नई दिल्ली: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जून में खुदरा महंगाई दर बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.08 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि खाद्य महंगाई दर 9 प्रतिशत से अधिक हो गई, जो छह महीने का उच्चतम स्तर है.
शुक्रवार को जारी किया गया डेटा 23 जुलाई को केंद्रीय बजट की प्रस्तुति और अगस्त में होने वाली अगली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक से पहले का अंतिम आधिकारिक दस्तावेज है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पिछले पांच महीनों में गिरावट के बाद जून में महंगाई दर में वृद्धि तब देखी गई है जब देश के प्रमुख हिस्सों में लंबे समय तक चली भीषण गर्मी की वजह से संभावित नुकसान के चलते खाद्य पदार्थों, मुख्य रूप से सब्जियों की कीमतों में उछाल आया. जून में सब्जियों की महंगाई दर 29.32 प्रतिशत थी और पिछले आठ महीनों से यह दोहरे अंकों में बनी हुई है.
इसे निकट भविष्य में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दर में किसी भी तत्काल कटौती की गुंजाइश को सीमित करने के रूप में देखा जा रहा है, जिसे गुरुवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी दोहराया था.
उन्होंने कहा था कि खुदरा महंगाई अभी भी 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर है, इसलिए ब्याज दरों में कटौती के बारे में कोई भी बात करना जल्दबाजी होगी.
वहीं, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 9.36 प्रतिशत हो गई, जो मई में 8.69 प्रतिशत और एक साल पहले की समान अवधि में 4.55 प्रतिशत थी. शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में खाद्य महंगाई दर में अधिक वृद्धि देखी गई.
इंडिया रेटिंग्स के एक नोट में कहा गया है कि मुख्य मुद्रास्फीति – गैर खाद्य, गैर ईंधन खंड – जून में 3.14 प्रतिशत पर मोटे तौर पर स्थिर रही, जबकि मई में यह 3.12 प्रतिशत थी.
राज्यवार आंकड़ों से पता चलता है कि 22 प्रमुख राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से आधे से ज़्यादा ने 5.08 प्रतिशत की मुख्य दर से अधिक मुद्रास्फीति दर्ज की है, जिसमें ओडिशा में सबसे ज़्यादा 7.22 प्रतिशत, बिहार में 6.37 प्रतिशत और कर्नाटक में 5.98 प्रतिशत मुद्रास्फीति दर्ज की गई है. उत्तराखंड और दिल्ली में जून में महंगाई की दर 3 प्रतिशत से कम दर्ज की गई.