बिहार: गांव में बिना सड़क के खुले मैदान में पुल बना, जांच के आदेश

मामला अररिया ज़िले का है, जहां खेतों के बीच बिना सड़क के पुल जैसी संरचना बनी नज़र आई. अधिकारियों ने बताया कि सीएम ग्रामीण सड़क योजना के तहत परमानंदपुर गांव में 2.5 किलोमीटर लंबी सड़क पर काम शुरू हो गया था, लेकिन किसानों से ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई.

अररिया जिले के रानीगंज में गांव में खुले मैदान में बना पुल. (फोटो साभार: X/@asifullahkhan)

नई दिल्ली: बिहार के अररिया जिले के रानीगंज में एक गांव में खुले मैदान में 35 फुट ऊंचे पुल के निर्माण पर सवाल उठ रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पुल के दोनों तरफ सड़क का कोई नामोनिशान नहीं है. अब मामले के तूल पकड़ने के बाद इस पुल को बनाने के लिए जिला प्रशासन ने ग्रामीण निर्माण विभाग से रिपोर्ट मांगी है.

अधिकारियों बताया कि सीएम ग्रामीण सड़क योजना के तहत परमानंदपुर गांव में 2.5 किलोमीटर लंबी सड़क पर काम शुरू हो गया था, लेकिन स्थानीय किसानों से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. यह पुल इस परियोजना का हिस्सा होना था और इसका उद्देश्य सड़क बनने के बाद भी खेत के एक तरफ से दूसरी तरफ पानी के जाने देना था.

उनका कहना है कि पुल का निर्माण उस स्थान पर किया गया, जहां पहले से ही जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है, लेकिन सड़क का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है, क्योंकि उसके लिए जमीन का अधिग्रहण अभी तक पूरा नहीं हुआ है.

ग्रामीण निर्माण विभाग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘भूमि अधिग्रहण कर पहले सड़क निर्माण शुरू करने के बजाय ग्रामीण निर्माण विभाग ने अधिग्रहित भूमि के एक टुकड़े पर 35 फुट का पुल बना दिया, जबकि परियोजना को तर्कसंगत तरीके से आगे बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.’

हालांकि, गांव के निवासियों को इस परियोजना के बारे में बहुत कम जानकारी है और वे खेत के बीच में पुल के निर्माण से हैरान हैं.

एक ग्रामीण कृत्यानंद मंडल ने कहा, ‘यह पुलिया करीब छह महीने पहले बनी थी. हमें लगा कि यह किसी बड़ी परियोजना का हिस्सा हो सकती है, लेकिन जब आगे कोई काम नहीं हुआ और भविष्य की किसी योजना का कोई संकेत भी नहीं मिला, तो हम इसे सरकार के संज्ञान में लाना चाहते थे.’

इस बीच, अररिया के जिलाधिकारी इनायत खान ने कहा, ‘मैंने ग्रामीण निर्माण विभाग के इंजीनियरों से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट मांगी है. हम जानना चाहते हैं कि क्या काम एलाइनमेंट के अनुसार हो रहा था.’

उन्होंने कहा, ‘हालांकि हम पूरी सच्चाई जानने के लिए विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि काम बीच में ही शुरू कर दिया गया था. किसी भी मामले में हमें जल्द ही परियोजना की स्थिति का पता चल जाएगा.’

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, खान ने मंगलवार को कृषि भूमि पर पुल के निर्माण की जांच के आदेश दिए. संपर्क करने पर डीएम खान ने कहा, ‘मैंने तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है, जो पुल की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए साइट का दौरा करेगी. आगे की कार्रवाई विशेषज्ञों की टीम की रिपोर्ट पर निर्भर करेगी, जिन्हें एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है.’

जांच दल का हिस्सा रहे एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, ‘यह कैसे हुआ, इसकी जांच की जा रही है.’ रानीगंज प्रखंड के परमानंदपुर गांव के कुछ लोगों ने शिकायत की थी कि पुल निर्माण के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिसके बाद डीएम हरकत में आए.

लोगों ने आरोप लगाया कि उन्हें अपने खेत तक पहुंचने के लिए दो किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ रही है, क्योंकि यहां नया पुल बना है, लेकिन सड़क संपर्क नहीं है. परमानंदपुर गांव के निवासी दीपक कुमार ने कहा, ‘अब हम संबंधित विभाग से मांग करते हैं कि पुल के लिए संपर्क मार्ग बनाया जाए और पुल को मुख्य सड़क से जोड़ा जाए.’

हालांकि, अररिया जिले में तैनात सड़क निर्माण विभाग के सहायक अभियंता मनोज कुमार ने कहा कि यह पुल नहीं बल्कि ‘बॉक्स कल्वर्ट’ है. ‘बॉक्स कल्वर्ट’ का निर्माण पुल बनाने और जलमार्गों के रखरखाव के लिए किया जाता है.

उन्होंने कहा कि ‘बॉक्स कल्वर्ट’ परमानंदपुर लक्ष्मीस्थान और कोपारी सीमा के बीच प्रस्तावित 3.2 किलोमीटर लंबी सड़क पर बनाया गया है. हालांकि, सहायक अभियंता ने दावा किया कि सड़क से जुड़ जाने के बाद ‘बॉक्स कल्वर्ट’ से दो पड़ोसी गांवों में रहने वाले 1,500 से अधिक लोगों को लाभ होगा. पुल और सड़क की लागत लगभग 3 करोड़ आंकी गई है.

उन्होंने स्वीकार किया कि सड़क का लगभग 200 मीटर हिस्सा निजी भूमि पर है. उन्होंने बताया, ‘इस निजी भूमि के कारण पुल का सड़क संपर्क अधूरा है. विभाग ने समस्या के सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.’

मनोज ने यह भी दावा किया कि ‘बॉक्स कल्वर्ट’ विभाग के मानदंडों के अनुसार बनाया गया है और भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार किया है.

यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब राज्य में दो महीने के भीतर 13 से अधिक पुल ढह गए हैं, जिससे संरचनाओं के निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल पर सवाल उठ रहे हैं. अकेले अररिया जिले में 12 करोड़ रुपये की लागत से बना 183 मीटर लंबा पुल 18 जून को ढह गया था और इसकी जांच अभी भी जारी है.

इसके अलावा, बीते 3 जुलाई को बिहार के दो जिलों में चार पुल ढह गए थे. तीन पुल सीवान जिले के अलग-अलग इलाकों में ढहे. वहीं, एक पुल सारण जिले में ध्वस्त हो गया था.