नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राज्यसभा में गुरुवार (1 अगस्त) को जानकारी दी कि पिछले साल यानी 2023 में 2,16,219 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने एक सवाल के लिखित जवाब में पिछले पांच सालों (2019-23) में अपनी नागरिकता छोड़ने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या के बारे में आंकड़े पेश किए. उन्होंने साल 2011 से 2018 के भी आंकड़े राज्यसभा में साझा किए.
विदेश राज्य मंत्री के आंकड़ों के अनुसार, 2023 की तुलना में 2022 में 2,25,620 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी थी. जबकि 2021 में 1,63,370, साल 2020 में 85,256 और 2019 में 1,44,017 नागरिकों ने अपनी नागरिकता त्यागी थी.
मालूम हो कि राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने इस संबंध में सरकार से सवाल पूछा था. उन्होंने ये भी पूछा था कि क्या सरकार ने ‘बड़ी संख्या में लोगों के नागरिकता छोड़ने’ और ‘भारतीय नागरिकता की कम स्वीकार्यता’ के पीछे की वजहों का पता लगाने के लिए कोई कदम उठाए हैं. यदि हां, तो उसका विवरण क्या है.
उनका सवाल यह भी था कि क्या बड़ी संख्या में नागरिकता छोड़ देने की वजह से होने वाले ‘वित्तीय और बौद्धिक नुकसान’ का कोई आकलन किया गया है.
आप सांसद के सवाल का जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि नागरिकता छोड़ने या लेने का फैसला व्यक्तिगत होता है.
मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि सरकार ज्ञान और अर्थव्यवस्था के युग में वैश्विक कार्यस्थल की क्षमता को पहचानती है. इससे भारतीय प्रवासियों के साथ अपने जुड़ाव में भी परिवर्तनकारी बदलाव आए हैं. एक सफल, समृद्ध और प्रभावशाली प्रवासी भारतीय समुदाय देश के लिए एक संपत्ति है.