राजस्थान: प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र को लेकर हिंसा, स्थानीय और पुलिस के बीच झड़प

राजस्थान के बांसवाड़ा में परमाणु ऊर्जा संयंत्र को लेकर विस्थापन संबंधी मसलों को लेकर स्थानीय विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि संयंत्र की वजह से परिवार प्रभावित हुए हैं, इसलिए परिवार के हर व्यक्ति को अलग इकाई मानकर घर-रोज़गार मिले. इसके बाद ही वे अपनी ज़मीन और घर छोड़ेंगे.

बांसवाड़ा में विरोध करते लोग. (फोटो साभार: सोशल मीडिया स्क्रीनग्रैब. एक्स/@TribalArmy

नई दिल्ली: राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रस्तावित माही परमाणु ऊर्जा संयंत्र की चारदीवारी के निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों का भारी विरोध देखने को मिला है. शुक्रवार (2 अगस्त)को छोटी सरवन गांव के निवासियों और पुलिस के बीच झड़प के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, शुक्रवार को करीब तीन घंटे चली इस विवाद के बीच तीन पुलिसकर्मी और कई ग्रामीण घायल हो गए. वहीं, भारत आदिवासी पार्टी के एक स्थानीय पदाधिकारी समेत 12 लोगों को हिरासत में लिया गया है.

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जल्द ही इस 2,800 मेगावाट के परमाणु संयंत्र की आधारशिला रखने की उम्मीद है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, बांसवाड़ा के प्रस्तावित माही परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण के लिए इस क्षेत्र में आने वाले 6 गांव बारी, सजवानियां, रेल, खड़िया देव, आडी भीत और कुटुंबी के करीब 3,000 लोगों को विस्थापित किया जा रहा है. लेकिन स्थानीय लोग अपनी मांगें पूरी होने तक यहां से हटने को तैयार नहीं हैं.

डेक्कन हेराल्ड  के अनुसार, इन लोगों का कहना है कि ऊर्जा संयंत्र की वजह से यहां के परिवार प्रभावित हुए हैं. इस कारण परिवारों के सभी युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाए. परिवार के हर व्यक्ति को अलग इकाई मानकर आवास और रोजगार मिले. इसके बाद ही वे अपनी जमीन और घरों को खाली करेंगे.

इसी संबंध में शुक्रवार को जब पुलिस ऊर्जा संयंत्र की चारदीवारी का निर्माण देखने पहुंची, तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए नारेबाज़ी की. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की, जिसके बाद स्थानीय लोग पुलिस से भिड़ गए और पथराव हुआ. जवाब में पुलिस ने ला चार्ज करते हुए आंसू गैस के गोले छोड़े और रास्ता जाम कर रही महिलाओं को हटाया.

जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है, साथ ही झूठी अफवाह फैलाकर भ्रमित करने पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है.

प्रशासन का कहना है कि इन लोगों को वैकल्पिक जमीन आवंटित कर दी गई है. इसके अलावा सरकार 415 करोड़ रुपये का मुआवजा भी दे चुकी है.

बताया गया है कि सरकार ने इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना के लिए 553 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करने के लिए 415 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है. इसके अलावा विस्थापित ग्रामीणों के लिए घर बनाने के लिए पास के खरिया देव में 60 हेक्टेयर भूमि की भी पहचान की गई है.

हालांकि, स्थानीय जनता अस्पताल की स्थापना सहित अपनी सभी मांगें पूरी होने तक हटने को तैयार नहीं है.

गौरतलब है कि पिछले महीने जुलाई में हजारों आदिवासी लोग अपनी चिंताओं और समस्याओं को लेकर प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र का विरोध करने बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में एकत्र हुए थे. इससे पहले इन ग्रामीणों ने अपनी मांगों को लेकर लोकसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया था.