दिल्ली: मानसिक रोगियों के सरकारी आश्रय गृह में लगातार कई मौतें, विपक्ष ने ‘आप’ सरकार को घेरा

दिल्ली के रोहिणी में मानसिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए बने सरकारी आश्रय गृह 'आशा किरण' में एक जुलाई से 31 जुलाई के बीच चौदह लोगों के मरने की ख़बर सामने आई है. सभी मृतकों में दस्त-उल्टी के समान लक्षण थे. इसे लेकर उठे राजनीतिक विवाद के बाद जांच के आदेश दिए गए हैं.

आशा किरण शोल्टर होम. (फोटो साभार: एक्स/@ritesh_ks)

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के रोहिणी इलाके में मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए बने सरकारी आश्रय गृह ‘आशा किरण’ में 14 की लोगों की मौत का मामला इस वक्त सुर्खियों में है. ये संस्था दिल्ली सरकार द्वारा संचालित है और अब इस मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) विपक्ष यानी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के निशाने पर है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस शेल्टर होम में रहने वाले चार लोगों की मौत 1 जुलाई से 15 जुलाई के बीच हुई. वहीं, 15 से 31 जुलाई के बीच 10 लोगों के मरने की खबर सामने आई. सभी मरने वालों में दस्त और उल्टी के समान लक्षण दिखाई दिए. इसके अलावा इस शेल्टर होम में रहने वाले 54 लोगों को इलाज़ के लिए जुलाई महीने में दो किलोमीटर दूर डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल भेजा गया. बताया जा रहा है कि यह संख्या सामान्य से ज्यादा है.

अख़बार के मुताबिक, इस साल आशा किरण में सात महीने में 28 लोगों की मौत हुई है. साल 1989 में बने इस आश्रय गृह में 500 लोगों के भर्ती होने की क्षमता है, लेकिन यहां 1,000 लोग रह रहे हैं, जहां महिलाओं और पुरुषों के लिए 10-10 डॉरमेट्री हैं. हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में भर्ती मरीजों के इलाज के लिए यहां सिर्फ 6 डॉक्टर और 17 नर्स हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, इस मामले में दिल्ली सरकार ने राजस्व विभाग को मजिस्ट्रेट जांच करने और 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. इस संबंध में दिल्ली सरकार की राजस्व मंत्री आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि किसी की लापरवाही पाई जाती है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा.

सरकार ने क्या कहा?

आतिशी ने बताया कि आश्रय गृह में अलग-अलग कैटेगरी के मानसिक रूप से कमजोर लोग रहते हैं. उन्हें अन्य बीमारियां भी हैं. कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं जिन्हें 24 घंटे देखभाल की जरूरत होती है. वहां 980 मरीज हैं, जिनकी देखभाल के लिए 450 कर्मचारी तीन शिफ्ट में काम करते हैं. मरने वाले लोगों में से 13 वयस्क और एक नाबालिग है.

आतिशी ने कहा कि आश्रय गृह में 14 मरीजों की मौत एक गंभीर मामला है. मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है. कुछ मरीजों को अन्य बीमारियां भी थीं. घटना की मजिस्ट्रेट जांच की शुरुआती रिपोर्ट 24 घंटे में आ जाएगी. यदि किसी की लापरवाही पाई जाती है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा.

विपक्ष ने ‘आप’ को घटना का जिम्मेदार बताया

विपक्ष ने इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी पर जमकर निशाना साधा. भाजपा के साथ ही दूसरे राज्यों में ‘इंडिया’ गठबंधन की सहयोगी आप पर कांग्रेस ने भी हमला बोला और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफ़े की मांग की.

मीडिया से बातचीत में कांग्रेस नेता अभिषेक दत्त ने शुक्रवार (2 अगस्त) को दिल्ली सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा, ‘यह बहुत दुखद घटना है. यह देखकर दुख होता है कि एक तरफ शेल्टर होम में क्षमता से दोगुने लोगों को रखा गया है. वहीं, दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल अपने 170 करोड़ के ‘शीशमहल’ में रह रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘वह स्वास्थ्य मॉडल की बात करते थे. उन्हें तुरंत अपने पद से हटा दिया जाना चाहिए. भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है और दुख की बात है कि कोई भी इस्तीफा नहीं दे रहा है. यहां के सरकारी अस्पताल केवल प्रचार के लिए हैं. लोग शीला दीक्षित द्वारा बनाई गई दिल्ली को याद करते हैं.’

उधर, गठबंधन की अन्य पार्टी शिवसेना (उद्दव ठाकरे गुट) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी कहा कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

एक बयान में प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हर कोई महिलाओं के मुद्दे उठाना चाहता है, हर कोई महिलाओं के वोट चाहता है. लेकिन सरकार बनने के बाद कोई भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेता. जो लोग जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ उचित कार्रवाई होनी चाहिए. महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए.

उत्तर पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने इस मामले पर आप सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी असंवेदनशील हो गई है.

उन्होंने कहा, ‘शब्द नहीं हैं… आम आदमी पार्टी सरकार को सचेत करने, जगाने के लिए किस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. मेरा मानना ​​है कि भगवान भी इस घटना पर रो रहे होंगे. मुझे आप सरकार की निंदा के अलावा कोई शब्द नहीं मिल रहा है.’

मनोज तिवारी ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार इतनी असंवेदनशील हो गई है कि 76,000 करोड़ रुपये का बजट लेने के बावजूद कोई सुविधा या सुरक्षा देने के प्रति गंभीर नहीं है.’

उधर, आशा किरण का दौरा करने वाली राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) प्रमुख रेखा शर्मा ने कहा कि कड़ी जांच की जरूरत है. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यहां कई तरह की अनियमितताएं हैं. मौत के कई मामले सामने आए हैं और प्रथमदृष्टया पानी दूषित है, फिल्टर की कोई सुविधा नहीं है. इनमें से ज्यादातर की मौत डायरिया के कारण हुई है. आश्रय गृह में बहुत ज्यादा संख्या में लोग रह रहे हैं. शौचालय की कोई ठीक सुविधा नहीं है.

उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने उनसे कागजात की मांग की…लेकिन यहां आने और जाने के लिए कोई रजिस्टर नहीं है…कोई बायोमेट्रिक उपस्थिति नहीं है… यहां मौजूद कर्मचारी अप्रशिक्षित और अनियमित हैं… वे काम पर प्रशिक्षण ले रहे हैं…इस मामले में एक सख्त और स्वतंत्र जांच की जानी चाहिए और मैं केंद्र सरकार से इसकी मांग करूंगी…मैं अपनी रिपोर्ट भी केंद्र सरकार को सौंपूंगी…’

बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है. उन्होंने मुख्य सचिव से मामले की रिपोर्ट मांगने के साथ ही दिल्ली सरकार के सभी प्रमुख विभागों से सभी शेल्टर होम्स की स्थिति पर भी एक रिपोर्ट पेश करने और इनके संबंध में एक श्वेत पत्र जारी करने का निर्देश दिया है.