नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा दोनों सदनों में दिए गए भाषणों के कुछ हिस्सों को संसद की कार्यवाही के रिकॉर्ड से हटा दिया गया है, जिसके बाद दोनों ही नेताओं ने इसकी आलोचना में केंद्र पर हमला बोला है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी के पहले भाषण के कई हिस्सों- जिनमें अल्पसंख्यकों, नीट विवाद और अग्निपथ योजना समेत कई मुद्दों पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा गया था- को लोकसभा अध्यक्ष के आदेश पर संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया है. हटाए गए हिस्सों में हिंदुओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा-आरएसएस समेत कई अन्य मुद्दों पर उनकी टिप्पणियां शामिल हैं.
गांधी के लोकसभा भाषण के जिन हिस्सों को हटाया गया है, उनमें भाजपा पर उनके वो आरोप भी शामिल थे जिनमें उन्होंने कहा था कि पार्टी अल्पसंख्यकों के साथ गलत व्यवहार कर रही है और हिंसा को बढ़ावा दे रही है. उद्योगपति अडानी और अंबानी तथा अग्निपथ योजना पर कांग्रेस सांसद की टिप्पणियों के भी कुछ हिस्से हटा दिए गए.
संसद के रिकॉर्ड से पता चलता है कि उनके भाषण के जिन हिस्सों को हटाया गया है, उनमें उनकी वे टिप्पणियां भी शामिल हैं जिनमें उन्होंने भाजपा का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि खुद को हिंदू कहने वाले लोग नफरत, झूठ और हिंसा फैला रहे हैं.
रिकॉर्ड से हटाए गए भाषण के अंश में गांधी ने कहा था, ‘जो लोग खुद को चौबीसों घंटे हिंदू कहते हैं, वे नफरत, हिंसा और असत्य फैलाते हैं. आप हिंदू नहीं हैं. हिंदू धर्म स्पष्ट रूप से कहता है कि आपको सत्य के साथ खड़ा होना चाहिए और सत्य से डरना नहीं चाहिए. अहिंसा हमारा प्रतीक है.’
इन शब्दों के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने खड़े होकर हस्तक्षेप करते हुए कहा था कि गांधी पूरे हिंदू समा को हिंसक कह रहा हैं, यह बहुत गंभीर मामला है.
गांधी ने तब जवाब में कहा था कि मोदी, भाजपा और आरएसएस पूरा हिंदू समुदाय नहीं हैं.
गौरतलब है कि मोदी के हस्तक्षेप को तो बरकरार रखा गया है, लेकिन गांधी के जवाब को हटा दिया गया है.
उनके भाषण में अन्य टिप्पणियां जो हटा दी गई हैं, उनमें वे अंश भी शामिल हैं जिनमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विस्थापित हुए लोगों को उद्घाटन समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया था, अग्निपथ योजना के तहत नौकरी के दौरान जान गंवाने वाले अग्निवीरों को मुआवजा नहीं दिया जा रहा है.
इस संबंध में, मंगलवार को लोकसभा सत्र से पहले पत्रकारों से बात करते हुए गांधी ने कहा, ‘मोदी जी की दुनिया में सच्चाई को मिटाया जा सकता है, लेकिन वास्तविक दुनिया में सच्चाई को मिटाया नहीं जा सकता. जो मुझे कहना था, मैंने कह दिया; वह सच्चाई है. वे जितना चाहें मिटा सकते हैं. सच्चाई सच्चाई होती है.’
#WATCH | On portions of his speech expunged, Lok Sabha LoP Rahul Gandhi says, “In Modi ji’s world, truth can be expunged. But in reality, the truth can’t be expunged. I said what I had to say, that is the truth. They can expunge as much as they want. Truth is truth.” pic.twitter.com/AcR3xRN6d5
— ANI (@ANI) July 2, 2024
गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र
रिपोर्ट के मुताबिक, गांधी ने भाषण के अंश हटाए जाने के संबंध में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को एक पत्र भी लिखा है. अपने पत्र में गांधी ने अनुरोध किया है कि उनके भाषण के हटाए गए अंशों को बहाल किया जाए.
उन्होंने लिखा है, ‘मैं यह कहने के लिए बाध्य हूं कि हटाए गए अंश नियम 380 के दायरे में नहीं आते हैं. मैं सदन में जो बताना चाहता था, वह जमीनी हकीकत है, तथ्यात्मक स्थिति है. सदन का हर सदस्य जो अपने द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले लोगों की सामूहिक आवाज को उठाता है, उसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 105(1) के अनुसार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. सदन में लोगों की चिंताओं को उठाना हर सदस्य का अधिकार है.’
गांधी ने कहा कि उनके भाषण के कुछ अंशों को हटाना ‘संसदीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है.’
बता दें कि सोमवार दोपहर को लोकसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान अपने भाषण में राहुल गांधी ने भाजपा और आरएसएस पर हिंसा और नफरत फैलाने का आरोप लगाया था. उनकी इस टिप्पणी पर सत्ता पक्ष ने विरोध जताया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह तथा राजनाथ सिंह और अन्य के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सदन के अंदर उनकी टिप्पणी पर विरोध भी जताया.
भाजपा नेताओं ने कांग्रेस सांसद पर ‘झूठ बोलने, सदन को गुमराह करने और पूरे हिंदू समुदाय को हिंसक बताने’ का आरोप लगाया. वहीं, कांग्रेस ने भी मोदी सरकार पर जवाबी आरोप लगाए.
राहुल गांधी ने भगवान शिव, पैगंबर मोहम्मद, गुरु नानक, ईसा मसीह, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने उनकी सीखों से निडरता का विचार ग्रहण किया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘पूरे हिंदू समुदाय को हिंसक कहना बहुत गंभीर मामला है. वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी से माफ़ी मांगने की मांग की.
भाजपा ने बाद में राहुल गांधी की टिप्पणी की निंदा करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की, वहीं कांग्रेस ने भी भाजपा की आलोचना करने के लिए शाम को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के आरएसएस के ख़िलाफ़ भाषण के भी कुछ अंश हटाए गए
इंडिया टुडे के मुताबिक, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण के कुछ अंश भी संसद के रिकॉर्ड से हटाए गए हैं.
एक आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार, खरगे के संसदीय भाषण रिकॉर्ड से सत्यनाश, घमंड, मुजरा (भारत में मुगल शासन के दौरान महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य प्रदर्शन) जैसे शब्दों को हटा दिया गया है.
इन शब्दों के अलावा सदन ने खरगे के कुछ और भी बयानों को हटा दिया, जिनमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर समाज को बांटने और गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, खरगे ने सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान पर निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके शासन के पिछले 10 साल सिर्फ ट्रेलर थे और ‘पिक्चर अभी बाकी है’. खरगे ने कहा कि एनडीए के तीसरे कार्यकाल में परीक्षा के पेपर लीक हुए हैं, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले हुए हैं, रेल दुर्घटनाएं, हवाईअड्डे की छत गिरने, पुल ढहने जैसी घटनाएं देखी गई हैं और टोल टैक्स में बढ़ोतरी हुई है.
विपक्ष के नेता ने प्रधानमंत्री की चुनावी भाषणों के लिए भी आलोचना की और सत्तारूढ़ भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस पर भी आरोप लगाए, लेकिन अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने उनकी अधिकांश टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया.
आरएसएस पर खरगे की टिप्पणी को हटाते हुए धनखड़ ने संघ का बचाव भी किया और कहा कि यह राष्ट्र के लिए काम करने वाला संगठन है.
अपने लगभग 90 मिनट के भाषण में, जिसमें सत्ता पक्ष की ओर से कई बार व्यवधान और अध्यक्ष द्वारा हस्तक्षेप भी देखा गया, खरगे ने बार-बार आरएसएस और उससे जुड़ी हस्तियों का जिक्र किया. देश में शिक्षा प्रणाली के बारे में बात करते हुए भी खरगे ने आरएसएस पर कुछ आरोप लगाए.
धनखड़ ने कहा कि टिप्पणियों को हटा दिया गया है क्योंकि राष्ट्रवादी गतिविधियों में लगे संगठन आरएसएस के खिलाफ आरोप लगाना उचित नहीं है.
खरगे ने मणिपुर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी का भी हवाला दिया, लेकिन उसे भी हटा दिया गया.
सदन के नेता और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी खरगे की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता को आरएसएस के बारे में कोई जानकारी नहीं है और खरगे जो कुछ भी संगठन के बारे में कह रहे हैं, वह खेदजनक है.
धनखड़ ने कहा, ‘आप एक ऐसे संगठन की आलोचना कर रहे हैं, जो राष्ट्र के लिए अथक कार्य कर रहा है.’