नई दिल्ली: गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले में शनिवार (13 जुलाई) को एक अवैध कोयला खदान में दम घुटने से तीन मजदूरों की मौत हो गई. पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतकों की पहचान 35 वर्षीय लक्ष्मण डाभी, 32 वर्षीय खोड़ाभाई मकवाना और 35 वर्षीय विराम केरलिया के रूप में हुई है.
अधिकारियों ने बताया कि वे थानगढ़ तालुका के भेट गांव के पास एक खदान में बिना हेलमेट, मास्क या किसी अन्य सुरक्षा उपकरण के काम कर रहे थे.
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल यह चौथी ऐसी घटना है जिसमें जिले के कई हिस्सों में स्थित अवैध खदानों में निम्न श्रेणी का कोयला खोदते समय कुल 10 लोगों की जान चली गई. कोयले का इस्तेमाल कई कारखानों में ईंधन के रूप में किया जाता है.
इस मामले में पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है.
आरोपियों में भाजपा के तालुका पंचायत सदस्य कल्पेश परमार और खिमजी सरदिया, जिनकी पत्नी भाजपा की जिला पंचायत सदस्य हैं, शामिल हैं.
एफआईआर में कहा गया है कि आरोपी मजदूरों को आवश्यक सुरक्षा उपकरण मुहैया कराने में विफल रहे, जिनकी खदान में जहरीली गैस की वजह से मौत हो गई.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, एफआईआर के अनुसार, पीड़ितों में से एक लक्ष्मण डाभी के पिता ने आरोप लगाया कि उनका बेटे को आरोपियों ने काम पर रखा था और वो पिछले 15 दिनों से कोयला खदान में काम कर रहा था. उन्होंने दावा किया कि मजदूरों को 700 रुपये दिहाड़ी दी जाती थी, लेकिन उन्हें हेलमेट जैसे कोई सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जाते थे.
ज्ञात हो कि इससे पहले पहले भी श्रमिकों की इस तरह से मौत के मामले सामने आ चुके हैं.
द हिंदू के अनुसार, फरवरी में जिले में एक अवैध खनन अभियान के दौरान जिलेटिन की छड़ों से हुए विस्फोट के बाद निकली जहरीली गैस की वजह से तीन मजदूरों की मौत हो गई थी. ये मजदूर देवपारा गांव में एक अवैध कोयला खदान के लिए गड्ढा खोद रहे थे. वे सभी राजस्थान के रहने वाले थे.
सुरेंद्रनगर के जिला कलेक्टर केसी संपत ने मजदूरों की मौत की लगातार हो रही घटनाओं को स्वीकार किया है.
संपत ने कहा, ‘हमने इस तरह के खनन कार्यों के खिलाफ एक विशेष आंदोलन चलाया था और 2,100 ऐसी खदानें बंद कर दी गईं और खनन किए गए कुओं को मिट्टी भरकर पूरी तरह से बंद कर दिया गया. लेकिन ऐसा लगता है कि उनमें से कुछ को फिर से खोल दिया गया है. स्थानीय प्रशासन इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लेता है.’
संपत ने कहा, ‘हमारी मुख्य चिंता खनन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अवैज्ञानिक पद्धति है.’
इस बीच, जिले के राजस्व और पुलिस अधिकारी सत्तारूढ़ पार्टी के स्थानीय नेताओं की संलिप्तता के बारे में चुप हैं, लेकिन खनन संचालकों और स्थानीय नेताओं के बीच सांठगांठ के बारे में निजी तौर पर स्वीकार करते हैं.
गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा, ‘सुरेंद्रनगर जिले में लगातार मौतें हुई हैं, जहां सत्तारूढ़ पार्टी के स्थानीय राजनेताओं की संलिप्तता के साथ कोयले का अवैध खनन बड़े पैमाने पर चल रहा है.’
रविवार को आप नेताओं ने सुरेंद्रनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें जिले में अवैध खदान चलाने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई.
सूत्रों ने बताया कि अवैध कोयला खदानें गरीब श्रमिकों के लिए मौत का जाल बन गए हैं, जिन्हें 80 से 100 फीट गहरे गड्ढों में काम करने के लिए प्रतिदिन 500-700 रुपये मिलते हैं, जहां वे जिलेटिन की छड़ियों का उपयोग करके विस्फोट करके कोयला निकालते हैं, जो पूरी तरह से अवैध है.
अन्य स्थानीय अधिकारियों का मानना है कि कोई सुरक्षा उपाय नहीं हैं. श्रमिकों को हेलमेट, दस्ताने या किसी भी तरह के सुरक्षात्मक कपड़े नहीं दिए जाते हैं.
जिले में पहले सेवा दे चुके एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘यह एक गंभीर समस्या है जो पिछले कई दशकों से चली आ रही है.’
इसी दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं ने रविवार को दावा किया कि पिछले छह महीनों में 18 से 20 लोगों की मौत हुई है, लेकिन मीडिया में केवल कुछ ही घटनाएं सामने आई हैं.
आप नेता विक्रम दवे ने कहा, ‘पिछले छह महीनों में इस क्षेत्र में अवैध खदानों में लगभग 20 मजदूरों की मौत हो चुकी है और फिर भी सरकार द्वारा इस गतिविधि को रोकने के लिए कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की गई है.’
उन्होंने स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता विपुल मकवाना के साथ मिलकर खनन पट्टा मालिकों के साथ-साथ सरकारी भूमि पर अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.