नई दिल्ली:कर्नाटक की कांग्रेस सरकार आईटी और आईटीईएस सेक्टर में दैनिक शिफ्ट की सीमा को बढ़ाकर 14 घंटे करने का नया प्रस्ताव ले कर आई है. ट्रेड यूनियन सरकार के नए प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, ओवरटाइम के अलावा नियमित दैनिक शिफ्ट की ऊपरी सीमा को 9 से बढ़ाकर 12 घंटे करने के लिए कर्नाटक शॉप्स एंड कमर्शियल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव लाया गया है. वर्तमान में दैनिक ओवरटाइम की सीमा 9 घंटे से एक घंटा अधिक है.
प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है, ‘आईटी/आईटीईएस/बीपीओ क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी को एक दिन में 12 घंटे से अधिक और लगातार तीन महीनों में 125 घंटे से अधिक काम करने की अनुमति दी जा सकती है.’
चूंकि तीन महीने की अवधि में 60-65 काम करने वाले दिन होते हैं, पांच-दिवसीय कार्य सप्ताह को देखते हुए, 125 ओवरटाइम घंटों का मतलब दिन में अतिरिक्त दो घंटों का शामिल होना है, जिससे दैनिक शिफ्ट की सीमा 14 घंटे तक बढ़ जाती है.
14 घंटे की शिफ्ट के साथ पांच-दिवसीय कार्य सप्ताह ठीक 70-घंटे प्रति सप्ताह की श्रेणी में आता है, जैसा की नारायण मूर्ति ने कहा था.
कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ (किटू) ने एक बयान में कहा है कि संशोधन का कोई भी प्रयास कर्नाटक के आईटी/आईटीईएस क्षेत्र में काम करने वाले 20 लाख कर्मचारियों के लिए एक खुली चुनौती होगी.
किटू के महासचिव सुहास अडिगा ने द टेलीग्राफ से कहा कि ‘इतने लंबे समय तक काम करने से श्रमिकों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और उनके कार्य संतुलन पर असर पड़ेगा.’
पिछले साल इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने भी कहा था कि युवा भारतीयों को सप्ताह में 70 घंटे काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए, जिसके बाद से एक नई बहस शुरू हो गई थी.
नारायण मूर्ति ने अपने बारे में कहा था कि वे सुबह 6.20 बजे अपने दफ्तर पहुंचते थे और रात के 8.30 बजे वहां से वापस निकलते थे. साल 1994 तक जब छह दिन का कार्य सप्ताह हुआ करता था, तब वे अक्सर सप्ताह में 85-90 घंटे काम करते थे.
मूर्ति के इस सुझाव का में ओला कैब्स के सीईओ भाविश अग्रवाल समेत कई कॉरपोरेट मालिकों ने स्वागत किया था.
किटू का कहना है कि नया संशोधन कंपनियों को मौजूदा तीन-शिफ्ट वाली प्रणाली को केवल दो शिफ्टों में बदलने का अधिकार देगा क्योंकि कर्मचारियों से प्रतिदिन 12 से 14 घंटे काम कराया जा सकता है. किटू ने कर्नाटक सरकार पर कॉरपोरेट मालिकों को खुश करने के लिए कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है.
किटू ने अपने बयान में कहा, ‘नया संशोधन दर्शाता है कि कर्नाटक सरकार श्रमिकों को इंसान मानने के लिए तैयार नहीं है, उन्हें भी जीवित रहने के लिए व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन की आवश्यकता है. इसके बजाय सरकार केवल कॉरपोरेट्स के फायदे बढ़ाने के लिए काम कर रही है.’
सरकार के इस प्रस्ताव पर एक बैठक के दौरान किटू नेताओं ने कार्य के घंटे को बढ़ाए जाने का कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर परिणाम की बात भी उठाई.
इस बैठक में कर्नाटक सरकार के श्रम मंत्री संतोष लाड और श्रम और आईटी-बीटी विभागों के अधिकारी शामिल हुए. किटू के नेताओं द्वारा संशोधनों पर आपत्ति जताने के बाद लाड ने कानून में बदलाव के किसी भी निर्णय से पहले दूसरी बैठक का वादा किया.
किटू ने आरोप लगाया कि सरकार आईटी उद्योग के दबाव में काम कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में उद्योग जगत से कोई भी मौजूद नहीं था, लेकिन उनके कुछ एजेंटों को वहां देखा गया था, जो आमतौर पर ऐसे मामलों में सरकार के संपर्क में रहते हैं.
बैठक में किटू नेताओं ने फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि आईटी क्षेत्र के 45 प्रतिशत कर्मचारियों को अवसाद जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा और 55 प्रतिशत कर्मचारियों को शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं थीं.
किटू ने जोड़ा, ‘काम के घंटे बढ़ने से यह स्थिति और भी खराब हो जाएगी.’