केंद्रीय सूचना आयोग में रिक्तियों को लेकर एनसीपीआरआई का पीएम मोदी और राहुल गांधी को पत्र

एनसीपीआरआई ने 12 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्ष के नेताओं को उनके प्रदेश के संबंधित राज्य सूचना आयोगों में रिक्तियों को भरने के लिए भी पत्र लिखा है. फिलहाल पांच राज्यों में सूचना आयोग काम नहीं कर रहे हैं.

सीआईसी. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: सूचना के जनअधिकार का राष्ट्रीय अभियान (एनसीपीआरआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा में विपक्ष के नेता  राहुल गांधी को पत्र लिखकर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पर चिंता व्यक्त की है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीपीआरआई ने 12 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्ष के नेताओं को उनके प्रदेश के संबंधित राज्य सूचना आयोगों (एसआईसी) में रिक्तियों को भरने के लिए भी पत्र लिखा है. फिलहाल पांच राज्य सूचना आयोग काम नहीं कर रहे हैं. इनमें झारखंड एसआईसी मई 2020 से, तेलंगाना एसआईसी 24 फरवरी 2023 से, त्रिपुरा एसआईसी 13 जुलाई 2021 से, मध्य प्रदेश एसआईसी 28 मार्च 2024 से और गोवा एसआईसी 1 मार्च 2024 से के नाम शामिल हैं.

इसके अलावा कई अन्य आयोग भी रिक्त पदों और बड़े बैकलॉग के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. सीआईसी तीन आयुक्तों के साथ काम करता है और उसके पास लगभग 23,000 मामले लंबित हैं.

मालूम हो कि प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष दोनों ही आरटीआई अधिनियम के तहत स्थापित चयन समिति के सदस्य हैं. इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज, निखिल डे और वेंकटेश नायक समेत अन्य शामिल हैं.

अखबार के मुताबिक, मौजूदा समय में कर्नाटक एसआईसी में बिना प्रमुख के तीन आयुक्त हैं और 40,000 से अधिक मामलों का बैकलॉग है. दो आयुक्तों वाले बिहार एसआईसी में लगभग 28,000 मामले लंबित हैं. छत्तीसगढ़ एसआईसी, जिसमें दो आयुक्त भी हैं, के पास लगभग 17,500 मामले लंबित हैं. राजस्थान एसआईसी एक आयुक्त के साथ काम कर रहा है और इसमें लगभग 9,000 मामले लंबित हैं. छह आयुक्तों वाले महाराष्ट्र एसआईसी में 107,000 से अधिक मामले लंबित हैं.

पंजाब एसआईसी एक आयुक्त के साथ काम कर रहा है और इसमें लगभग 9,000 मामले लंबित हैं, जबकि पश्चिम बंगाल एसआईसी, दो आयुक्तों के साथ, 10,000 से अधिक मामलों का बैकलॉग है.

एनसीपीआरआई द्वारा लिखे इस पत्र में अक्टूबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला दिया गया है, जिसमें रिक्तियों को भरने में राज्य सरकारों की विफलता की आलोचना की गई थी. इस आदेश में अदालत ने कहा था कि यदि रिक्तियां नहीं भरी गईं तो सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 ही निष्प्रभावी हो जाएगा.

अदालत ने राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को निर्देश दिया था कि वे एसआईसी और सीआईसी में सूचना आयुक्तों के पदों पर रिक्तियों को भरने के लिए तुरंत कदम उठाएं.