नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) की शक्तियां बढ़ा दी हैं. अब पुलिस, आईएएस और आईपीएस जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले के लिए एलजी की अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा एलजी विभिन्न मामलों में अभियोजन की मंजूरी भी देंगे.
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संबंधित मामलों के अलावा एडवोकेट जनरल और अन्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में निर्णय भी एलजी द्वारा लिए जाएंगे.
किस कानून के तहत बढ़ाई गई शक्तियां?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार (12 जुलाई) को कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत जारी नियमों में संशोधन करके एलजी को ये शक्तियां दी हैं. इस कानून को अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के लिए अधिनियमित किया गया था.’
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, ‘पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के संबंध में वित्त विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता वाले किसी भी प्रस्ताव को तब तक स्वीकृति या अस्वीकृति नहीं दी जाएगी, जब तक कि इसे मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष नहीं रखा जाता है.’
इसके अलावा अब एडवोकेट जनरल और अन्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति का प्रस्ताव मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के माध्यम से उपराज्यपाल के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करना होगा.
अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि अभियोजन स्वीकृति देने या अपील दायर करने से संबंधित कोई भी प्रस्ताव विधि, न्याय और संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा.
इस बदलाव का मतलब ये हुआ कि राज्य में सरकार किसी भी बने लेकिन अहम फैसले लेने की शक्तियां एलजी के पास रहेंगी. आने वाले महीनों में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की संभावना जताई जा रही है.
…एलजी से भीख मांगनी पड़ेगी- उमर अब्दुल्ला
केंद्र के इस फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी व्यक्त की है.
अब्दुल्ला ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है, ‘यह एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं. यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा निर्धारित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनावों के लिए एक शर्त है. जम्मू-कश्मीर के लोग ऐसे शक्तिहीन, रबर स्टांप सीएम से बेहतर के हकदार हैं, जिन्हें अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए एलजी से भीख मांगनी पड़ेगी.’