केरल: वायनाड भूस्खलन पर वैज्ञानिकों को अपनी बात रखने से रोकने वाला आदेश सीएम ने वापस लेने कहा

केरल सचिवालय ने एक आदेश में कहा था कि राज्य का कोई भी वैज्ञानिक या भूस्खलन मामलों का जानकार वायनाड न जाए और न ही इस मामले को लेकर अपने विचार मीडिया के समक्ष रखे.

पिनराई विजयन. (फोटो साभार: फेसबुक/CMOKerala)

नई दिल्ली: केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन हादसे के बाद राज्य सरकार द्वारा वैज्ञानिकों को इस घटना के संबंध में अपनी बात रखने से रोकने के लिए एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि केरल का कोई भी वैज्ञानिक या भूस्खलन मामलों का जानकार वायनाड का दौरा न करे और न ही इस मामले को लेकर अपने विचार मीडिया के सामने रखे.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस आदेश के जारी होने के कुछ ही घंटों बाद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इसे वापस लिए जाने की घोषणा की. उन्होंने अपने आधिकारिक फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि राज्य सरकार की ऐसी कोई नीति नहीं है ,जो वैज्ञानिकों को इस तरह से रोके.

मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव से यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि संबंधित अधिकारी इस आदेश को तुरंत वापस लें.

मालूम हो कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के बयान के लगभग एक घंटे बाद केरल के मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि ये आदेश वैज्ञानिक समुदाय को अध्ययन करने और उनकी राय को रखने से रोकने के लिए नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य ऐसे बयानों से बचना था जिनकी गलत व्याख्या से आपदा प्रभावित संवेदनशील क्षेत्र में रह रहे लोगों के बीच डर और भ्रम का माहौल पैदा हो सकता हो.

हालांकि, आगे मुख्य सचिव वेणु वी. ने ये भी कहा कि ये अपवाद हैं और पिछले दो दिनों में ऐसे कुछ ही मामले सामने आए हैं.

मुख्य सचिव ने कहा, ‘हम मानते हैं कि वैज्ञानिक अध्ययनों का बहुत महत्व है. ये जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में राज्य के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाल सकते हैं, और हमारी समझ को बढ़ाकर हमारी योजनाओं को आकार दे सकते हैं. हालांकि, ये भी जरूरी है कि अभी बचाव और पुनर्वास पर पहले ध्यान दिया जाए और किसी भी तरह से बयानों की गलत व्याख्या कर लोगों के बीच दहशत का माहौल न बनाया जाए, जो बचाव कार्य में बाधा बन सकता है. ये आदेश अपनी मंशा सही से समझाने में विफल रहा, इसलिए इसे वापस लिया जा रहा है.’

इससे पहले, केरल सचिवालय के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन और आवास विभाग ने एक नोट जारी कर वैज्ञानिक समुदाय को ‘अपनी राय और अध्ययन रिपोर्ट मीडिया के साथ साझा करने से रोकने’ का निर्देश दिया था.

द वायर द्वारा देखे गए नोट में केरल के सभी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों को वायनाड के मेप्पाडी पंचायत क्षेत्र का दौरा न करने का निर्देश दिया गया है, जहां 30 जुलाई की सुबह कई भूस्खलन हुए थे. नोट में लिखा है कि इस क्षेत्र को ‘आपदा प्रभावित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित’ किया गया है.

नोट में ये भी कहा गया था कि यदि आपदा प्रभावित क्षेत्र में कोई अध्ययन किया जाना है, तो केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से इसकी पूर्व अनुमति लेनी होगी. इस आदेश पर केरल सरकार के आपदा प्रबंधन राज्य राहत आयुक्त और प्रधान सचिव टिंकू बिस्वाल के हस्ताक्षर थे.