नई दिल्ली: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण रद्द करने की मांग को लेकर जारी आंदोलन और हिंसक विरोध प्रदर्शनों में शुक्रवार (19 जुलाई) की सुबह तक 39 लोगों की मौत हो चुकी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार (19 जुलाई) को एक बयान में कहा कि बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति उसका आंतरिक मसला है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि बांग्लादेश में हमारे देश के लगभग 8,500 छात्र और लगभग 15,000 भारतीय नागरिक रहते हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘हम विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर स्थानीय अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत हैं. हमारा उच्चायोग हमारे नागरिकों की सुरक्षा के लिए स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है. विदेश मंत्री स्वयं स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. उच्चायोग वहां की स्थिति पर नियमित अपडेट देता रहेगा. हम भी नियमित अपडेट देते रहेंगे और हम बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों के सभी परिवार के सदस्यों से संपर्क में रहने का आग्रह करते हैं. हम अपने नागरिकों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमारे सभी नागरिक सुरक्षित हैं.’
MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, “As you are aware, there are protests which are happening in Bangladesh. We have around 8500 students and somewhere around 15,000 Indian nationals resident in the country. We have issued a travel advisory for people to be in touch with the… pic.twitter.com/zGF7tbM0VP
— ANI (@ANI) July 19, 2024
ज्ञात हो कि विश्वविद्यालयों के छात्र बीते कुछ दिनों से 1971 के मुक्ति युद्ध में लड़ने वालों के परिवार को मिले सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण का विरोध कर रहे है. 1971 में पाकिस्तान से आज़ादी की जंग लड़ने वालों को बांग्लादेश में मुक्ति योद्धा कहा जाता है. देश में एक तिहाई सरकारी नौकरियां इनके परिवारों के लिए आरक्षित हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, हिंसा के मद्देनज़र बांग्लादेश के टेलीविजन समाचार चैनल बंद कर दिए गए हैं, टेलीफोन सेवाएं व्यापक रूप से बाधित हैं. वहीं, कई समाचार वेबसाइट और सोशल मीडिया अकाउंट भी निष्क्रिय कर दिए गए हैं.
समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि कानून मंत्री अनीसुल हक ने कहा है कि सरकार प्रदर्शनकारियों से बातचीत करना चाहती है. वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे भी बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन वार्ता और खुला हमला एक साथ संभव नहीं हैं.
इस आंदोलन के समन्वयक नाहिद इस्लाम ने रॉयटर्स को बताया, ‘चर्चा और खुले तौर पर गोलीबारी एक साथ नहीं हो सकते. हम शवों पर पैर रखकर बातचीत नहीं कर सकते.’
इस बीच, संघीय मंत्री ने कहा कि विरोध प्रदर्शन को देखते हुए देश में मोबाइल इंटरनेट अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है.
भारतीयों को सावधानी बरतने की सलाह
ढाका में भारतीय उच्चायोग ने अपने नागरिकों को यात्रा से बचने और ‘अपने आवासीय परिसर के बाहर अपनी गतिविधियां सीमित’ करने की सलाह दी है. उच्चायोग ने किसी भी सहायता के लिए कई आपातकालीन नंबर भी जारी किए हैं.
Advisory on the ongoing situation in Bangladesh. pic.twitter.com/mjXouAST2M
— India in Bangladesh (@ihcdhaka) July 18, 2024
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के चौथी बार प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद नौकरियों में आरक्षण को लेकर ये सबसे बड़ा राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है. इसका एक बड़ा कारण बांग्लादेश के युवाओं के बीच बढ़ती बेरोजगारी है, जिसमें 17 करोड़ आबादी का लगभग पांचवां हिस्सा काम या शिक्षा से बाहर है.
जर्मनी में रहने वाली बांग्लादेशी अधिकार कार्यकर्ता सादात तस्नीम ने डीडब्ल्यू को बताया कि युवाओं के बीच नौकरी को लेकर चिंताएं हैं.
उन्होंने कहा, ‘बढ़ती महंगाई और नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं होने के चलते युवाओं को सुरक्षित सरकारी नौकरियों से उम्मीद थी. लेकिन मौजूदा आरक्षण प्रणाली इसमें एक अनुचित बाधा उत्पन्न कर रही है.’
द हिंदू की खबर के अनुसार, प्रदर्शनकारी बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों के लिए समान अवसर की मांग कर रहे हैं, जहां मुक्ति संग्राम के सेनानियों, अल्पसंख्यकों और आदिवासी समुदायों के लिए विशेष आरक्षण की व्यवस्था है. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि इस आरक्षण प्रणाली के कारण योग्य उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में सरकारी रोजगार से वंचित किया जा रहा है.
बीते बुधवार (17 जुलाई) को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने एक संबोधन में आंदोलनकारियों से धैर्य रखने का आग्रह करते हुए भरोसा दिया था कि अदालत के ज़रिए उनको ‘इंसाफ़’ मिलेगा. उन्होंने लोगों से न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा रखने की भी अपील की.
उन्होंने प्रदर्शनकारियों की मौत की न्यायिक जांच कराने की बात भी कही, लेकिन इसके बावजूद बांग्लादेश में हिंसा जारी है और गुरुवार (18 जुलाई) को हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई.
इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने गुरुवार को कहा कि हिंसा कभी भी समाधान नहीं है.
डुजारिक ने कहा, ‘हम सरकार से बातचीत के लिए अनुकूल माहौल सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं और प्रदर्शनकारियों को गतिरोध को सुलझाने के लिए उस बातचीत में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.’
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कल कहा, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण सभा किसी भी संपन्न लोकतंत्र का आधार है और हम बांग्लादेश में हिंसा के हालिया कृत्यों की निंदा करते हैं.’
इससे पहले सोमवार (15 जुलाई) को प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था कि उनकी सरकार उन रिपोर्टों को देख कर रही है जिनमें कहा गया है कि इस विरोध प्रदर्शन में दो लोगों की मौत हो गई है.
प्रोथोम अलो अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने मिलर के बयान पर निराशा जताई थी और कहा था कि दो नागरिकों के मौत का मिलर का दावा निराधार है.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेहेली सबरीन ने कहा था, ‘इस तरह के निराधार दावे करने के लिए असत्यापित जानकारी का उपयोग हिंसा को बढ़ावा दे सकता है और अहिंसक विरोध या आंदोलन की अनुमति देने के लिए शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के बांग्लादेश सरकार के प्रयासों को कमजोर कर सकता है.’
उन्होंने आगे कहा था, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण सभा हमारे लोकतंत्र की आधारशिला हैं.’