नई दिल्ली: गुजरात के एक गांव के ग्रामीणों की 13 वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद गुजरात सरकार ने अडानी समूह को सौंपी गई लगभग 108 हेक्टेयर चरागाह (गौचर) की जमीन गांववालों वापस देने का निर्णय किया है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने शुक्रवार (5 जुलाई) को गुजरात उच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह 2005 में कच्छ जिले में मुंद्रा बंदरगाह के पास अडानी पोर्ट्स और सेज़ लिमिटेड को दी गई उक्त भूमि वापस ले लेगा.
बताया गया है कि राज्य के राजस्व विभाग ने साल 2005 में 231 एकड़ चरागाह भूमि इस कारोबारी समूह को आवंटित की थी. नवीनल गांव के निवासियों को इसके बारे में साल 2010 में तब पता चला जब अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (एपीसेज़) ने गौचर भूमि पर बाड़ लगाना शुरू किया. ग्रामीणों के अनुसार इसके बाद उनके पास केवल 45 एकड़ चरागाह भूमि बची थी.
इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें ग्रामीणों ने तर्क दिया था कि भूमि का हस्तांतरण अवैध था क्योंकि गांव में पहले से ही चरागाह भूमि की कमी थी, साथ ही एपीसेज़ को आवंटित चरागाह भूमि एक सामुदायिक संसाधन था.
साल 2014 में राज्य सरकार के यह कहने कि डिप्टी कलेक्टर ने चरागाह के लिए अतिरिक्त 387 हेक्टेयर सरकारी भूमि ग्रामीणों को देने का आदेश पारित किया है, अदालत ने ग्रामीणों की याचिका को खारिज कर दिया.
लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ और उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की गई. साल 2015 में राज्य सरकार द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका में कहा गया कि पंचायत को आवंटित करने के लिए केवल 17 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध थी.
राज्य सरकार ने शेष भूमि लगभग 7 किलोमीटर दूर आवंटित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे ग्रामीणों ने यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि पशुओं के लिए यह संभव नहीं है कि वे चरने के लिए इतनी लंबी दूरी तय करें.
अप्रैल 2024 में मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और जस्टिस प्रणव त्रिवेदी की पीठ ने राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को समाधान निकालने का निर्देश दिया. इसके बाद 5 जुलाई को पीठ को सूचित किया कि सरकार ने एपीसेज़ को आवंटित लगभग 108 हेक्टेयर (266 एकड़) गौचर भूमि वापस लेने का फैसला लिया है.
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि वह 129 हेक्टेयर भूमि को गौचर के रूप में फिर से स्थापित करेगा और इसे गांव को वापस दे देगा. इसके लिए वह कुछ सरकारी भूमि का उपयोग करेगा और 108 हेक्टेयर भूमि को अडानी समूह से वापस ले लिया जाएगा.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस प्रस्ताव को लागू करने का निर्देश दिया है और मामले को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है.