नई दिल्ली: कांग्रेस ने शनिवार (29 जून ) को अडानी समूह द्वारा अपने सोलर मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट में सहायता के लिए आठ चीनी कंपनियों का चयन करने संबंधी समाचार का हवाला देते हुए सवाल किया कि क्या करदाताओं के पैसे का लाभ चीनी कंपनियों को मिलना चाहिए.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए ‘भारत को चीन पर निर्भरता से मुक्त करने के लिए’ एक रणनीति बनाने का आह्वान किया. रमेश ने कटाक्ष करते हुए लिखा, ‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने 19 जून, 2020 को गलवान झड़पों के बाद कहा था कि न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है. हालांकि, वह अपने एक ‘टेम्पोवाले’ दोस्त की मदद करने के लिए चीनी श्रमिकों को वीजा जारी करने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाते हैं.’
कांग्रेस नेता ने अडानी सोलर द्वारा चीन से कुछ इंजीनियरों को भारत लाने के लिए केंद्र से मांगी गई अनुमति की खबर को शेयर करते हुए ये बातें लिखी हैं.
उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के आधार पर पीएम मोदी को घेरा है. उक्त रिपोर्ट में लिखा है, ‘ऐसा माना जा रहा है कि अडानी समूह ने सोलर मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट के लिए चीन से करीब 30 इंजीनियरों को लाने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मांगी है. ये इंजीनियर अडानी समूह को सौर उपकरणों की एक मजबूत और स्वदेशी वितरण व्यवस्था बनाने में मदद कर सकते हैं. कंपनी ने अपने प्रस्तुतिकरण में वीजा के लिए आठ विदेशी नागरिकों का उल्लेख किया है. सभी चीन से हैं.’
वहीं, जयराम रमेश ने ‘टेम्पोवाले दोस्त’ का जिक्र मोदी द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर किए गए हमले का जवाब देने के लिए किया है. दरअसल, एक चुनावी रैली में मोदी ने पूछा था कि क्या राहुल गांधी ने गौतम अडानी और मुकेश अंबानी से टेम्पो में भरकर पैसा लेने के बाद उन्हें गाली देना बंद कर दिया है.
जयराम रमेश ने कहा है, ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव पीएलआई स्कीम के तहत करदाताओं के पैसों का बड़ा हिस्सा पाने वाले अडानी समूह ने कथित तौर पर अपने सोलर मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट में मदद के लिए आठ चीनी कंपनियों का चयन किया है और 30 चीनी श्रमिकों के लिए वीजा जारी करने की विशेष अनुमति मांगी है.’
कांग्रेस नेता ने कहा है, ‘ये रियायतें तब दी जा रही हैं, जब चीन पूर्वी लद्दाख में 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करना जारी रखे हुए है और चीन से भारत का आयात 2023-24 में बढ़कर 101 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है, जबकि 2018-19 में यह 70 बिलियन अमरीकी डॉलर था.
रमेश ने तंज कसते हुए कहा कि ये सहयोग आत्मनिर्भरता के नाम पर हो रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘भारत को चीन पर निर्भरता से मुक्त करने के लिए उचित रणनीति बनाने का समय आ गया है, और यह सुनिश्चित करने का समय आ गया है कि करदाताओं के पैसे से चीनी कंपनियों को लाभ न पहुंचे. राष्ट्रीय हित से ज़्यादा अपने दोस्तों को प्राथमिकता देना प्रधानमंत्री का यह स्वभाव हो सकता है, लेकिन इसे राष्ट्रीय नीति नहीं बनने दिया जा सकता है.’