नई दिल्ली: चेन्नई की भ्रष्टाचार विरोधी संस्था अरप्पोर इयक्कम ने पाया है कि अन्ना विश्वविद्यालय (चेन्नई) से संबद्ध इंजीनियरिंग कॉलेजों में फैकल्टी पदों को ‘फैंटम’ प्रोफेसरों से भरा गया है यानी ऐसे प्रोफेसर जो एक साथ कई फैकल्टी पदों पर आसीन हैं. अरप्पोर इयक्कम ने अपने निष्कर्षों में कहा है कि ऐसे 353 प्रोफेसर हैं.
वहीं, विश्वविद्यालय ने अपने स्तर पर जो जांच कराई है, उसमें पाया है कि 211 लोगों ने कई कॉलेजों में लगभग 2,500 रिक्तियों को भरा है. ऐसे भी उदाहरण मिले हैं, जहां एक व्यक्ति का नाम 30 से अधिक अलग-अलग पदों पर मिला है.
अन्ना विश्वविद्यालय के कुलपति आर. वेलराज ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमारी जांच के मुताबिक 211 लोग कई कॉलेजों में पूर्णकालिक फैकल्टी के रूप में काम कर रहे है. उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब यह नहीं है कि वे एक ही समय में सभी कॉलेजों में काम कर रहे थे. उनकी उपस्थिति केवल कागजों पर है. कॉलेजों ने विश्वविद्यालय द्वारा कराए जाने वाले निरीक्षणों के दौरान अपनी संबद्धता (विश्वविद्यालय से) बनाए रखने के लिए ऐसा किया है. इन कॉलेजों ने रिकॉर्ड पर नाम का उपयोग करने के लिए इन प्रोफेसरों को कुछ पैसे का भुगतान किया होगा. मेरा मानना है कि निरीक्षण टीमों को गुमराह करना धोखाधड़ी है.’
अन्ना विश्वविद्यालय की जांच में पाया गया कि इन 211 प्रोफेसरों में से एक को 32 विभिन्न कॉलेजों में फैकल्टी सदस्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया था. कुलपति कार्यालय के अनुसार, 433 संबद्ध इंजीनियरिंग कॉलेजों में पंजीकृत 52,500 फैकल्टी सदस्य हैं, जिनमें से 2,500 मामलों में दोहराव पाया गया है.
अन्ना विश्वविद्यालय आगे की कार्रवाई के लिए ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) और राज्य उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर रहा है. राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने भी विश्वविद्यालय से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
एनजीओ अरप्पोर इयक्कम ने विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एफिलिएशन ऑफ इंस्टीट्यूशंस (सीएआई) के पूर्व निदेशक, निरीक्षण समिति के सदस्यों, 224 कॉलेज प्रशासकों और 353 प्रोफेसरों की तत्काल और गहन जांच की मांग की है.
इस मामले को लेकर सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निदेशक, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, राज्यपाल आरएन रवि, मुख्य सचिव शिव दास मीणा, उच्च शिक्षा मंत्री पोनमुडी और उच्च शिक्षा सचिव प्रदीप यादव के पास शिकायतें दर्ज कराई गई हैं.