दिल्ली में पांच साल में 30,000 से अधिक निर्माण तोड़े गए, 52 फीसदी अकेले 2023 में: केंद्र

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में प्रस्तुत आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में विभिन्न सरकारी एजेंसियों ने पिछले पांच सालों में 30,853 संपत्तियों को तोड़ा. इस कार्रवाई में लगभग 103.27 करोड़ रुपये का ख़र्च आया.

दिल्ली के महरौली इलाके में ध्वस्त की गई मस्जिद. (प्रतीकात्मक फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: सोमवार को राज्यसभा में प्रस्तुत सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में भूमि-स्वामित्व रखने वाली विभिन्न एजेंसियों ने पिछले पांच सालों में 30,853 निर्माणों को तोड़ा, इनमें आधे से अधिक मामले अकेले 2023 में देखे गए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह के एक सवाल का जवाब देते हुए, आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी), दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) सहित अन्य ने विभिन्न अधिनियमों के प्रावधानों के तहत तोड़फोड़ की है.

राज्य मंत्री ने बताया कि 2019 से 2023 तक विभिन्न एजेंसियों द्वारा कुल 30,843 निर्माण ढहाए गए. इस साल, अब तक कुल 2,624 संपत्तियों को तोड़ा गया है. यह संख्या 2019 में 4804; 2020 में 2967; 2021 में 2927; 2022 में 4017; और 2023 में 16138 रही.

मंत्रालय के लिखित उत्तर में कहा गया है कि इसमें डीडीए द्वारा ध्वस्त किए गए 11,060 आवासीय निर्माण और 23 वाणिज्यिक इकाइयां शामिल हैं.

इसमें कहा गया है कि डीडीए ने 2019 से अब तक कुल 316.72 एकड़ अतिक्रमित भूमि को खाली कराया है.

मंत्रालय के उत्तर में बताया गया है कि इन एजेंसियों के पास उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, इन कार्रवाइयों से 20,643 लोग प्रभावित हुए हैं… विभिन्न एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, ध्वस्तीकरण पर लगभग 103.27 करोड़ रुपये का खर्च आया है.

राज्य मंत्री ने कहा कि ध्वस्तीकरण की इन कार्रवाइयों के कारणों में सरकारी भूमि पर अनधिकृत कब्ज़े और अतिक्रमण को हटाना तथा झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों का पुनर्वास शामिल है. उन्होंने कहा, ‘लगभग 2,462 झुग्गी-झोपड़ी निवासियों को पुनर्वास प्रदान किया गया.’

वर्ष 2023 में निर्माणों को ध्वास्त करने की गतिविधियों में वृद्धि पिछले वर्ष सितंबर में दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले अतिक्रमण विरोधी अभियान और स्वच्छता अभियान के साथ मेल खाती है.