नई दिल्ली: इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने शनिवार को प्रसारण सेवा (विनिमयन) विधेयक के मसौदे में ‘गुप्त’ बदलावों की निंदा की, जो ऑनलाइन समाचार और मनोरंजन मीडिया को नियमों के दायरे में लाने का विस्तार करता है.
द हिंदू के मुताबिक, आईएफएफ ने एक बयान में कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नागरिक समाज, पत्रकारों या अन्य प्रमुख हितधारकों के प्रतिनिधित्व के बिना केवल मीडिया उद्योग के चुनिंदा प्रतिनिधियों से मुलाकात की. साथ ही, इसने नागरिक समाज की इस चिंता को दोहराया कि विधेयक ऑनलाइन मंचों के लिए और अधिक सेंसरशिप को जन्म देगा.
द हिंदू ने कहा है कि उसके पास उस विधेयक का एक संस्करण मौजूद है जिसे सार्वजनिक रूप से प्रसारित नहीं किया गया है. लेकिन इसकी विषय-वस्तु को अखबार ने साझा नहीं किया है क्योंकि कथित तौर पर दस्तावेज में ऐसे पहचान चिह्न हैं जिनसे मसौदा प्राप्त करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पहचान उजागर हो सकती है.
विधेयक के एकमात्र संस्करण के लिए जनता की टिप्पणी हेतु जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि यह दशकों पुराने केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 की जगह नया क़ानून लाने का एक प्रयास है. इस संस्करण में स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने मंचों पर जारी की जाने वाली सामग्री से पहले उसकी पूर्व स्क्रीनिंग के लिए ‘सामग्री मूल्यांकन समितियों’ का गठन करें.
विधेयक में सरकारी सदस्यता वाली एक प्रसारण सलाहकार परिषद के गठन का भी प्रावधान है, जो प्रसारकों के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई करेगी. इन आवश्यकताओं को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एक साधारण अधिसूचना के साथ स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन इंफ्लुएंसर्स पर लागू किया जा सकता है.
अक्सर राजनीतिक मुद्दों पर सामग्री पोस्ट करने वाले ऑनलाइन कंटेंट क्रिएटर एस. मेघनाद के 64,000 से अधिक सब्सक्राइबर हैं. हाल ही में उनके द्वारा इस विषय पर प्रसारित एक वीडियो का शीर्षक थे, ‘यह नया कानून यूट्यूब पत्रकारों को खत्म कर सकता है.’
आईएफएफ ने अपने सबसे हालिया बयान में कहा कि ‘मंत्रालय के नियामक दायरे में आने वाले हर प्रसारक को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित संहिता का पालन करना होगा, (और) ऐसा न करने पर … आर्थिक दंड या कारावास भी हो सकता है.’
केंद्र सरकार उन लोगों द्वारा डाले जाने वाले प्रभाव को लेकर चिंता भी व्यक्त कर चुकी है, जिन्हें वह ‘नेगेटिव इंफ्लुएंसर्स’ कहती है. सरकारी संचार पर मंत्रियों के समूह की 2021 की रिपोर्ट में, सरकार ने कहा कि ‘कुछ नकारात्मक प्रभाव डालने वाले लोग गलत बयान देते हैं और सरकार को बदनाम करते हैं’ और ‘इन पर लगातार नज़र रखने की ज़रूरत है ताकि उचित और समय पर प्रतिक्रिया दी जा सके.’