उनका उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करें.

अनुप्रिया ने आगे लिखा है, ‘ओबीसी और एससी/एसटी समुदायों के उम्मीदवार मुझसे लगातार संपर्क कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्हें अक्सर राज्य सरकार द्वारा साक्षात्कार-आधारित भर्ती प्रक्रिया वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में उनके लिए आरक्षित पदों के लिए ‘उपयुक्त नहीं’ घोषित कर दिया जाता है और बाद में इन पदों को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है.’

मंत्री ने कहा कि सीएम आदित्यनाथ इस बात से सहमत होंगे कि ओबीसी और एससी/एसटी समुदायों के उम्मीदवार इन परीक्षाओं के लिए न्यूनतम पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं और अपनी योग्यता के आधार पर साक्षात्कार तक पहुंचते हैं. इसलिए यह समझ से परे है कि ओबीसी और एससी/एसटी समुदायों के उम्मीदवारों को बार-बार ‘उपयुक्त नहीं’ क्यों घोषित किया जा रहा है.

अनुप्रिया आगे लिखती हैं कि इन समुदायों के उम्मीदवारों के बीच उत्पन्न होने वाले गुस्से को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने की जरूरत हैं. अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री से इन पदों को भरने के लिए कई दौर के साक्षात्कार आयोजित करने और उन्हें अनारक्षित घोषित न करने का आग्रह किया है.

उन्होंने लिखा है, ‘यह अनुरोध किया जाता है कि साक्षात्कार-आधारित भर्ती प्रक्रिया वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में ओबीसी और एससी/एसटी श्रेणियों के लिए आरक्षित पदों को केवल इन श्रेणियों से आने वाले उम्मीदवारों से भरना अनिवार्य बनाने के लिए आवश्यक प्रावधान किए जाएं, चाहे कितनी भी बार इसके लिए भर्ती प्रक्रिया आयोजित करनी पड़े.’

हालांकि अनुप्रिया पटेल के इस पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारी द हिंदू से कहा, ‘ऐसे समय में जब भाजपा चुनावों में अपनी हार से उबरने की कोशिश कर रही है, तो पार्टी के सहयोगी दल का यह पत्र सत्तारूढ़ पार्टी को और नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि विपक्ष पहले से ही चुनाव के समय पिछड़े वर्गों के मतदाताओं को लगभग आश्वस्त कर चुका है कि अगर भाजपा जीती तो वह संविधान बदल देगी.’

हालांकि, भाजपा में कई लोग अनुप्रिया पटेल के इस पत्र को छोटे दलों द्वारा ‘ताकत दिखाने’ के तरीके रूप में देख रहे हैं, जो ऐसे समय में प्रासंगिक बने रहना चाहते हैं बावजूद इसके कि वे लोकसभा चुनाव में केवल एक सीट ही जीत सके.

गौरतलब है कि राज्य विधानसभा में अपना दल (एस) के पास 13 विधायक हैं.