बिहार: मानसून के बीच पुल ढहने का सिलसिला जारी, 24 घंटे में सीवान-सारण में चार पुल गिरे

3 जुलाई को बिहार के दो ज़िलों में चार पुल ढहे हैं, जिनमें तीन पुल सीवान ज़िले के अलग-अलग इलाकों में गिरे, वहीं एक पुल सारण ज़िले में. बीते18 जून से तीन जुलाई के बीच राज्य में नौ पुल गिर चुके हैं.

सीवान में गिरा पुल. (स्क्रीनग्रैब साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: बिहार में मानसून की आहट के साथ ही पुल गिरने का सिलसिला जारी है. बुधवार (3 जुलाई) को बिहार के दो जिलों में चार पुल ढह गए. तीन पुल सीवान जिले के अलग-अलग इलाकों में ढहे. वहीं एक पुल सारण जिले में ध्वस्त हो गया.

नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार सरकार ने घटना की जांच के आदेश देते हुए दोनों जिला प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. चारों घटनाओं में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 जून से तीन जुलाई के बीच बिहार में नौ पुल ढह चुके हैं.

सीवान-सारण में कहां-कहां पुल ढहे?

24 घंटे के भीतर सीवान में तीन पुल ढह गए. बुधवार की सुबह देवरिया प्रखंड में गंडक नदी पर बना एक छोटा पुल ढह गया. यह पुल प्रखंड के कई गांवों को महाराजगंज से जोड़ता था.

उप विकास आयुक्त मुकेश कुमार ने बताया कि घटना के वास्तविक कारणों की जांच की जा रही है. उन्होंने कहा, ‘देवरिया ब्लॉक में एक पुल का एक हिस्सा आज सुबह ढह गया. अभी तक सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है. …घटना सुबह करीब 5 बजे हुई. शुरुआती जानकारी के अनुसार पुल का निर्माण 1982-83 में हुआ था. पिछले कुछ दिनों से पुल पर मरम्मत का काम चल रहा था.’

ग्रामीणों का कहना है कि गंडक नदी में आए उफान से पुल की संरचना कमजोर हो गई होगी, पिछले दिनों भारी बारिश भी हुई थी, इसी कारण पुल ढह गया होगा.

देवरिया प्रखंड के अलावा नौतन सिकंदरपुर में 2004 में धमही नदी पर 10 लाख रुपये से बना एक और पुल ढह गया. सीवान में तीसरा पुल तेघड़ा इलाके में ढहा.

चौथी घटना में सारण के दमदासपुर में 150 साल पुराने पुल का एक हिस्सा ढह गया.

तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश और पीएम मोदी पर साधा निशाना

इस बीच जल संसाधन विभाग ने मुख्य अभियंताओं को उत्तर बिहार की नदियों के जलस्तर पर निगरानी रखने का निर्देश दिया है, जहां नेपाल में लगातार हो रही बारिश के कारण पानी का अतिरिक्त बहाव हो रहा है.

वहीं, राज्य की जदयू-भाजपा सरकार और केंद्र की एनडीए गठबंधन पर निशाना साधते हुए राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने एक एक्स पोस्ट में कहा, ‘देखिए, कैसे आज 3 जुलाई को बिहार में एक ही दिन में 4 पुल गिरे? मुख्यमंत्री मौन, 2-2 उपमुख्यमंत्री गौण 18 वर्षों की एनडीए सरकार बताए दोषी कौन?’

हालांकि, जदयू के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है, ‘राज्य ने सच्चाई का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए हैं. पुल के ढहने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें बारिश और नेपाल की नदियों से पानी का अत्यधिक प्रवाह शामिल है’

चार जुलाई की सुबह तेजस्वी ने एक अन्य एक्स पोस्ट में लिखा, ‘4 जुलाई को बिहार में एक पुल और गिरा. 3 जुलाई को ही अकेले 5 पुल गिरे 18जून से लेकर अभी तक 12 पुल ध्वस्त हो चुके है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन उपलब्धियों पर एकदम खामोश एवं निरुत्तर है. सोच रहे है कि इस मंगलकारी भ्रष्टाचार को जंगलराज में कैसे परिवर्तित करें? सदैव भ्रष्टाचार, नैतिकता, सुशासन, जंगलराज, गुड गवर्नेंस इत्यादि पर राग आलाप दूसरों में गुण दोष के खोजकर्ता, कथित उच्च समझ के उच्च कार्यकर्ता, उन्नत कोटि के उत्कृष्ट पत्रकार सह पक्षकार तथा उत्तम विचार के श्रेष्ठ लोग अंतरात्मा का गला घोंट इन सुशासनी कुकृत्यों पर चुप्पी की चादर ओढ़ सदाचारी बन चुके है.’

लगातार गिर रहे हैं पुल

ज्ञात हो कि इससे पहले किशनगंज जिले में रविवार (30 जून) को पुल ढहने का मामला सामने आया, जिससे आसपास के गांवों में रहने वाले लगभग 60,000 लोगों का संपर्क प्रभावित हो गया.

28 जून को मधुबनी जिले में भुतही बलान नदी पर बना एक निर्माणाधीन पुल ढह गया था. वहीं, 27 जून को किशनगंज जिले में मदिया नदी पर एक 70 मीटर लंबा पुल के टूटने की खबर सामने आई थी.

इससे कुछ दिन पहले ही किशनगंज जिले में गुरुवार (25 जून) को एक पुल ढह गया था. उससे पूर्व 23 जून को पूर्वी चंपारण जिले में निर्माणाधीन छोटा पुल ढह गया. 22 जून को सीवान में गंडक नहर पर बना पुल ढह गया था. महाराजगंज और दरौंदा प्रखंड को जोड़ने वाली ये पुलिया 34 साल पुरानी थी.

22 जून की ही रात को पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन प्रखंड के अमवा में एक निर्माणाधीन पुल गिर गया था. ये पुल अमवा से चैनपुर स्टेशन जाने वाली सड़क पर बन रहा था.  शाम को इस पुल के ऊपरी भाग की ढलाई हुई थी और रात होते होते ये भरभराकर गिर पड़ा था.

19 जून को अररिया में निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा ढह गया था. बकरा नदी पर बने इस पुल का निर्माण निजी ठेकेदारों ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 12 करोड़ रुपये की लागत से किया था.

वहीं, 18 जून को सबसे पहले अररिया ज़िले में सिकटी प्रखंड में  बने एक निर्माणाधीन पुल गिरने की खबर सामने आई थी. यह पुल अररिया के ही दो ब्लॉक सिकटी और कुर्साकांटा को जोड़ने के लिए बन रहा था.

बीते कई बरसों से जारी है पुल ढहने का सिलसिला

बिहार में हाल के वर्षों में पुल ढहने की अन्य घटनाएं भी देखी गई हैं.

इसी साल 22 मार्च को कोसी नदी पर सुपौल में निर्माणाधीन पुल के तीन स्लैब गिरने से एक मजदूर की मौत हो गई और आठ लोग घायल हो गए. 10.5 किलोमीटर लंबे इस पुल का उद्घाटन 2014 में हुआ था.

इससे पहले जून 2023 में गंगा नदी पर बने अगुआनी-सुल्तानगंज पुल का 200 मीटर हिस्सा ढह गया था, जब इसे सहारा देने वाले तीन खंभे ढह गए थे. ठीक एक साल पहले इसी तरह की एक और घटना इसी पुल पर घटी थी.

इसके तीन हफ्ते बाद 24 जून 2023 को किशनगंज जिले में मेची नदी पर बन रहे एक और पुल का एक हिस्सा ढह गया था. पुल को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा बनाया जा रहा था, जो केंद्र सरकार की भारत माला परियोजना के तहत किशनगंज और कटिहार जिलों को जोड़ने वाली 49 किलोमीटर लंबी चार-लेन सड़क का हिस्सा था.

दिसंबर 2022 में बेगूसराय जिले में बूढ़ी गंडक नदी पर 13 करोड़ रुपये की लागत से बना पुल उद्घाटन से पहले ही ढह गया था. साल 2020 में बिहार के गोपालगंज और पूर्वी चंपारण जिले को जोड़ने वाले एक नवनिर्मित पुल का एक हिस्सा उद्घाटन के करीब एक महीने बाद ही भारी बारिश के बाद ढह गया था. इस पुल का उद्घाटन खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था.