नई दिल्ली: हाथरस में एक सत्संग के दौरान मची भगदड़ की जांच ने राजनीतिक मोड़ ले लिया है. उत्तर प्रदेश पुलिस स्वयंभू बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के लिए आयोजित सत्संग के मुख्य आयोजक और कुछ राजनीतिक दलों के बीच वित्तीय संबंधों की जांच कर रही है.
पुलिस ने 2 जुलाई के कार्यक्रम के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर को शुक्रवार देर रात दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया. उन पर एक लाख रुपये का ईनाम घोषित किया गया था. इस बीच मधुकर के वकील एपी सिंह ने दावा किया कि मधुकर ने राष्ट्रीय राजधानी के एक अस्पताल में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जहां वह दिल से जुड़ी बीमारी का इलाज करा रहे थे. पुलिस ने हाथरस के सिकंदराराऊ से दो और लोगों को गिरफ्तार किया, जिससे मामले में गिरफ्तारियों की कुल संख्या नौ हो गई, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं.
पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या स्वयंभू बाबा के संगठन या उस कार्यक्रम के आयोजकों को किसी राजनीतिक दल से धन प्राप्त हुआ था. बता दें कि उस जानलेवा भगदड़ में 123 लोगों की जान चली गई थी.
मधुकर भगदड़ से जुड़े आपराधिक मामले में नामजद एकमात्र व्यक्ति हैं. उन पर गैर इरादतन हत्या समेत कई आरोप हैं. वह 2010 से एटा में मनरेगा में बतौर जूनियर इंजीनियर अनुबंध पर काम करते रहे थे और पिछले कई सालों से हरि के साथ सक्रिय हैं. पुलिस के मुताबिक, मधुकर कथित तौर पर हरि के सत्संग कार्यक्रमों का मुख्य आयोजक था और उनके लिए धन जुटाने वाला भी था.
हाथरस के पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि कुछ समय पहले कुछ राजनीतिक दलों ने मधुकर से संपर्क किया था. अग्रवाल ने हाथरस में मीडिया से बातचीत में कहा, ‘फंड एकत्र करने की गहन जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनके किसी आयोजन को किसी राजनीतिक दल द्वारा फंड किया गया था या नहीं. अब तक की पूछताछ के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि कोई राजनीतिक दल अपने राजनीतिक और व्यक्तिगत कारणों से उनके साथ जुड़ा हुआ था.’
अधिकारी ने बताया कि मधुकर से जुड़े बैंक खातों, चल-अचल संपत्तियों और प्राप्त धन की कड़ियों (मनी ट्रेल्स) की जांच की जा रही है, और जरूरत पड़ने पर अन्य जांच एजेंसियों से भी मदद ली जाएगी. उन्होंने कहा, ‘हम उन सभी राजनीतिक दलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे जो अपने निजी या राजनीतिक कारणों से उनसे जुड़े हैं.’
घटना की न्यायिक जांच शुरू कर दी गई है. हालांकि, पुलिस का दावा है कि कार्यक्रम के आयोजकों के कुप्रबंधन के कारण भगदड़ मची.
अग्रवाल ने कहा कि कार्यक्रम के आयोजकों ने सत्संग के प्रबंधन और सुरक्षा को देखने के लिए अपने स्वयं के स्वयंसेवकों या सेवादारों को ‘कमांडो’ की वर्दी में तैनात किया था. अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने प्रशासन के किसी भी सदस्य को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी और कार्यक्रम के लिए निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया.
अधिकारी ने बताया कि उन्होंने कार्यक्रम की कोई फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी भी नहीं होने दी. पुलिस को मधुकर से मिली जानकारी के अनुसार, सत्संग के बाद हरि के वाहन को भीड़ के बीच से बाहर निकलने दिया गया. पुलिस ने आयोजकों पर कार्यक्रम स्थल से भागने और भगदड़ मचने के बाद स्थिति को संभालने का कोई प्रयास न करने का भी आरोप लगाया है.
पुलिस ने अभी तक यह नहीं बताया है कि मधुकर किस राजनीतिक दल के संपर्क में था. हालांकि, अब तक मिली जानकारी के अनुसार, ऐसा लगता है कि पुलिस मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर इशारा कर रही है, क्योंकि यह पता चला है कि 3 जनवरी 2023 को इटावा में हरि द्वारा आयोजित एक ऐसे ही कार्यक्रम में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव शामिल हुए थे और उन्होंने भीड़ को संबोधित करते हुए हरि की प्रशंसा भी की थी.
बता दें कि हरि का जन्म एटा के एक दलित परिवार में हुआ था और उनका मूल नाम सूरज पाल है. वह करीब ढाई दशक पहले यूपी पुलिस में हेड कांस्टेबल भी थे. उनका नाम एफआईआर में नहीं है. पुलिस ने अभी तक उनसे पूछताछ भी नहीं की है. समाचार एजेंसी एएनआई के माध्यम से जारी एक वीडियो बयान में हरि ने कहा है कि वह भगदड़ से बहुत दुखी हैं और उन्होंने लोगों से सरकार और प्रशासन पर ‘भरोसा बनाए रखने’ के लिए भी कहा.
उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि जिस किसी ने भी अराजकता फैलाई है, उसे बख्शा नहीं जाएगा.’
यूपी सरकार ने अब तक इस संभावना को बढ़ावा दिया है कि भगदड़ एक ‘साजिश’ या जानबूझकर की गई आपराधिक घटना हो सकती है. ये इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीके श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली न्यायिक जांच समिति के लिए निर्धारित जांच की शर्तें भी हैं. मधुकर के अलावा, पुलिस ने इस घटना से जुड़े दो और लोगों राम प्रसाद शाक्य और संजू यादव को भी गिरफ्तार किया है. 4 जुलाई को छह लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है.
गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक रामलड़ैत यादव के बेटे अंकित यादव ने आरोप लगाया कि उनके पिता को झूठा फंसाया गया है और भगदड़ से उसका कोई लेना-देना नहीं है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लिखे पत्र में अंकित यादव ने कहा है कि उनके पिता कार्यक्रम में बतौर सफाईकर्मी तैनात थे. कार्यक्रम वाले दिन उन्हें कार्यक्रम स्थल से 2 किलोमीटर दूर पार्किंग स्थल पर काम दिया गया था.
राजनीतिक खींचतान
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश कर रही है और मामूली गिरफ्तारियां करके मौतों की जिम्मेदारी से बचना चाहती है. यादव ने कहा, ‘ऐसी घटनाओं में प्रशासनिक विफलता से किसी ने कोई सबक नहीं सीखा है और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी. प्रशासन किसी खास मकसद से मूल स्थल से दूर रहने वाले लोगों को बेवजह गिरफ्तार कर रहा है और गिरफ्तारी के बाद उन्हें दोषी ठहराने की तैयारी कर रहा है. ये गिरफ्तारियां अपने आप में एक साजिश है.’ अखिलेश ने इन गिरफ्तारियों की न्यायिक जांच की मांग की है.
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती का भी इस विवाद पर बयान आया है. एक दिन पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाथरस का दौरा किया और उन परिवारों से मुलाकात की जिन्होंने इस त्रासदी में अपने प्रियजनों को खो दिया.
मायावती ने हरि और अन्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा, ‘सरकार को अपने राजनीतिक हितों के लिए ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए ताकि और लोगों की जान न जाए.’
मायावती ने गरीबों, दलितों और अन्य उत्पीड़ित लोगों को चेतावनी दी कि वे अपनी गरीबी और अन्य समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भोले बाबा जैसे बाबाओं के अंधविश्वास और पाखंड से गुमराह न हों. इसके बजाय उन्हें बीआर अंबेडकर के मार्ग पर चलना चाहिए और सत्ता अपने हाथों में लेकर अपनी किस्मत खुद बदलनी चाहिए.
चूंकि इस घटना में मरने वाले और हरि के अनुयायी ज़्यादातर हाशिए पर पड़े हिंदू समुदायों (ख़ास तौर पर जाटव) से आते हैं, इसलिए राजनीतिक दल सावधानी से कदम उठा रहे हैं. विपक्ष ने मुख्य रूप से आदित्यनाथ सरकार प्रशासन को सत्संग में भीड़ न संभाल पाने को लेकर दोषी ठहराया है. राहुल गांधी ने हाथरस में संवाददाताओं से कहा, ‘मैं राजनीतिक बयानबाजी नहीं करना चाहता, लेकिन प्रशासन की ओर से कुछ चूक हुई हैं. गलतियां हुई हैं.’
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