नई दिल्ली: झारखंड में सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने सोमवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के लोकसभा में दिए गए हालिया बयान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है.
दुबे ने बांग्लादेश से कथित घुसपैठ को रोकने के लिए झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ हिस्सों को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने की वकालत की थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 जुलाई को दुबे ने पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों के साथ-साथ बिहार के अररिया, किशनगंज और कटिहार जिलों और झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र को मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव रखा था.
उन्होंने संथाल परगना में घटती आदिवासी आबादी पर चिंता जताई, जिसे उन्होंने ‘बांग्लादेशी घुसपैठियों’ की बढ़ती संख्या बताया.
उनके बयान के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए राज्य के मंत्री दीपक बिरुआ ने भाजपा पर घुसपैठ के मुद्दे के बहाने झारखंड को विभाजित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने संसद में अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. हम उन्हें हमारे राज्य को विभाजित नहीं करने देंगे.’
जवाब में राज्य भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने स्पष्ट किया कि दुबे की टिप्पणी व्यक्तिगत थी और पार्टी के रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करती. मरांडी ने संवाददाताओं से कहा, ‘भाजपा इन टिप्पणियों से खुद को अलग करती है.’
इस बीच, भाजपा विधायकों ने भी राज्य विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया और हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले गठबंधन पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाने का आरोप लगाया.
भाजपा विधायक अनंत ओझा ने दावा किया कि संथाल परगना में आदिवासी आबादी कम हो रही है, उन्होंने ऐसी घटनाओं का आरोप लगाया जहां घुसपैठियों के खिलाफ विरोध करने पर आदिवासी छात्रों पर हमला किया गया. भाजपा विधायकों ने ऐसी चिंताओं को दूर करने के लिए क्षेत्र में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लागू करने की भी मांग की.
दूसरी ओर, झामुमो ने कांग्रेस विधायक शिल्पी नेहा तिर्की की बिहार से आने वाले लोगों के कारण झारखंड में जनसांख्यिकीय परिवर्तन के बारे में टिप्पणी से खुद को अलग करने की कोशिश की. राज्य मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने जोर देकर कहा कि तिर्की के विचार गठबंधन का दृष्टिकोण नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘हम जन्म और दिल से झारखंडी हैं.’
बाद में तिर्की ने अपने बयान को स्पष्ट करते हुए जोर दिया कि इसे गलत तरीके से समझा गया. उन्होंने कहा, ‘मैंने घुसपैठिया शब्द का इस्तेमाल तक नहीं किया.’
तिर्की ने झारखंड में जनसांख्यिकीय परिवर्तनों को स्वीकार किया था, खास तौर पर रांची को, जिसे उन्होंने एक प्रमुख उदाहरण के रूप में उद्धृत किया. उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘रांची संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है. हालांकि, इस सुरक्षा के बावजूद राज्य के बाहर के लोग आदिवासी जमीन खरीदकर शहर में बस जाते हैं. वे राशन कार्ड, आधार कार्ड प्राप्त करते हैं और अपने मूल राज्य और झारखंड दोनों से लाभ उठाते हैं. इससे रांची में आदिवासी आबादी में उल्लेखनीय गिरावट आई है.’
वर्तमान में झारखंड के 24 जिलों में से 11 पूरी तरह से और तीन आंशिक रूप से संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं. इस अनुसूची में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और संरक्षण के प्रावधान शामिल हैं.