बांग्लादेश: आरक्षण के ख़िलाफ़ हिंसक आंदोलन के बीच पीएम शेख़ हसीना का इस्तीफ़ा, देश छोड़ा

बांग्लादेश में शुरुआत में आरक्षण को लेकर शुरू हुए प्रदर्शन ने सरकार विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया था. देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा के बीच प्रधानमंत्री शेख़ हसीना देश छोड़कर भारत में उत्तर प्रदेश स्थित भारतीय वायुसेना के हिंडन एयरबेस पहुंची हैं. वहीं, बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने कहा है कि अब देश में अंतरिम सरकार का गठन किया जा रहा है.

शेख़ हसीना. (फोटो साभार: फेसबुक/Bangladesh Awami League)

नई दिल्ली: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर जारी हिंसक विरोध प्रदर्शन में रविवार (4 अगस्त) को कम से कम 98 लोगों की मौत हो गई. वहीं हज़ारों की संख्या में लोग घायल हो गए. फिलहाल, देशभर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है और इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं.

रिपोर्ट के अनुसार , इस बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफ़ा दे दिया और देश छोड़कर निकल गईं.

देश छोड़ने के बाद वह सोमवार शाम को भारत में उत्तर प्रदेश स्थित भारतीय वायुसेना के हिंडन एयरबेस पर पहुंचीं, जहां उनसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मुलाकात की. खबरों के मुताबिक, हसीना यहां से लंदन जाने वाली हैं.

ख़बरों के अनुसार, बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने कहा है कि शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद देश भर में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच सोमवार (5 अगस्त) को देश में अंतरिम सरकार का गठन किया जा रहा है.

एक संबोधन में वकर-उज-जमान ने घोषणा की, ‘आपको पता होना चाहिए कि हम ‘क्रांति काल’ में हैं. मैंने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को बुलाया था. हमने अच्छी चर्चा की और फैसला किया है कि हम एक अंतरिम सरकार बनाएंगे.’

सेना के जनरल ने यह भी कहा कि शेख हसीना ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है और पहले ही एक सैन्य हेलीकॉप्टर से देश से निकलकर कथित तौर पर भारत के त्रिपुरा राज्य में पहुंची हैं.

वकर-उज-जमान ने कहा कि वे आगे की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से मिलने जा रहे हैं.

दिलचस्प यह है कि उन्होंने कहा कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), जमात और जातीय पार्टी जैसे विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनके प्रस्ताव पर सहमति जताई है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि अवामी लीग के कोई भी नेता चर्चा का हिस्सा नहीं थे.

उन्होंने यह भी जोड़ा कि अंतरिम सरकार के लिए बातचीत ‘शुरुआती चरण’ में है, लेकिन वे सोमवार रात या अधिकतम एक-दो दिनों में इसका समाधान निकाल लेंगे.

एक सवाल के जवाब में सेना प्रमुख ने कहा कि अगर स्थिति शांतिपूर्ण रही, तो कर्फ्यू की कोई जरूरत नहीं होगी.

उन्होंने आंदोलनकारियों से धैर्य और सहयोग का आग्रह करते हुए कहा कि हिंसा से ‘कुछ हासिल नहीं होगा’ और लोगों से ‘इस तरह के आंदोलन को रोकने’ के लिए कहा. उन्होंने सभी छात्रों और प्रदर्शनकारियों से घर वापस जाने की अपील की है और जोड़ा कि उनकी सभी शिकायतों का समाधान किया जाएगा.

इससे पहले सोमवार को ख़बरें आई थीं कि शेख हसीना ने इस्तीफ़ा दे दिया है, और इसकी प्रतिक्रिया में स्थानीय टीवी चैनलों पर लोग सड़कों पर तालियां बजाते और गाते हुए नजर आए थे.

कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना सोमवार को बांग्लादेश छोड़कर किसी ‘सुरक्षित जगह’ चली गई हैं.

ख़बरें बताती हैं कि प्रदर्शनकारियों ने बिना किसी प्रतिबंध के बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास गणभवन में प्रवेश किया था.

रविवार को बांग्लादेश में हिंसा की एक नई लहर के कारण 100 से ज़्यादा लोग मारे गए और एक हज़ार से ज़्यादा लोग घायल हो गए. यह छात्र-नेतृत्व वाले असहयोग आंदोलन का पहला दिन था, जिसका उद्देश्य शेख हसीना पर पद छोड़ने का दबाव बनाना था.

ख़बरों के मुताबिक, इसके चलते देश के लगभग 20 जिलों में सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ता और सरकार के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के बीच झड़पें हुई और देश के कई हिस्से में हिंसा फैल गईं.

द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में आरक्षण को लेकर शुरू हुए इस प्रदर्शन ने अब सरकार विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया. देश के उत्तरी जिले सिराजगंज में गुस्साई भीड़ ने रविवार को एक पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया और 13 पुलिसकर्मियों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई.

वहीं, एक अन्य घटना में सिराजगंज के रायगंज उपजिला में हुई झड़पों में कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई. रविवार को हुई हिंसा में सबसे ज्यादा सिराजगंज में 18 लोगों की मौतों हुई. बढ़ती हिंसा के बीच भीड़ ने सत्ताधारी पार्टी के सांसदों के घरों, अवामी लीग कार्यालयों, पुलिस स्टेशनों, पुलिस कर्मियों के वाहनों और अस्पताल की गाड़ियों में भी आग लगा दी और तोड़फोड़ की.

रविवार को हुई भारी हिंसा को देखते हुए बांग्लादेश सरकार ने राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगाने और देशभर में 4जी मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद करने का ऐलान किया है. इसके साथ ही सरकार ने बैंकों सहित सार्वजनिक और निजी कार्यालयों को भी तीन दिनों तक बंद रखने का आदेश जारी किया है.

वहीं, प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपने आंदोलन को जारी रखने की घोषणा करते हुए सोमवार (5 अगस्त) को लॉन्ग मार्च करने की बात कही है.

न्यू एज बांग्लादेश की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शेख हसीना के सहायक प्रेस सचिव, एबीएम सरवर-ए-आलम ने शेख हसीना के हवाले से कहा है कि प्रदर्शन करने वाले छात्र नहीं है. ‘वे आतंकवादी हैं.’

लगातार जारी हिंसा के बीच खबर है कि बांग्लादेश के वीआईपी लोगों को सरकार ने खुद देश छोड़ने की अनुमति दी है. द वायर हिंदी को मिली जानकारी के अनुसार, देश से बाहर जाने वाले विशेष लोगों के नाम वाले दस्तावेज़ पर पर बांग्लादेश एविएशन की उच्च अधिकारी नासिमा शाहीन ने हस्ताक्षर किए हैं.

भारत ने नागरिकों से बांग्लादेश की यात्रा न करने को कहा 

बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा के मद्देनज़र भारत सरकार ने अपने नागरिकों को बांग्लादेश की यात्रा न करने परामर्श जारी किया है. विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों को सावधानी बरतने, अपनी गतिविधियां सीमित करने और ढाका में भारतीय दूतावास के आपातकालीन फोन नंबरों के साथ संपर्क में रहने की सलाह दी है.

विदेश मंत्रालय ने आपातकालीन फोन नंबर भी जारी किए हैं. ऐसी किसी भी स्थिति में +8801958383679 +8801958383680 +8801937400591 पर दूतावास से संपर्क किया जा सकता है.

इससे पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने 19 जुलाई को एक बयान में कहा था कि बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति उसका आंतरिक मसला है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया था कि बांग्लादेश में हमारे देश के लगभग 8,500 छात्र और लगभग 15,000 भारतीय नागरिक रहते हैं.

उन्होंने आगे कहा था, ‘हम विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर स्थानीय अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत हैं. हमारा उच्चायोग हमारे नागरिकों की सुरक्षा के लिए स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है. विदेश मंत्री स्वयं स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. उच्चायोग वहां की स्थिति पर नियमित अपडेट देता रहेगा. हम भी नियमित अपडेट देते रहेंगे और हम बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों के सभी परिवार के सदस्यों से संपर्क में रहने का आग्रह करते हैं. हम अपने नागरिकों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमारे सभी नागरिक सुरक्षित हैं.’

ज्ञात हो कि विश्वविद्यालयों के छात्र बीते कुछ समय से 1971 के मुक्ति युद्ध में लड़ने वालों के परिवार को मिले सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण का विरोध कर रहे है. 1971 में पाकिस्तान से आज़ादी की जंग लड़ने वालों को बांग्लादेश में मुक्ति योद्धा कहा जाता है. देश में एक तिहाई सरकारी नौकरियां इनके परिवारों के लिए आरक्षित हैं.

बांग्लादेश सरकार इससे पहले भी हिंसा के मद्देनज़र टीवी न्यूज़ चैनल बंद कर चुकी है और कई समाचार वेबसाइट और सोशल मीडिया एकाउंट भी निष्क्रिय कर दिए गए हैं.