नई दिल्ली: तमिलनाडु सरकार ने अडानी समूह और अन्य से जुड़े करोड़ों रुपये के कोयला आयात घोटाले की जांच के लिए अपनी मंजूरी दे दी है. सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) ने निविदा शर्तों और कोयले के आयात में गंभीर अनियमितताओं के आरोपों की प्रारंभिक जांच दर्ज की है, जिनसे राज्य सरकार को भारी नुकसान हुआ है.
आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को द हिंदू को बताया, ‘हमें तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन (टैंजेडको) द्वारा कोयले के आयात में आरोपों की जांच करने और प्रारंभिक जांच दर्ज करने के लिए सरकार से मंजूरी मिल गई है.’ उन्होंने बताया, ‘भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17ए के प्रावधानों के तहत यह मंजूरी एक निजी संस्था अरप्पोर इयक्कम द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर दी गई है.’
शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में काम करने वाले संगठन अरप्पोर इयक्कम का आरोप है कि 2012-2016 के बीच टैंजेडको के अधिकारियों, अडानी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और अन्य लोगों की संलिप्तता से कोयले के आयात में 6,066 करोड़ रुपये का भारी भ्रष्टाचार हुआ. 2018 और 2019 में विशिष्ट साक्ष्य के साथ शिकायत दर्ज कराने के बावजूद डीवीएसी द्वारा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया.
31 जनवरी 2023 को, अरप्पोर इयक्कम के संयोजक जयराम वेंकटेशन ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को लिखा कि कोयला आयात घोटाले की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, जिसके कारण टैंजेडको को भारी नुकसान हुआ और वह कर्ज में डूब गया.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘सत्ता संभालने के डेढ़ साल बाद भी आपकी सरकार ने पिछली सरकार के 6,066 करोड़ रुपये के बड़े कोयला आयात घोटाले की जांच के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है, जिसमें से करीब 3,000 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार अकेले अडानी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया गया था.’
वेंकटेशन ने कहा कि उन्होंने अपनी पिछली शिकायतों में इस बात के सबूत पेश किए थे कि कैसे 2011 के बाद टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया ताकि अडानी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और कोयला आयात करने वाली कंपनियों के एक छोटे समूह को फ़ायदा पहुंचाया जा सके. कैग ने भी पाया कि कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के टेंडर मूल्य के आवश्यक टर्नओवर को 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर लगभग 1,000 करोड़ रुपये कर दिया गया.
उन्होंने आरोप लगाया कि अडानी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और कुछ अन्य को प्रति मीट्रिक टन बाजार दर से कम से कम 15 से 20 डॉलर अधिक की दर पर टेंडर दिए गए. इंडोनेशियाई सरकार द्वारा प्रकाशित बाजार मूल्य का प्रमाण आरोप को साबित करने के लिए सबूत था. आयातित कोयले की खराब गुणवत्ता के कारण अकुशल ताप विद्युत उत्पादन हुआ, जिससे और अधिक नुकसान हुआ.
हाल ही में जब राज्य विधानसभा का सत्र चल रहा था, वेंकटेशन ने अध्यक्ष एम. अप्पावु को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि सरकार कोयला आयात घोटाले की जांच के लिए डीवीएसी को मंजूरी देने में देरी कर रही है और उन्होंने विधानसभा में प्रवेश करने और मौन विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी.
सूत्रों ने बताया कि टैंजेडको द्वारा कोयला आयात के आरोपों की जांच के लिए एआईएडीएमके सरकार में एक प्रारंभिक जांच दर्ज की गई थी. लेकिन मामले में आगे बढ़ने के लिए कोई प्रमुख सबूत नहीं मिलने के कारण जांच बंद कर दी गई. उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार द्वारा मामले को फिर से खोलने की मंजूरी दिए जाने के बाद मामले की जांच के लिए पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई थी.