जम्मू-कश्मीर: एलजी के ‘निजी समारोह’ के लिए प्रशासन द्वारा भुगतान किए जाने को लेकर आक्रोश

जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा के कार्यालय ने साल 2021 में केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को दिल्ली में आयोजित एक 'निजी समारोह' के लिए धन मुहैया कराने का 'निर्देश' दिया था. बताया गया है कि यह समारोह एलजी के बेटे की सगाई से जुड़ा था.

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जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा के कार्यालय ने साल 2021 में केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को लुटियंस दिल्ली में आयोजित एक ‘निजी समारोह’ के लिए धन मुहैया कराने का ‘निर्देश’ दिया था.

रिपोर्ट बताती हैं कि द वायर को मिली जानकारी के अनुसार, उक्त समारोह सिन्हा के बेटे की सगाई समारोह की पूर्व संध्या पर दिल्ली में आयोजित किया गया था. इसके दो महीने बाद जब सिन्हा के कार्यालय ने बिल का भुगतान नहीं किया, तो नई दिल्ली में जम्मू-कश्मीर के अतिरिक्त रेजिडेंट कमिश्नर नीरज कुमार ने राष्ट्रीय राजधानी में 7, अकबर रोड स्थित बंगले में समारोह की व्यवस्था करने में खर्च किए गए 10 लाख रुपये से अधिक का भुगतान न करने के ‘मसले को सुलझाने’ के लिए राजभवन को एक पत्र भेजा था.

अब कुमार ने द वायर से कहा कि सिन्हा ने बाद में भुगतान कर दिया था. उन्होंने जोड़ा, ‘यह एक आंतरिक मामला है जिसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. यह एलजी साहब को बदनाम करने की कोशिश है. मेरे पास इससे अधिक कहने के लिए और कुछ नहीं है.’

द वायर ने राजभवन और आईएएस अधिकारी नीतीश्वर कुमार, एलजी कार्यालय में तत्कालीन प्रमुख सचिव, जिन्हें पत्र संबोधित किया गया था, से टिप्पणी के लिए संपर्क किया है. उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर खबर को अपडेट किया जाएगा.

सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप

कानूनी विशेषज्ञों और राजनीतिज्ञों का तर्क है कि एलजी के कार्यालय से भुगतान के लिए दिया गया निर्देश ‘संवैधानिक अनियमितता’ और ‘सार्वजनिक धन के दुरुपयोग’ का उदाहरण है.

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक परमार ने मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग की है, जबकि जम्मू-कश्मीर कांग्रेस ने एलजी से मामले पर सफाई देने को कहा है.

इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि राजभवन ने एलजी की ‘सुविधा के लिए लगातार सरकारी धन का इस्तेमाल’ किया है.

उमर ने द वायर से कहा, ‘चाहे उनके लिए खरीदी गई गाड़ियां हों, उनके लिए किराए पर लिए गए निजी जेट, या उनके ‘मेहमानों’ के लिए खर्च किए गए करोड़ों, वे (एलजी) जम्मू-कश्मीर को अपनी जागीर समझते हैं, जो इस बात से साफ़ भी होता है कि कैसे ट्रैफिक को 25-30 मिनट तक रोक दिया जाता है ताकि महामहिम बिना किसी रुकावट के यात्रा कर सकें.’

वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व कानून सचिव अशरफ मीर ने आरोप लगाया है कि यह केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख द्वारा ‘सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला’ है.

मीर ने द वायर से कहा, ‘चूंकि जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए भारत सरकार के समेकित कोष से जो भी धन निकाला जाता है, उसे संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए और राज्य कल्याण या सार्वजनिक हित के कामों पर खर्च किया जाना चाहिए. कोई व्यक्तिगत काम इनमें से किसी के दायरे में नहीं आता है.’

वरिष्ठ अधिवक्ता नजीर अहमद रोंगा कहते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख द्वारा इस तरह के खर्च की कानून के तहत अनुमति नहीं है.

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके रोंगा ने जोड़ा, ‘केवल व्यवस्था को बेहतर बनाने से संबंधित कामों की ही अनुमति है. फिर भी, इन मामलों पर पहले चर्चा की जाती है और इस बारे में फैसला लिया जाता है कि कोई विशेष विभाग इस तरह के खर्च कर सकता है या नहीं. फाइनेंशियल कोड में व्यक्तिगत कामों की फंडिंग की बात नहीं है.’

जून 2021 में हुआ था समारोह

यह मामला 2021 का है, जब एलजी सिन्हा के बेटे अभिनव सिन्हा की शादी हुई थी.

ख़बरों के मुताबिक, सिन्हा 24 जून, 2021 को हुए विवाह समारोह में शामिल नहीं हो सके थे क्योंकि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल होना चाहते थे. यह बैठक जम्मू-कश्मीर के विभाजन और केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील होने के बाद पहली बैठक थी.

हालांकि, उसी साल फरवरी में अभिनव सिन्हा की शादी से जुड़ा एक समारोह लुटियंस दिल्ली के 7, अकबर रोड पर आयोजित किया गया था. यह टाइप VIII बंगला है, जो आम तौर पर लोकसभा स्पीकर और कैबिनेट मंत्रियों सहित हाई-प्रोफाइल सरकारी अधिकारियों को आवंटित किया जाता है.

जब जम्मू-कश्मीर एक राज्य था तब वहां की सरकार के स्वामित्व वाला 7, अकबर रोड, दिल्ली में सूबे के मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास हुआ करता था. केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के फैसले के बाद यह राष्ट्रीय राजधानी में जम्मू-कश्मीर एलजी का पता बन गया.

कुछ ख़बरें बताती हैं कि फ़रवरी 2021 में हुआ समारोह सिन्हा के बेटे की सगाई से जुड़ा हुआ था, हालांकि, द वायर इसकी पुष्टि नहीं कर सका है.

भुगतान के लिए राजभवन भेजा गया था पत्र

इस समारोह के बाद 6 अप्रैल, 2021 को एलजी के तत्कालीन प्रधान सचिव नीतीश्वर कुमार को लिखे एक आधिकारिक पत्र, जिसकी प्रति द वायर के पास है, में नई दिल्ली में जम्मू-कश्मीर के रेजिडेंट कमिश्नर ने कहा कि एलजी सिन्हा के कार्यालय के ‘निर्देश’ पर 2 फरवरी, 2021 को 7, अकबर रोड पर ‘120 लोगों के लिए दोपहर और रात के भोजन और सजावट’ की व्यवस्था की गई थी.

पत्र में कहा गया है, ‘इस कार्यालय द्वारा कुल 10,71,605/- (दस लाख इकहत्तर हजार छह सौ पांच रुपये) का भुगतान किया गया था. इस समारोह के व्यक्तिगत आयोजन होने के चलते अनुरोध है कि कृपया इस मुद्दे को सुलझाने के लिए उक्त राशि को राजकोष में जमा करने की व्यवस्था करें.’

नियमों के तहत, किसी उपराज्यपाल का वेतन और सुविधाएं भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी, राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों और सेना के उप-प्रमुख के बराबर होता है, जो सभी केंद्रीय वेतन मैट्रिक्स के स्तर 17 में आते हैं.

आधिकारिक नियमों के अनुसार, एक राज्यपाल को ‘कला, संस्कृति और संगीत के संरक्षण के लिए मनोरंजन भत्ता’, ‘आधिकारिक अतिथियों के आतिथ्य व्यय को पूरा करने के लिए आतिथ्य अनुदान’, टेलीफोन शुल्क, सेवा डाक, पुस्तकों और पत्रिकाओं, स्टेशनरी और मुद्रण और अन्य ‘विविध’ व्ययों का भुगतान करने के लिए ‘कार्यालय व्यय भत्ता’ मिलता है.

पूर्व विधि सचिव अशरफ मीर बताते हैं कि आतिथ्य और प्रोटोकॉल के तहत कुछ धनराशि राज्य प्रमुखों के पास रखी जाती है, जिसका इस्तेमाल वे राज्य के हितों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सेमिनार, सम्मेलन और अन्य कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कर सकते हैं.

मीर ने कहा, ‘जो कुछ भी हुआ, वह कानूनन अस्वीकार्य है. यह एक खुला उल्लंघन है और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का मामला है.’ उन्होंने आगे कहा कि राज्य प्रमुख द्वारा समेकित निधि से खर्च किए गए धन के लिए विधायी मंजूरी लेनी होती है.