बृजभूषण के उत्पीड़न की व्यापकता उनके ख़िलाफ़ दर्ज आपराधिक आरोपों से कहीं अधिक: रिपोर्ट

खेलों और अधिकारों से जुड़े वैश्विक संगठन स्पोर्ट्स एंड राइट्स एलायंस ने भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन शोषण के आरोपों को लेकर जारी रिपोर्ट में कहा कि भारतीय ओलंपिक संघ संघर्ष कर रहे पहलवानों के साथ खड़े होने, या उन्हें समाधान देने में विफल रहा.

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बृजभूषण शरण सिंह (दाएं) और जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, संगीता फोगाट. (फोटो साभार: ट्विटर/फेसबुक )

नई दिल्ली: पेरिस ओलंपिक से ठीक पहले खेलों और अधिकारों से जुड़े वैश्विक संगठन- स्पोर्ट्स एंड राइट्स एलायंस (एसआरए) ने भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख और भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है.

रिपोर्ट के मुताबिक, एसआरए ने भारतीय पहलवानों के यौन उत्पीड़न और शोषण के पैटर्न की जानकारी साझा करते हुए कहा है कि बृजभूषण सिंह के अनुचित व्यवहार, उत्पीड़न की व्यापकता उनके खिलाफ दायर आपराधिक आरोपों से कहीं अधिक है.

एसआरए, जो बृजभूषण सिंह के खिलाफ भारतीय पहलवानों द्वारा लगाए गए शोषण-उत्पीड़न के आरोपों की निगरानी कर रहा है, ने मंगलवार (23 जुलाई) को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) पीड़ित पहलवानों को पर्याप्त समर्थन देने में विफल रहा है.

एसआरए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘भारतीय ओलंपिक संघ बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में साल भर से अधिक समय तक संघर्ष कर रहे पहलवानों के साथ खड़े होने, उनके आरोपों की जांच कराने या उन्हें समाधान तक पहुंच मुहैया करवाने में विफल रहा है.’

मालूम हो कि एसआरए दुनिया के कई गैर-सरकारी संगठनों का एक अंतरराष्ट्रीय समूह है, जो खेल जगत में मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में काम करता है.

संगठन ने अपनी इस रिपोर्ट के लिए कई भारतीय पहलवानों से बात की, जिनका कथित तौर पर बृजभूषण सिंह ने उत्पीड़न किया था. इस रिपोर्ट में पहलवानों की बातें, उनके अनुभव प्रकाशित किए गए हैं, जिसे यहां पढ़ा जा सकता है.

‘भारतीय समाज शोषण-उत्पीड़न को सामान्य मानता है’

इस संबंध में दो बार की ओलंपियन और पेरिस ओलंपिक्स 2024 की प्रमुख दावेदार विनेश फोगाट ने एसआरए को बताया कि भारतीय समाज शोषण-उत्पीड़न को तब तक गंभीर नहीं मानता, जब कुछ बहुत बड़ा या भयानक न हो. आमतौर पर इसे सामान्य मान लिया जाता है, लेकिन ये कुछ वैसा ही है जैसे कुश्ती लड़ते समय आप एक अंक से हारें या दस अंक से, आप हारेंगे ही. फिर उत्पीड़न चाहे बड़ा हो या छोटा, उत्पीड़न ही होता है, क्योंकि ये हमारी मर्जी के खिलाफ है.

ज्ञात हो कि विनेश फोगाट अपने साथी पहलवानों साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया के साथ, बृजभूषण सिंह के खिलाफ साल भर चले विरोध प्रदर्शन के प्रमुख चेहरों में शामिल थीं.

इस दौरान उनके खिलाफ नफरत और हिंसा का एक घृणित अभियान भी चलाया गया था, जिसमें उनकी क्षमताओं पर सवाल उठाए गए थे. जबकि, इस साल अप्रैल में फोगाट अपने तीसरे ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं.

उन्होंने एसआरए को बताया, ‘यदि देश के जाने-माने खिलाड़ियों को इंसाफ नहीं मिल पा रहा, उन्हें अपनी बात रखने के लिए इतना संघर्ष करना पड़ रहा है, तो कल्पना कीजिए कि सामान्य खिलाड़ी या व्यक्ति खुद को इस माहौल में कैसे सुरक्षित महसूस कर सकता है, उनकी कौन सुनेगा?’

जांच समिति का दिखावा

एसआरए की रिपोर्ट में सिंह के खिलाफ सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन शुरू होने के तुरंत बाद सरकार द्वारा जनवरी 2023 में गठित एक पांच सदस्यीय विशेष जांच समिति के समक्ष गवाही देने के पहलवानों के अनुभव को भी साझा किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पहलवानों ने इस समिति के दृष्टिकोण को ‘संदेहपूर्ण’ बताया है. उनका कहना था कि समिति बृजभूषण सिंह के उत्पीड़न का वीडियो और ऑडियो ‘सबूत’ देखना चाहती थी.

संगीता फोगाट ने एसआरए को बताया, ‘समितियां उन लोगों के साथ बनाई गई थीं, जो खुद नहीं जानते थे कि यौन उत्पीड़न क्या है.’

एक अन्य पहलवान ने कहा कि उनके साथ हुए उत्पीड़न की बातों को ठीक से सुना ही नहीं गया … उसे गलत तरीके से समझकर उसकी गलत व्याख्या कर दी गई.

पीड़ित को ही कटघरे में खड़े करने के समिति के रवैये को रेखांकित करते हुए एसआरए ने कहा, ‘जब खिलाड़ियों को लगता है कि उनकी रक्षा के लिए बनाई गई प्रणाली सबसे पहले पीड़ितों को दोषी ठहराने और अपराधियों पर विश्वास करने के लिए स्थापित की गई है, तो यह न केवल उन खिलाड़ियों को इससे उबरने की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि जांच को आगे बढ़ाना भी लगभग असंभव बना देता है, और अन्य बचे लोगों को रिपोर्ट करने से हतोत्साहित करता है.’

मालूम हो कि अप्रैल 2023 में पेश इस समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया था, न ही इस रिपोर्ट में सिंह के खिलाफ किसी कार्रवाई की सिफारिश नहीं की थी, जिसके चलते पहलवानों को प्रदर्शन के लिए दोबारा सड़कों पर उतरना पड़ा था.

‘संस्थागत सुधार नहीं हुआ’

बृजभूषण सिंह के खिलाफ बढ़ते चौतरफा दबाव और आक्रोश के मद्देनजर, डब्ल्यूएफआई को मई 2023 में नए सिरे से चुनाव कराने या निलंबन का सामना करने के लिए कहा गया था. ये चुनाव भी कानूनी विवादों से घिरे रहे और कई बार इसकी प्रक्रिया में कई बार देरी देखने को मिली.

जैसे-तैसे चुनाव के बाद आख़िरकार बृजभूषण के करीबी संजय सिंह को भारतीय कुश्ती संघ का प्रमुख चुना गया, जिसके बाद संजय सिंह की जीत का एक बैनर भी बृजभूषण सिंह के घर के बाहर देखने को मिला, जिसमें लिखा था, ‘दबदबा है, दबदबा रहेगा.’

पहलवान के आरोपों के संबंध में भारत की संस्थागत प्रतिक्रिया पर सवाल उठाते हुए एसआरए निदेशक एंड्रिया फ्लोरेंस ने कहा, ‘कथित तौर पर उत्पीड़न के आरोपी के इतने करीब से जुड़े किसी व्यक्ति का चुना जाना एक स्पष्ट संकेत है कि संघ में प्रणालीगत सुधार नहीं हुआ है. बृजभूषण सिंह के अनुचित व्यवहार से लेकर उनकी संघ में पैठ तक पर एक व्यापक, पारदर्शी जांच होनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने यहां 10 वर्षों से अधिक समय तक अपना राज चलाया है.

इस मामले पर ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि खिलाड़ियों की सुरक्षा और सिंह की जवाबदेही की मांग को लेकर महीनों तक चले विरोध प्रदर्शन के दौरान पहलवानों को उनकी मांगों के प्रतिशोध में उत्पीड़न, धमकी, गिरफ्तारी और हिरासत का शिकार होना पड़ा.

रिपोर्ट की सिफारिशें

इस रिपोर्ट में भारत सरकार, यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग और आईओसी के लिए कई सिफारिशें की गई हैं.

रिपोर्ट में भारत सरकार से खिलाड़ियों के उत्पीड़न आरोपों से जुड़ी गोपनीय जानकारी लीक करने के लिए दिल्ली पुलिस की भूमिका की जांच की सिफारिश की गई है. इसमें विशेष समिति द्वारा प्रस्तुत 2023 की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए भी कहा गया है.

इस रिपोर्ट में यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के लिए कहा गया है कि वो आईओसी के सहयोग से भारतीय कुश्ती संघ की पूरी जांच करें और निष्कर्षों को सार्वजनिक करें. साथ ही कुश्ती के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर प्रशासनिक या गवर्नेंस पदों को भरने के लिए प्रक्रियात्मक आवश्यकता के तौर पर संबंधित व्यक्ति की पृष्ठभूमि की जांच की जाए.

इसके अलावा रिपोर्ट में उत्पीड़न का सामना करने वाले खिलाड़ियों के लिए एक हॉटलाइन की भी सिफारिश की गई है. एसआरए की नेटवर्क समन्वयक जोआना मारान्हाओ ने कहा, ‘उत्पीड़न का सामना करने वाले खिलाड़ियों के लिए हॉटलाइन एक लाइफ लाइन है.’

हालांकि, वर्तमान आईओसी हॉटलाइन इस उद्देश्य के लिए उपयुक्त नहीं है. इसमें पीड़ित को सुनने वाले दृष्टिकोण की कमी है. क्योंकि मदद मांगना पहले से ही एक संघर्ष है, इसलिए यह जरूरी है कि न्याय और समाधान के रास्ते स्पष्ट और कुशल हों.