नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से सोमवार (8 जुलाई) को संदेशखली मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका लगा है. अदालत ने महिलाओं के खिलाफ अपराध, राशन घोटाले और भूमि हड़पने के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार किसी व्यक्ति विशेष को बचाने की कोशिश क्यों कर रही है. इसके बाद मामला खारिज कर दिया गया.
मालूम हो कि इससे पहले 10 अप्रैल के अपने आदेश में कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली में महिलाओं के यौन शोषण-जमीन हथियाने और राशन घोटाले से जुड़े मामलों में ‘निष्पक्ष जांच’ की जरूरत बताते हुए इसकी जांच सीबीआई द्वारा कराने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एजेंसी को एक ‘समर्पित पोर्टल’ बनाने का भी निर्देश दिया था, जहां गोपनीयता सुनिश्चित करने और पीड़ितों और गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए शिकायतें दर्ज की जा सकें.
इस मामले के संबंध में 29 अप्रैल को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार से पूछा था कि राज्य को कुछ निजी व्यक्तियों के ‘हितों की रक्षा’ के लिए याचिकाकर्ता के रूप में क्यों आना चाहिए, जिस पर बंगाल के वकील ने तर्क दिया था कि हाईकोर्ट के फैसले में बंगाल सरकार के बारे में टिप्पणियां शामिल थीं.
राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी याचिका में उच्च न्यायालय के आदेश को विकृत, अवैध और मनमाना करार देते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी.
हाईकोर्ट का ये आदेश संदेशखाली की महिलाओं द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आया था, जिन्होंने जमीन पर कब्जा करने और हिंसा की शिकायतों के अलावा निलंबित पार्टी के नेता शेख शाहजहां और करीबी स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं.
गौरतलब है कि संदेशखाली में पांच जनवरी को हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हमले के मामले की जांच पहले से ही सीबीआई कर रही है और इस संबंध में तीन एफआईआर दर्ज की हैं. इस मामले में शेख शाहजहां को 55 दिनों तक भागने के बाद 29 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था.