दिल्ली: नगर निगम में ‘एल्डरमैन’ नियुक्ति के उपराज्यपाल के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने बरक़रार रखा

दिल्ली नगर निगम में 250 निर्वाचित और 10 नामांकित सदस्य होते हैं. शीर्ष अदालत ने पिछले साल इसी मामले में सुनवाई के दौरान कहा था कि उपराज्यपाल को 'एल्डरमैन' को नामित करने की शक्ति देने का मतलब होगा कि वह एक निर्वाचित नागरिक निकाय को अस्थिर कर सकते हैं.

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(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 अगस्त) को दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए फैसला सुनाया कि उपराज्यपाल (एलजी) को एमसीडी में एल्डरमैन को नामित करने का कानूनी अधिकार है, और वह इसके लिए मंत्रिपरिषद की सलाह के लिए बाध्य नहीं हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना दिल्ली नगर निगम में 10 एल्डरमैन को नामित करने के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती दी गई थी.

शीर्ष अदालत ने करीब 15 महीने तक सुरक्षित रखने के बाद दिल्ली सरकार की याचिका पर अपना फैसला सुनाया. 

पीठ ने कहा, ‘दिल्ली के एलजी से क़ानून के आदेश के अनुसार काम करने की अपेक्षा की जाती है, न कि मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार.’ 

उपराज्यपाल कार्यालय और दिल्ली सरकार के बीच तनावपूर्ण संबंधों पर असर डालने वाले अपने इस फैसले में पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि 1993 में संशोधित दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 3(3)(बी)(आई) एलजी को एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार देती है. 

पीठ ने यह भी कहा कि एलजी का यह अधिकार न तो ‘अतीत का अवशेष’ है और न ही संवैधानिक शक्ति का अतिक्रमण है.’

इसी मामले में पिछले साल शीर्ष अदालत ने कहा था कि एलजी को एमसीडी में एल्डरमैन को नामित करने की शक्ति देने का मतलब होगा कि वह एक निर्वाचित नागरिक निकाय को अस्थिर कर सकते हैं. एमसीडी में 250 निर्वाचित और 10 नामांकित सदस्य होते हैं.

दिसंबर 2022 में, आम आदमी पार्टी ने निकाय चुनावों में भाजपा को हरा दिया था. आप ने 134 वार्डों में जीत हासिल की और एमसीडी पर भगवा पार्टी के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया.  भाजपा ने 104 सीटें जीतीं थी और कांग्रेस नौ सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही. 

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा कि पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पूरे आदर के साथ असहमत है, और यह फैसला भारत के लोकतंत्र के लिए बड़ा झटका है.

अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए सिंह ने एक बयान में कहा, ‘यह भारत के लोकतंत्र के लिए एक बड़ा झटका है, चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर आप सारी शक्तियां उपराज्यपाल को देने जा रहे हैं, ताकि एलजी दिल्ली चला सकें.’

राज्यसभा सांसद ने कहा, ‘इस मामले में एक साल पहले सीजेआई और बाकी जजों की जो टिप्पणियां थीं, यह फैसला उसके ठीक विपरीत है.’