केरल: सहकारी बैंक घोटाले में ईडी ने सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) पर पैसों के हेरफेर के आरोप लगाए

प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले महीने ही दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाया था. तब ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी मामले में ईडी ने किसी राजनीतिक दल को आरोपी बनाया हो. अब, वह केरल के सत्तारूढ़ दल सीपीआई (एम) को भी आरोपी बनाने की तैयारी में है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार (29 मई) को दावा किया कि केरल की सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) ने करुवन्नूर बैंक में धोखाधड़ी से हासिल पैसों को रखा है. पैसों को करुवन्नूर सर्विस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में पार्टी के पांच खातों में जमा किया गया है. इन पैसों का कुछ हिस्सा अचल संपत्तियों में भी निवेश किया गया है. केंद्रीय एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि सीपीआई (एम) ने बैंक के शासी निकाय के माध्यम से लाभार्थियों से दान के रूप में धन प्राप्त किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, त्रिशूर में सीपीआई (एम) द्वारा नियंत्रित करुवन्नूर सहकारी बैंक में करोड़ों रुपये की हेराफेरी के आरोपों की जांच चल रही है. इस मामले में ईडी सीपीआई (एम) को आरोपी के रूप में सूचीबद्ध करने की तैयारी में है. पिछले महीने जांच एजेंसी ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में आप को आरोपी बनाया था. तब ऐसा पहली बार था जब किसी मामले में ईडी ने किसी राजनीतिक दल को आरोपी के रूप में नामित किया था.

त्रिशूर मामले में यह आरोप लगाया गया है कि बैंक कर्मचारियों द्वारा करीब 300 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है और इस कथित घोटाले में सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) के स्थानीय पदाधिकारी शामिल हैं. इस पूरे प्रकरण से जुड़े 18 मामलों में बैंक की गवर्निंग बॉडी के 11 सदस्य और छह कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है.

ईडी का क्या कहना है?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने पुष्टि की है कि उसने जांच के दौरान सीपीआई (एम) के त्रिशूर जिला सचिव सहित विभिन्न व्यक्तियों और संस्थाओं की 29.29 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया है. एजेंसी ने कहा कि कुर्क की गई संपत्तियों में 28.65 करोड़ रुपये की 18 अचल संपत्तियां शामिल हैं, जिसमें घोटाले के लाभार्थियों से संबंधित केरल में जमीन और भवन शामिल हैं. कुर्क की गई संपत्तियों में त्रिशूर में सीपीआई (एम) समितियों के आठ बैंक खातों में जमा 63.62 लाख रुपये भी शामिल हैं.

ईडी ने बयान में दावा किया कि सीपीआई (एम) त्रिशूर जिला समिति के इशारे पर सहकारी बैंक द्वारा बेनामी और अवैध ऋण स्वीकृत किए गए थे. बदले में पार्टी जिला समिति ने लाभार्थियों से धन एकत्र किया. करुवन्नूर बैंक द्वारा सोसायटी के सदस्यों की जानकारी के बिना एक ही संपत्ति पर कई बार फर्जी ऋण स्वीकृत किए गए थे. पैसे का पता लगाने से बचने के लिए ऋण राशि नकद में वितरित की गई थी. ईडी द्वारा इस मामले में अब तक जब्त की गई कुल अपराध आय 117.78 करोड़ रुपये है. एजेंसी द्वारा नवंबर 2023 में आरोप पत्र दायर किया गया था. जल्द ही एक पूरक आरोपपत्र भी दायर किया जा सकता है, जिसमें सीपीआई (एम) को आरोपी के रूप में सूचीबद्ध करने की संभावना है.

सीपीआई (एम) का क्या कहना है?

अपने मजबूत सहकारी आंदोलन पर गर्व करने वाली केरल की सीपीआई (एम) के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है. पिछले साल ईडी ने कहा था कि बैंक ने कथित तौर पर सीपीआई (एम) विधायक और पूर्व मंत्री एसी मोइदीन के इशारे पर बेनामी ऋण वितरित किए. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2023 में ईडी ने त्रिशूर में मोइदीन के घर पर छापा मारा था.

एलडीएफ शासन के दौरान 2016 से 2021 तक मोइदीन स्थानीय स्वशासन विभाग के मंत्री थे. इससे पहले, उन्होंने त्रिशूर में सीपीआई (एम) जिला सचिव के रूप में कार्य किया था. ईडी ने पार्टी कार्यालय की जमीन और सीपीआई (एम) के विभिन्न बैंक खातों में जमा 60 लाख रुपये की नकदी को भी अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है.

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी इस मामले का कानूनी के साथ-साथ राजनीतिक रूप से भी मुकाबला करेगी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि सीपीआई (एम) को आरोपी के रूप में नामित करके ईडी यह धारणा बनाने की कोशिश कर रही है कि पार्टी की इस मामले में संलिप्तता है.

उन्होंने कहा, ‘सीपीआई (एम) की शैली के अनुसार, पार्टी कार्यालयों के लिए भूमि संबंधित जिला समितियों द्वारा खरीदी जाती है, लेकिन दस्तावेज पार्टी जिला सचिव के नाम पर बनता है.’

केरल पुलिस की जांच से प्रेरणा लेते हुए ईडी ने पिछले साल धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच शुरू की थी. त्रिशूर के पोराथिस्सेरी में स्थित जिस ज़मीन को कुर्क किया गया है, वह पार्टी शाखा समिति कार्यालय के लिए थी. इसे सीपीआई(एम) के जिला सचिव एमएम वर्गीस के नाम पर खरीदा गया था. आरोप है कि ज़मीन खरीदने के लिए काले धन का इस्तेमाल किया गया था.

हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में त्रिशूर निर्वाचन क्षेत्र में इस मुद्दे पर बहस हुई थी, जहां अभिनेता से राजनेता बने सुरेश गोपी ने केरल में भाजपा के लिए पहली जीत हासिल की थी.