नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में फिलीस्तीन के झंडे लहराने के लिए कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया, हिरासत में लिया गया और उनसे पूछताछ की गई, जिसके बाद कानूनी विशेषज्ञों और राजनीतिक प्रतिनिधियों ने गिरफ़्तारियों के आधार पर सवाल उठाए हैं क्योंकि भारत के फिलीस्तीन के साथ राजनयिक संबंध हैं.
द हिंदू के मुताबिक, कुछ मामलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों द्वारा शिकायतें की गईं और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए.
एक सरकारी वेबसाइट के अनुसार, ‘फिलीस्तीन के मुद्दे के लिए भारत का समर्थन देश की विदेश नीति का एक अभिन्न अंग है.’ 1974 में भारत फिलीस्तीन मुक्ति संगठन को मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब राज्य बना था और 1988 में भारत फिलीस्तीन को सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में से एक बना.
15 जुलाई को भारत ने फिलीस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी को 25 लाख डॉलर का योगदान दिया. हमास द्वारा अक्टूबर 2023 के हमले के बाद फिलीस्तीन के गाजा में इजरायल के युद्ध ने 36,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है और गाजा के अधिकांश हिस्से को नष्ट कर दिया है.
गुरुवार को झारखंड के दुमका में मुहर्रम जुलूस के दौरान फिलीस्तीनी झंडा लहराने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया. उस पर बीएनएस की धारा 223ए (लोक सेवक की अवज्ञा) और 292/3 (सार्वजनिक उपद्रव) के तहत मामला दर्ज किया गया. इन धाराओं के तहत छह महीने की कैद और जुर्माना हो सकता है.
दुमका के पुलिस अधीक्षक (एसपी) पीतांबर सिंह ने कहा, ‘कुछ चीजें करने के लिए एक विशेष जगह होती है, कोई भी किसी ऐसी जगह पर ऐसा कुछ नहीं कर सकता है जिससे दूसरे लोगों की भावनाएं आहत हों. लोगों को उकसाने वाले कृत्यों से रोकने के लिए सरकारी आदेश होते हैं.’
झारखंड भाजपा प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर एक वीडियो क्लिप साझा की है, जिसमें एक व्यक्ति झंडा लहराता हुआ दिखाई दे रहा है. मरांडी ने ‘तालिबानी मानसिकता’ वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा, ‘हेमंत सोरेन सरकार द्वारा मुस्लिम तुष्टिकरण के परिणामस्वरूप झारखंड में राष्ट्र-विरोधी चरमपंथी विचारधारा वाले लोग अब अपने नापाक इरादों को खुलेआम प्रदर्शित करने लगे हैं. राज्य की उप राजधानी दुमका में मुहर्रम जुलूस के दौरान फिलीस्तीनी झंडा लहराना देशद्रोह का कृत्य है और साथ ही क्षेत्र के आम लोगों में भय फैलाने का एक घिनौना प्रयास है.’
वहीं, मध्य प्रदेश के खंडवा में बुधवार को मुहर्रम जुलूस के दौरान कथित तौर पर फिलीस्तीनी झंडा फहराने के आरोप में पुलिस ने तीन लोगों से पूछताछ की, लेकिन कोई मामला दर्ज नहीं किया गया. खंडवा के एसपी मनोज राय ने अखबार को बताया कि मुहर्रम जुलूस के दौरान झंडा फहराने के संबंध में बजरंग दल के जिला अध्यक्ष की ओर से मोघाट रोड पुलिस थाने में शिकायत मिली थी.
जम्मू कश्मीर में लगभग आठ लोगों को कथित तौर पर फिलीस्तीन और हिजबुल्लाह के समर्थन में नारे लगाने और मुहर्रम जुलूस के दौरान झंडे लहराने के आरोप में यूएपीए की धारा 223, 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालना) के तहत हिरासत में लिया गया, जिसके लिए आजीवन कारावास की सजा हो सकती है और धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधि) के तहत सात साल की सजा हो सकती है.
श्रीनगर के सांसद रूहुल्लाह मेहदी ने गिरफ़्तार युवकों की रिहाई की मांग की. उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है और वह भी उत्पीड़ित लोगों के पक्ष में की गई अभिव्यक्ति. पुलिस को इन लोगों को रिहा कर देना चाहिए और उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार करने से बचना चाहिए.’
वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जिस देश के साथ भारत के दोस्ताना संबंध हैं, उसका झंडा लहराना कोई अपराध नहीं है. ग्रोवर ने कहा, ‘ऐसे मामले डराने-धमकाने के लिए दर्ज किए जाते हैं. राजनीतिक प्रतिनिधित्व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक अहम हिस्सा है, इन मामलों में इस पर हमला किया गया है. फिलीस्तीन दूतावास दिल्ली में स्थित है, केवल झंडा लहराना कोई आपराधिक कृत्य नहीं है.’
मुहर्रम से पहले निकाले गए जुलूस के दौरान कथित तौर पर फिलीस्तीनी झंडा लहराने के आरोप में पिछले एक सप्ताह में बिहार के नवादा और दरभंगा से कम से कम चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
पूर्व भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी आरके विज ने कहा कि इस मामले में एफआईआर तभी उचित हो सकती है जब फिलीस्तीनी झंडा लहराने से ‘हिंसा भड़काने या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने या समाज के वर्गों के बीच हिंसा या नफरत भड़काने की प्रवृत्ति हो.’
भाकपा(माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने फिलीस्तीनी झंडे लहराने के आरोप में बिहार और अन्य जगहों पर गिरफ्तार लोगों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की मांग की.
भट्टाचार्य ने कहा, ‘फिलीस्तीन के झंडे गाजा के लोगों के साथ एकजुटता के प्रतीक के रूप में लहराए जा रहे हैं. भारत ने कभी भी फिलीस्तीन का समर्थन करने में संकोच नहीं किया है. यही कारण है कि नई दिल्ली में फिलीस्तीनी दूतावास मौजूद है.’