नई दिल्ली: तेलंगाना में पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को बड़ा झटका देते हुए पार्टी के छह विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. सभी ने गुरुवार (4 जुलाई) को मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की मौजदूगी में कांग्रेस की सदस्यता ली.
द हिंदू की खबर के मुताबिक, आधी रात को हुए इस घटनाक्रम के पीछे की वजह ये थी कि एमएलसी अमावस्या से पहले कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे, जो आज शुक्रवार (5 जुलाई ) को है. वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री दिल्ली से देर रात तेलंगाना लौटे, जिसके चलते सदस्यता ग्रहण करने का कार्यक्रम देर से हुआ.
कांग्रेस में शामिल होने वाले पार्षदों में दांडे विट्ठल, भानु प्रसाद राव, एमएस प्रभाकर, बोग्गापारू दयानंद, एग्गे मल्लेश और बसव राजू सरैया के नाम शामिल हैं. नए एमएलसी के साथ ही अब 40 सदस्यीय विधान परिषद में कांग्रेस की संंख्या बढ़कर 12 हो गई है, जबकि बीआरएस अब 21 पर सिमट गई है. उच्च सदन में कांग्रेस के पहले छह सदस्य थे.
बीआरएस छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले सभी एमएलसी विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं. दांडे विट्ठल आदिलाबाद स्थानीय निकाय से चुने गए हैं. करीमनगर का प्रतिनिधित्व भानु प्रसाद करते हैं, वहीं रंगा रेड्डी स्थानीय निकाय से एमएस प्रभाकर हैं, जबकि विधायक कोटे से येग्गे मल्लेश और राज्यपाल कोटे से बोग्गापारू दयानंद और बसव राजू सरैया हैं.
इस पूरे घटनाक्रम की दिलचस्प बात ये है कि बीआरएस छोड़ कांग्रेस में आने वाले अधिकतर एमएलसी मूल रूप से कांग्रेसी हैं, लेकिन जब बीआरएस सत्ता में थी तो उन्होंने पार्टी बदल ली थी. इनके अलावा, बीआरएस के दो और एमएलसी – कुचुकुल्ला दामोदर रेड्डी और पटनम महेंद्र रेड्डी – कुछ समय से कांग्रेस के संपर्क में हैं. महेंद्र रेड्डी बीआरएस के दूसरे कार्यकाल में मंत्री भी थे.
हालांकि, ऐसी भी अफवाहें थीं कि विधान परिषद के अध्यक्ष गुथा सुखेंदर रेड्डी भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं क्योंकि वह काफी समय से बीआरएस के आलोचक रहे हैं.
ज्ञात हो कि सुखेंदर रेड्डी के बेटे अमित रेड्डी आम चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उन्हें बीआरएस ने लोकसभा का टिकट देने से इंकार कर दिया था. वहीं, सुखेंदर रेड्डी का भी कांग्रेसी इतिहास रहा है, जिसके बाद वो बीआरएस में शामिल हो गए थे. उनका सांसद का कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें बीआरएस एमएलसी के रूप में चुना गया और फिर परिषद का अध्यक्ष बनाया गया था.
गौरतलब है कि दलबदल का ये ताजा मामला बीआरएस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य के. केशव राव के पार्टी छोड़ने के एक दिन बाद सामने आया है. केशव राव कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
केशव राव ने बाद में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मुलाकात कर सांसद पद से भी अपना इस्तीफा दे दिया था. पिछले कुछ महीनों में छह बीआरएस विधायक पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं.