केंद्र की वक़्फ़ अधिनियम में संशोधन की तैयारी, बोर्ड में ग़ैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रस्ताव

केंद्र सरकार वक़्फ़ अधिनियम, 1995 में संशोधन के लिए संसद में एक विधेयक पेश करने की तैयारी में है, जिसमें किसी संपत्ति के वक़्फ़ संपत्ति होने का निर्णय लेने की बोर्ड की शक्तियों से संबंधित धारा 40 को हटा दिया गया है.

भारतीय संसद. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करने के लिए इस सप्ताह संसद में एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम 1995 पेश करने की तैयारी में है.

द हिंदू के मुताबिक, प्रस्तावित विधेयक में ‘किसी संपत्ति के वक्फ संपत्ति होने का निर्णय लेने की बोर्ड की शक्तियों से संबंधित धारा 40 को हटा दिया गया है.’

अखबार ने विधेयक की एक प्रति का अध्ययन करके बताया है कि प्रस्तावित कानून केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में ‘मुस्लिम और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व’ सुनिश्चित करेगा.

विधेयक में केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण का प्रस्ताव है और ‘किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित सूचना देने के साथ राजस्व कानूनों के अनुसार उत्तराधिकार के लिए विस्तृत प्रक्रिया’ का प्रावधान है.

विधेयक बुधवार को लोकसभा के सांसदों को उपलब्ध कराया गया.

विधेयक में बोहराओं और आगाखानियों के लिए अलग औकाफ बोर्ड की स्थापना का प्रावधान है और यह शिया, सुन्नी, बोहरा, अगाखानी और मुस्लिम समुदाय के अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित करता है.

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा उद्देश्यों और कारणों को बताने वाले बयान में कहा गया है, ‘वक्फ अधिनियम 1995, औकाफ को बेहतर प्रशासन प्रदान करने और उससे जुड़े या उससे प्रासंगिक मामलों के लिए अधिनियमित किया गया था. हालांकि, अधिनियम के कार्यान्वयन के दौरान यह महसूस किया गया कि अधिनियम औकाफ के प्रशासन को बेहतर बनाने में प्रभावी साबित नहीं हुआ है.’

बयान में आगे कहा गया है कि जस्टिस (सेवानिवृत्त) राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों और वक्फ तथा केंद्रीय वक्फ परिषद पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर और अन्य हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद वर्ष 2013 में अधिनियम में व्यापक संशोधन किए गए थे.

इसमें कहा गया है, ‘संशोधनों के बावजूद यह देखा गया है कि राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण, अतिक्रमणों को हटाने, यहां तक कि स्वयं ‘वक्फ’ की परिभाषा भी इसमें शामिल है, से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए अधिनियम में अभी भी और सुधार की आवश्यकता है.’

वक्फ का संदर्भ इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित संपत्तियों से है. वक्फ बोर्ड वर्तमान में भारत भर में 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करते हैं, जिनका अनुमानित मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये है. यह उन्हें सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी बनाता है. अधिनियम में अंतिम बार 2013 में संशोधन किया गया था.

विधेयक में कहा गया है, ‘इस विधेयक में वक्फ की निश्चित शर्तों, पोर्टल और डेटाबेस पर वक्फ का विवरण दाखिल करने और वक्फ की गलत घोषणा को रोकने से संबंधित नई धाराएं 3ए, 3बी और 3सी शामिल करने का प्रावधान है.’