नई दिल्ली: बेंगलुरू कैफै ब्लास्ट पर दिए बयान को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे की मुश्किलें कम होती नज़र नहीं आ रहीं. बुधवार (10 जुलाई) को इस मामले की सुनवाई के दौरान मद्रास हाई कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता करंदलाजे से पूछा कि आखिर उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कैसे दावा किया कि रामेश्वरम कैफे विस्फोट में शामिल हमलावरों को तमिलनाडु में प्रशिक्षित किया गया था, जबकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने तब तक तमिलनाडु में तलाशी भी नहीं की थी.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, करंदलाजे के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए 20 मार्च को मदुरै सिटी साइबर क्राइम पुलिस द्वारा एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसे रद्द करने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया है. इस मामले में जस्टिस जयचंद्रन की पीठ सुनवाई कर रही है.
बार एंड बेंच के अनुसार, जस्टिस जयचंद्रन ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘आपने (मंत्री) एनआईए द्वारा चेन्नई में तलाशी लेने से पहले ही बयान दिया था. इसका मतलब है कि आप तथ्यों को जानती थीं, प्रशिक्षित व्यक्ति कौन हैं, उन्हें किसने प्रशिक्षित किया, उन्होंने क्या किया, आपको इसकी जानकारी है. अगर ऐसा है और आपको अपराध के बारे में कोई खबर मिली थी, तो आपको इसे पुलिस को बताना चाहिए था. लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर आपने ने ऐसा नहीं किया.’
मालूम हो कि इस मामले में केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में 1 मार्च को हुए विस्फोट के लिए तमिलनाडु के लोगों को दोषी ठहराया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि तमिलनाडु के लोग वहां प्रशिक्षण लेकर यहां आते हैं और यहां बम विस्फोट करते हैं. उन्होंने इस दौरान कैफे में बम रखने की बात कही थी.
उन्होंने आरोप लगाया था कि हमलावर को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की नाक के नीचे तमिलनाडु के कृष्णागिरी जंगलों में प्रशिक्षित किया गया था.
इस संबंध में तमिलनाडु के सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) से शिकायत की थी, क्योंकि तब लोकसभा चुनावों के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता लागू थी. बाद में 19 मार्च को करंदलाजे ने अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी मांग ली थी.
हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में करंदलाजे ने कहा है कि उनका इरादा आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मसलों को उठाना था ना कि कन्नड़ लोगों को तमिलों के खिलाफ खड़ा करना.
याचिकाकर्ता के वकील आर. हरिप्रसाद ने कहा कि मामला राजनीति से प्रेरित है. वहीं, तमिलनाडु सरकार के वकील केएमडी मुहिलन ने अदालत से वीडियो देखने का आग्रह किया.
इस मामले में अदालत ने याचिकाकर्ता को मांग के अनुरूप अंतरिम राहत नहीं दी. कोर्ट ने सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी.