छत्तीसगढ़: कैग रिपोर्ट में स्वास्थ्य सुविधाओं में घोर अनियमितता और डॉक्टरों की भारी कमी सामने आई

छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में पेश कैग की रिपोर्ट में बताती है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग में स्वीकृत 74,797 पदों के मुकाबले अधिकारी-कर्मचारियों की संख्या 34.62 प्रतिशत कम है. नौ ज़िलों में 50 प्रतिशत से अधिक स्टॉफ की कमी से स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है.

प्रतीकात्मक फोटो. (साभार: फेसबुक/अबूझमाड़)

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कई बड़ी गड़बड़ियों का खुलासा किया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कैग की रिपोर्ट विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन, बीते शुक्रवार (26 जुलाई) को पेश की गई, जिसमें स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी 2016 से 2022 तक की ऑडिट रिपोर्ट में कई गंभीर खामियां पाई गई हैं.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में सरकारी स्वास्थ्यकर्मियों की कमी, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की खरीद में अनियमितताओं को उजागर किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में 3,753 करोड़ रुपये की चिकित्सा खरीदी में अनियमितता पाई गई है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग में स्वीकृत 74,797 पदों के मुकाबले अधिकारी-कर्मचारियों की उपलब्धता में कुल मिलाकर 34.62 प्रतिशत की कमी है. ये स्थिति बीजापुर, सुकमा और कोंडागांव जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में और बदतर है, जहां क्रमश: 68.18, 58.67 और 60.66 प्रतिशत लोगों की कमी है.

इसके अलावा राज्य के नौ जिलों में 50 प्रतिशत से अधिक संख्या में स्टॉफ की कमी से स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है.

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने अख़बार को बताया कि राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों की 71 फीसदी कमी है, वहीं क्लास 3 और 4 के क्रमशः 33% व 52% पैरामेडिक्स नहीं हैं.

रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च 2022 में सात जिला अस्पतालों में 103 आवश्यक दवाएं की उपलब्ध नहीं थीं. कोविड महामारी के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य चिकित्सा सेवा निगम लिमिटेड (सीजीएमएससीएल) ने कोविड समिति की सिफारिश के बिना 23.13 करोड़ रुपये की कोविड संबंधित वस्तुओं की खरीद की थी, जो गड़बड़ था.

राज्य की दवा खरीद में कथित अनियमितताओं की ओर भी इशारा करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि दवाओं, औषधि और मेडिकल उपकरणों की खरीद और आपूर्ति के लिए केंद्रीकृत खरीद एजेंसी छत्तीसगढ़ राज्य चिकित्सा सेवा निगम लिमिटेड होने के बावजूद साल 2016-22 के दौरान कुल खरीद के 26 से 50 प्रतिशत खरीद एजेंसी के बिना की गई थी.

इसमें यह भी दावा किया गया है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी करने में देरी के कारण 97.93 करोड़ रुपये की बिना परीक्षण वाली दवाओं की स्थानीय खरीद हुई.

ऑडिट रिपोर्ट में उपकरणों की फ़िज़ूल खरीद जैसे मुद्दों की ओर इशारा करते हुए कहा गया है,'”सीजीएमएससीएल छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम (सीजीएसपीआर) के अनुरूप खरीद मैनुअल तैयार करने में विफल रहा, जिसके कारण कई मामलों में सीजीएसपीआर का उल्लंघन करते हुए खरीद की गई. इसमें जोड़ा गया है कि ब्लैकलिस्टेड फर्मों से दवाओं की खरीद और गड़बड़ इन्वेंट्री प्रबंधन प्रणाली के कारण कथित तौर पर 33.63 करोड़ रुपये की दवाएं बर्बाद हुईं.

मालूम हो कि राज्य में 2013-2018 के दौरान भारतीय जनता पार्टी की और 2018-2023 तक कांग्रेस की सरकार थी.

इस मामले पर छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा है कि जांच शुरू कर दी गई है.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘कैग की रिपोर्ट वर्ष 2022 तक की है, जब कांग्रेस सत्ता में थी. रिपोर्ट में (दवाओं आदि की) खरीद में अनियमितता, विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, पैरामेडिकल स्टोर की कमी की बात कही गई है. मैं इन सब बातों से सहमत हूं और कहना चाहता हूं कि डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती का काम शुरू हो गया है. हमने पहले ही एक टीम बनाकर जांच शुरू कर दी है.’

इस संबंध में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस मामले में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि रिपोर्ट 2016-2022 की है.

उन्होंने आगे कहा, ‘यह जनता का पैसा है, सरकार जवाबदेह है और जवाबदेही तय होनी चाहिए.’