नई दिल्ली: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार (10 जुलाई) को करीब छह माह से बंद शंभू बॉर्डर को एक सप्ताह के भीतर खोलने का आदेश जारी किया. अदालत का ये निर्देश एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धरना दे रहे किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए शंभू बॉर्डर को बंद किए हुए पांच महीने से अधिक का समय बीत गया है. हाईकोर्ट ने अपने निर्देश में कहा है कि हरियाणा सरकार सड़क पर लगाए गए बैरिकेड तुरंत हटाए और रास्ते को इसके मूल रूप में लाए.
हालांकि, अदालत ने हरियाणा और पंजाब की राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि कानून-व्यवस्था बनी रहे.
मालूम हो कि इस बॉर्डर के बंद होने की वजह से दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे के एक हिस्से को भी बंद कर दिया गया था, जिससे व्यापारियों, रेहड़ी-फड़ वालों और आम लोगों को आवाजाही में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने तर्क दिया कि शंभू बॉर्डर पर अभी भी 400-450 प्रदर्शनकारी बैठे हैं और वे अंबाला में प्रवेश कर पुलिस अधीक्षक के कार्यालय का घेराव कर सकते हैं.
इस पर पीठ ने कहा, ‘वर्दीधारी (पुलिस) किसानों से नहीं डर सकते… हम लोकतंत्र में रह रहे हैं, किसानों को हरियाणा में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता.’
पीठ ने जोड़ा, ‘जो डायवर्जन किया गया है, उससे बड़ी असुविधा हो रही है…परिवहन वाहनों और बसों के साथ ही आम जनता को आवागमन में बड़ी असुविधा हो रही है.’
पीठ ने किसान यूनियनों से भी यह सुनिश्चित करने को कहा कि वे कानून का पालन करें. उच्च न्यायालय ने अभी तक इस मामले पर विस्तृत आदेश जारी नहीं किया है.
ज्ञात हो कि इससे पहले हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा था, जिसमें राजमार्ग कब बंद किया गया और यह स्थिति कितने समय तक जारी रहेगी इस पर जानकारी मांगी गई थी.
इसके जवाब में हरियाणा सरकार के विशेष सचिव महावीर कौशिक ने हलफनामे के माध्यम से बताया था कि बैरिकेडिंग 10 फरवरी को शंभू बॉर्डर पर किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए लगाई गई थी.
हरियाणा सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था, ‘स्थानीय क्षेत्र की सुरक्षा के मद्देनजर बैरिकेडिंग तभी हटाई जा सकती है, जब किसान अपना धरना और ट्रैक्टर-ट्रॉली राष्ट्रीय राजमार्ग से हटा लें.’
रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने किसान आंदोलन के दौरान 21 फरवरी को हुई प्रदर्शनकारी शुभकरण सिंह की मौत के मामले का भी संज्ञान लिया. हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच को जरूरी मानते हुए हाईकोर्ट ने एसआईटी के गठन का आदेश दिया है.