यूपी: मुज़फ़्फ़रनगर पुलिस ने कांवड़ मार्ग के खाद्य विक्रेताओं से दुकान पर अपना नाम लिखने कहा

मुज़फ़्फ़रनगर के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इस फ़ैसले के पीछे का कारण यह सुनिश्चित करना है कि कांवड़ियों के बीच किसी भी प्रकार का कोई भ्रम न हो. गौरतलब है कि बीते दिनों मुज़फ़्फ़रनगर के भाजपा विधायक ने कहा था कि मुसलमानों को कांवड़ यात्रा में अपनी दुकानों का नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर नहीं रखना चाहिए.

कांवड़ यात्रा की एक तस्वीर. (फोटो: मुनीश कुमार)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पुलिस ने कांवड़ यात्रियों के बीच भ्रम की स्थिति को रोकने के लिए जिले में कांवड़ यात्रा मार्ग के किनारे स्थित होटल, ढाबों और खाद्य सामग्री बेचने वाली अन्य दुकानों को अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम अपनी-अपनी दुकानों के बाहर लिखने के लिए कहा है.

मुजफ्फरनगर के पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने ठेले वालों को भी इसका अनुपालन करने के लिए कहा है. 

उन्होंने कहा कि इस फ़ैसले के पीछे का कारण यह सुनिश्चित करना है कि ‘कांवड़ियों के बीच किसी भी प्रकार का कोई भ्रम न हो और ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न न हो जहां आरोप और प्रत्यारोप हों और जो कानून व्यवस्था में बाधा उत्पन्न करे.’ 

बता दें कि हिंदू तीर्थयात्री साल के इस समय (सावन के महीने में) कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं. इस दौरान गंगा नदी से पानी लेने के लिए यात्री पैदल चलकर उत्तराखंड जाते हैं, फिर शिव मंदिरों में जाकर जल चढ़ाते हैं.

इस साल की यात्रा सोमवार (22 जुलाई) से शुरू होने वाली है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में मुजफ्फरनगर के भाजपा विधायक कपिल देव अग्रवाल ने कहा था, ‘मुसलमानों को यात्रा के दौरान अपनी दुकानों का नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि जब भक्तों (कांवड़ियों) को पता चलता है कि जिन दुकानों पर वे खाना खाते हैं वे मुस्लिमों द्वारा चलाई जाती हैं तो यह विवाद का कारण बनता है.’ 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भक्तों के ‘सम्मान’ के लिए इस वर्ष राज्य में कांवड़ यात्रा के मार्गों पर खुले में मांस की बिक्री और खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार पिछली यात्राओं के दौरान भी इस तरह के प्रतिबंध लगा चुकी है. 

यात्रा के दौरान सुरक्षा और सुविधा मुहैया कराने को लेकर बुलाई गई बैठक में सीएम आदित्यनाथ ने अधिकारियों को तीर्थयात्रा मार्ग पर हेल्प डेस्क स्थापित करने और ठंडा पानी तथा शिकंजी के वितरण की व्यवस्था करने का निर्देश दिया.

सीएम ने अधिकारियों से कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा का इंतजाम सुनिश्चित करने को कहा.

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मुजफ्फरनगर पुलिस के फैसले की आलोचना करते हुए कहा है, ‘सिर्फ राजनीतिक दलों को ही नहीं, बल्कि सभी लोगों और मीडिया को भी इस राज्य प्रायोजित कट्टरता के खिलाफ खड़ा होना चाहिए.’ 

खेड़ा ने कहा, ‘हम भाजपा को देश को अंधकार युग में धकेलने की इजाजत नहीं दे सकते.’

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा निर्देश इसलिए दिया गया है ताकि कोई भी कांवड़िया गलती से मुस्लिम दुकान से कुछ न खरीदे. 

ओवैसी ने इसकी तुलना दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और नाजी जर्मनी में यहूदियों के खिलाफ किए जाने वाले भेदभाव से की.

मुजफ्फरनगर पुलिस ने इस बात से इनकार किया है कि उसके इस निर्देश का उद्देश्य धार्मिक आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करने का है. 

बहरहाल, उत्तर प्रदेश सरकार कांवड़ यात्रा को लेकर एक अन्य विवाद के संबंध में भी सुर्खियों में रही है. 

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कथित तौर पर मुजफ्फरनगर समेत तीन जिलों में 33,000 से अधिक फले-फूले वृक्षों की कटाई को मंजूरी दी है, ताकि कांवड़ यात्रा के लिए एक नई सड़क बनाई जा सके.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने फरवरी में इस विषय पर एक समाचार रिपोर्ट के बाद मामले का संज्ञान लिया था.