नई दिल्ली: यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूसी सेना के साथ तैनात एक भारतीय नागरिक ने कहा है कि उसके समूह में 15 गैर-रुसी थे, जिनमें से 13 मारे गए हैं. साथ ही, उन्होंने अपनी रिहाई और सुरक्षित देश वापसी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 8 जुलाई को हुई बैठक से उम्मीद जताई है.
पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग के रहने वाले 47 वर्षीय उर्गेन तमांग ने अपने द्वारा जारी एक वीडियो में यह बयान दिया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने 11 जुलाई को कलिम्पोंग नगर पालिका के प्रशासक बोर्ड के अध्यक्ष रबि प्रधान को वीडियो भेजा. हालांकि, हिन्दुस्तान टाइम्स उस वीडियो की सत्यता का दावा नहीं करता है.
इससे पहले तमांग ने मार्च के आखिरी सप्ताह में युद्ध क्षेत्र से अपना पहला वीडियो भेजा था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें 10-12 दिनों के हथियार प्रशिक्षण के बाद जबरन युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया है.
तमांग 11 जुलाई को भेजे गए अपने वीडियो में कहते नज़र आ रहे हैं, ‘मैं इस साल मार्च से रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसा हुआ हूं. कई लोग हताहत हुए हैं. मेरे साथ 15 गैर-रूसी लोग थे. इनमें से 13 की मौत हो चुकी है. केवल हम दो जीवित हैं – मैं और एक अन्य श्रीलंका का व्यक्ति.’
तमांग ने मार्च में रूस जाने से पहले 18 साल तक भारतीय सेना में सेवा की थी. कुछ एजेंटों ने उनसे रूस में सुरक्षाकर्मी की नौकरी देने का वादा करके उन्हें रूस भिजवाया. उन एजेंटों ने कथित तौर पर उन्हें धोखा दिया और रूस पहुंचने पर उन्हें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में भेज दिया गया.
वीडियो में उन्होंने कहा, ‘मैं कलिम्पोंग नगर पालिका के अध्यक्ष के संपर्क में हूं. वह मेरा हालचाल पूछते रहते थे. उन्होंने मुझे बताया कि मोदी ने रूस का दौरा किया है और रूसी राष्ट्रपति से बातचीत की है ताकि सभी भारतीयों को जल्द से जल्द छोड़ा जा सके. मैं बहुत खुश हूं. मुझे लगता है कि मैं जिंदा घर पहुंच पाऊंगा.’
उन्होंने वीडियो में भारत सरकार से सभी भारतीयों की जल्द से जल्द रिहाई सुनिश्चित करने की अपील की है.
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए रबि प्रधान ने कहा, ‘लगभग हर दिन मैं तमांग से बात करता हूं. पिछले कुछ दिनों से वह क्रीमिया के पास हैं. उन्हें और कुछ अन्य गैर-रूसियों को आराम करने के लिए क्रीमिया भेजा गया था और वे एक बंकर में हैं, लेकिन उन्हें फिर से युद्ध के मोर्चे पर भेजा जाएगा.’
तमांग के परिवार के सदस्यों ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि सुरक्षाकर्मी की नौकरी का वादा करके तमांग को रूस भेजने वाले एजेंटों ने उससे 6 लाख रुपये लिए थे. उन्होंने उसे धोखा दिया और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस की तरफ से लड़ने के लिए मजबूर किया.
हालिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री की मॉस्को यात्रा के दौरान मोदी और पुतिन के बीच चर्चा के बाद रूस अपनी सेना में काम कर रहे सभी भारतीय नागरिकों को छुट्टी देने पर सहमत हो गया है.
यूक्रेन के खिलाफ रूस की ओर से लड़ते हुए कम से कम चार भारतीय नागरिकों की जान चली गई है. युद्ध क्षेत्र में फंसे कई अन्य लोगों का आरोप है कि उन्हें युद्ध में धोखे से शामिल किया गया था.