बांग्लादेश: आरक्षण विरोधी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में 6 की मौत, 300 से अधिक घायल

बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली के तहत 30 फीसदी सरकारी पद स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों और पोते-पोतियों के लिए, 10 फीसदी महिलाओं के लिए और 10 फीसदी विशिष्ट जिलों के निवासियों के लिए आरक्षित हैं. छात्र इसका विरोध कर रहे हैं. हालांकि, जातीय अल्पसंख्यकों और विकलांगों के लिए भी आरक्षण है लेकिन इसका विरोध नहीं है.

बांग्लादेश में जारी विरोध प्रदर्शनों की एक तस्वीर. (फोटो साभार: X/@dhruv_rathee)

नई दिल्ली: बांग्लादेश में सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के समर्थकों और सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे लोगों के बीच झड़प में कथित तौर पर छह लोगों की मौत हो गई है और लगभग 300 छात्र घायल हो गए हैं.  

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, मरने वालों में से दो ढाका से हैं, जबकि अन्य चट्टोग्राम और रंगपुर से हैं.

हालांकि, बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि विरोध प्रदर्शनों में किसी की भी मौत नहीं हुई है

एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की सरकार ने झड़पों के मद्देनजर देश भर में स्कूलों, मदरसों और अन्य शिक्षा संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद करने का आदेश दिया है. 

सोमवार (16 जुलाई) को बांग्लादेश के विश्वविद्यालय परिसरों में विरोध प्रदर्शन जारी रहा.

राजशाही, खुलना, मैमनसिंह और रंगपुर में सैकड़ों की संख्या में छात्र सड़कों और रेलवे लाइनों पर एकत्रित हो गए, जिससे जाम की स्थिति बनी रही. छात्रों के नेतृत्व में किए जा रहे इस विरोध प्रदर्शन में आरक्षण को खत्म करने और योग्यता के आधार पर सिविल सेवा में भर्तियों की मांग की गई है. 

समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कोटा प्रणाली में 30% सरकारी पद स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों और पोते-पोतियों के लिए, 10% महिलाओं के लिए और 10% विशिष्ट जिलों के निवासियों के लिए आरक्षित हैं. जातीय अल्पसंख्यकों और विकलांग लोगों के लिए भी कोटा है लेकिन छात्र उन कोटों का विरोध नहीं कर रहे हैं.

आलोचकों का कहना है कि 1971 की आज़ादी की लड़ाई में शामिल लोगों के वंशजों को मिल रहे आरक्षण से 76 वर्षीय प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के समर्थकों के बच्चों को लाभ मिलता है. 

शेख हसीना की पार्टी द्वारा विपक्ष द्वारा बहिष्कृत चुनावों में चौथी बार सत्ता हासिल करने के बाद यह विरोध प्रदर्शन उनकी पहली चुनौती है. 

प्रोथोम अलो की रिपोर्ट के अनुसार, 15 और 16 जुलाई की मध्यरात्रि को  बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल), जो कि सत्तारूढ़ पार्टी की छात्र शाखा है, के नेताओं ने विश्वविद्यालय परिसरों में लाठियों से लैस होकर तलाशी ली. बीसीएल के कई सदस्य जुलूस निकालने के लिए हॉकी स्टिक और पाइप के साथ ढाका विश्वविद्यालय परिसर में एकत्र हुए थे. 

विश्वविद्यालय के एक घायल प्रदर्शनकारी छात्र ने एएफपी को बताया कि सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों ने आरक्षण विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किया, जिसके बाद पुलिस ने उन पर रबर की गोलियां चलाईं. 

अमेरिका ने कहा है कि उसे इन विरोध प्रदर्शनों की जानकारी है और वो उन पर नजर रख रहा है. एक पत्रकार के सवाल के जवाब में अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, ‘हम शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ किसी भी हिंसा की निंदा करते हैं. हमारी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं जो इस हिंसा से प्रभावित हुए हैं.’

अमेरिका की ओर से आए इस बयान पर बांग्लादेश सरकार ने आपत्ति जताई है. सड़क परिवहन विभाग के मंत्री ओबैदुल क्वाडर ने अमेरिका को अपने गिरेबान में झांकने को कहा है. उन्होंने कहा, ‘दूसरे देशों में लोकतंत्र के बारे में बात करने से पहले अमेरिका को आईने में देखना चाहिए.’

16 जुलाई की शाम डेली स्टार के एक संपादकीय में बांग्लादेश सरकार से बीसीएल सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया गया. बीसीएल के सदस्यों पर प्रदर्शनकारियों पर हमला करने का आरोप है. 

संपादकीय में कहा गया है, ‘क्या हम यह मान लें कि हमारी सरकार बीसीएल के क्रोध के सामने असहाय है? या फिर ये मान लें कि बीसीएल अब प्रशासन का एक सशस्त्र अंग है?’