नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘मिमिक्री’ (नकल करना) के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सुनील सिंह को आचार समिति के सदस्यों की सिफारिश के आधार पर शुक्रवार को परिषद सभापति अवधेश नारायण सिंह द्वारा सदन से निष्कासित कर दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आरोप है कि इस साल 13 फरवरी को परिषद की कार्यवाही के दौरान एमएलसी सिंह ने अपने भाषण के दौरान मुख्यमंत्री की भाव-भंगिमा की नकल करने की कोशिश की थी.
समिति ने गुरुवार को उनके निष्कासन को हरी झंडी दी. सिंह राजद सुप्रीमो लालू यादव के करीबी माने जाते हैं. विधान परिषद की नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी ने सिंह के निष्कासन को ‘लोकतंत्र के इतिहास में काला अध्याय’ बताया है.
वहीं, नकल करने के आरोपों पर सुनील सिंह ने कहा, ‘मैंने कभी सीएम की नकल नहीं की, और यदि की भी होती, तो मुख्यमंत्री की नकल करने से किसी की सदन की सदस्यता नहीं छीन जा सकती. नीतीश कुमार ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने विधान परिषद में मुझ जैसे लोगों को धमकी दी थी कि बर्बाद कर दूंगा.’
इसी मामले में एक अन्य राजद एमएलसी मोहम्मद कारी सोहैब पर भी सीएम की मिमिक्री का आरोप था. सोहैब ने माफी मांग ली थी, जिस कारण से उन्हें विधान परिषद से दो दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था. सिंह ने माफी मांगने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उनके ऊपर आगे की कार्रवाई हुई.
कथित तौर पर ऊंची जाति के राजपूत नेता सुनील सिंह दो दशकों से अधिक समय से राजद प्रमुख लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी रहे हैं. सिंह बिहार के कोऑपरेटिव मार्केटिंग यूनियन के अध्यक्ष भी हैं.
आचार समिति द्वारा परिषद के कार्यवाहक सभापति अवधेश नारायण सिंह को रिपोर्ट सौंपने के एक दिन बाद सिंह के निष्कासन का प्रस्ताव पारित कर दिया गया.
सिंह पर 13 फरवरी को सदन में तीखी नोकझोंक के दौरान सीएम नीतीश के खिलाफ नारे लगाने का भी आरोप लगाया गया है.
इस बीच, एमएलसी के निष्कासन के विरोध में राजद विधायक काली पट्टी लगाकर सदन पहुंचे.