केंद्र के 7 लाख मामले अदालतों में लंबित; आधे से अधिक में वित्त, रेलवे और रक्षा मंत्रालय पक्षकार

केंद्रीय क़ानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा राज्यसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार कुल 6,98,904 अदालती मामलों में पक्षकार है. 57 फीसदी मामले तीन मंत्रालयों- वित्त, रेलवे और रक्षा- से संबंधित हैं.

अर्जुन राम मेघवाल. (फोटो साभार: यूट्यूब स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार (25 जुलाई) को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि केंद्र सरकार करीब सात लाख अदालती मामलों में पक्षकार है. इनमें रक्षा, रेलवे और वित्त मंत्रालय के मामले 50 प्रतिशत से अधिक हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यसभा में अर्जुन मेघवाल द्वारा दिए आंकड़ों के अनुसार, सरकारी मंत्रालयों से जुड़े कुल 6,98,904 मामले अदालतों में लंबित हैं, जिसमें केंद्रीय मंत्रालय और विभाग पक्षकार हैं. इन मामलों में सबसे अधिक 57 प्रतिशत मामले तीन मंत्रालयों वित्त, रेलवे और रक्षा से संबंधित हैं.

मालूम हो कि लंबित मामलों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद नीरज शेखर ने सवाल किया था, जिस पर जवाब देते हुए कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि लंबित सरकारी मुकदमों का डेटा गतिशील है और ये बदलता रहता है.

हालांकि, उन्होंने कानून मंत्रालय के कानूनी सूचना प्रबंधन और ब्रीफिंग सिस्टम (एलआईएमबीएस) के डेटा की सहायता से आंकड़ें पेश किए, जिस पर सभी मंत्रालय अपने स्वयं के मामलों का विवरण दर्ज़ करते हैं.

एलआईएमबीएस डेटा के अनुसार, 19 जुलाई तक कुल 6,98,904 मामले अदालतों में लंबित थे जिनमें सरकार एक पक्षकार थी. इनमें सबसे अधिक लंबित मामले वित्त मंत्रालय से संबंधित हैं, जिनकी संख्या 1,89,289 है. इसके बाद रेल मंत्रालय का नंबर आता है, जिसके 1,14,557 मामले लंबित है. वहीं, रक्षा मंत्रालय के भी 95,467 मुकदमे लंबित हैं.

इन तीन मंत्रालयों के अलावा श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के 79,988 मामले और गृह मंत्रालय के 24,409 मामले लंबित हैं.

जानकारी के मुताबिक, सबसे अधिक मामले विभिन्न न्यायाधिकरणों में लंबित हैं, जिनकी संख्या 2,75,181 है. इसके बाद विभिन्न हाईकोर्ट में कुल 2,53,073 मामले लंबित हैं. लंबित मामलों की संख्या सुप्रीम कोर्ट में 17,779 है.

अपने जवाब में अर्जुन मेघवाल ने ये भी कहा कि लंबित मामलों को कम करना न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार में है, क्योंकि इन मामलों का निर्णय अदालतों द्वारा किया जाता है.

हालांकि, उन्होंने आगे ये भी कहा कि इन मामलों के जल्द निपटारे के लिए केंद्र सरकार अदालतों को पूरी सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.