असम: काज़ीरंगा होटल परियोजना विरोधी कार्यकर्ताओं पर हमला, पुलिस ने पीड़ितों को हिरासत में लिया

असम के काज़ीरंगा में प्रस्तावित पांच सितारा होटल योजना का विरोध कर रहे दो स्थानीय कार्यकर्ताओं को बुधवार को कथित तौर पर भीड़ ने घेर लिया और मारपीट की. इस घटना से दो दिन पहले ही एनजीटी ने प्रस्तावित निर्माण के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया था.

काजीरंगा नेशनल पार्क. (फोटो साभार: एएनआई)

गुवाहाटी: असम के काजीरंगा में एक लक्ज़री होटल की प्रस्तावित योजना का विरोध कर रहे स्थानीय जमीनी कार्यकर्ताओं और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली असम सरकार के बीच चल रही तनातनी ने बुधवार (7 अगस्त) की शाम को एक भयावह मोड़ ले लिया, जब कथित तौर पर दो कार्यकर्ताओं को घेर लिया गया और उनके साथ मारपीट की गई.

बताया गया है कि बाद में पुलिस ने उन्हें (पीड़ितों को) ही हिरासत में ले लिया.

नेशनल एलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट (एनएपीएम) के मनोहर पेगु और ग्रेटर काजीरंगा लैंड एंड ह्यूमन राइट्स कमेटी (जीकेएलएचआरसी) के रितुपन पेगु पर उस समय हमला किया गया, जब वे काजीरंगा के कोहोरा रेंज के रोंगाजन गांव में होटल के लिए रास्ता बनाने के लिए बेदखल किए गए लगभग 40 से 45 परिवारों के बयान लेने गए थे.

एनएपीएम और जीकेएलएचआरसी के अलावा कई नागरिक समाज संगठन प्रस्तावित निर्माण योजना के विरोध में हैं.

कार्यकर्ताओं पर हमला और उनकी हिरासत की घटना राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य (केएनपीटीआर) में एक उच्च श्रेणी के होटल और रिसॉर्ट के प्रस्तावित निर्माण के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेने के दो दिन बाद हुई है.

बताया गया है कि बुधवार की शाम को दोनों कार्यकर्ता रोंगाजन में प्रभावित परिवारों की गवाही दर्ज करने के लिए बात कर रहे थे, जब बाहर से नारेबाजी की आवाज आने लगी.

द वायर ने एनएपीएम और जीकेएलएचआरसी से जुड़े जिन लोगों से बात की, उन्होंने बताया कि मनोहर और रितुपन दोनों को करीब 100 से ज़्यादा लोगों की भीड़ ने घर से बाहर बुलाया. भीड़ ने घर को घेर लिया और जीकेएलएचआरसी के संयोजक और स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ता प्रणब डोले के खिलाफ़ नारे लगाए.

यह समझते हुए कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है, मनोहर और रितुपन ने स्वतंत्र शोधकर्ता सौरव पटगिरी और एक स्थानीय निवासी शुभम से संपर्क किया. एनएपीएम और जीकेएलएचआरसी के सदस्यों ने बताया कि तब तक भीड़ ने मनोहर और रितुपन की गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर दिया था और उन्हें गांव से बाहर जाने से रोक दिया था.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भीड़ ने स्थानीय ग्रामीण मिनाली गोवाला और उनकी बेटी पर हमला किया. होटल परियोजना के लिए मिनाली को उनकी ज़मीन से बेदखल कर दिया गया है. एनएपीएम और जीकेएलएचआरसी के सदस्यों ने बताया कि मिनाली और उनकी बेटी को अस्पताल ले जाने वाली किसान गीता गोवाला को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है.

सौरव पटगिरी और शुभम, जिनसे मनोहर और रितुपन ने मदद मांगी थी, स्थानीय पुलिस के पास हस्तक्षेप की मांग करने पहुंचे लेकिन कथित तौर पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया.

इसके बाद कोहोरा पुलिस चौकी से पुलिसकर्मी रोंगाजन गांव पहुंचे और मनोहर तथा रितुपन को बोकाखाट पुलिस थाने ले गए, जहां उन्हें अन्य लोगों के साथ कथित तौर पर हिरासत में ले लिया गया.

जीकेएलएचआरसी के प्रणब डोले ने द वायर को बताया कि सौरव और शुभम की मदद करने के बजाय पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें अवैध रूप से हिरासत में लिया. उनका कहना है कि यह पूरी घटना उनके खिलाफ एक ‘बड़े राजनीतिक प्रतिशोध’ का हिस्सा थी, जो एक पांच सितारा होटल के निर्माण का पुरजोर विरोध कर रहे थे.

डोले ने आगे कहा, ‘ग्रामीणों को मेरे खिलाफ गलत जानकारी दी गई. उन्हें बताया गया कि अगर काजीरंगा विस्तार परियोजना के तहत पास के चाय बागानों को बंद करना पड़ा और ग्रामीणों को अपनी आजीविका खोनी पड़ी तो मैं जिम्मेदार होऊंगा. यह झूठ है. हम होटल के निर्माण के खिलाफ लड़ रहे हैं जो जानवरों, मूल निवासियों और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक आपदा साबित होगा. पुलिस और जिला प्रशासन उस भीड़ के साथ मिले हुए हैं, जिसने हमारे सदस्यों और भूमि अधिग्रहण के पीड़ितों पर हमला किया. यह बहुत स्पष्ट था कि भीड़ मुझे और हमारे सदस्यों को मारना चाहती थी.’

2021 के राज्य विधानसभा चुनावों में डोले ने स्थानीय दल और भाजपा सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) नेता और कृषि मंत्री अतुल बोरा के खिलाफ बोकाखाट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था. डोले इस मुकाबले में दूसरे स्थान पर रहे थे.

डोले ने कहा, ‘पूरी घटना एजीपी और भाजपा द्वारा रची गई साजिश है. होटल निर्माण योजना के मुद्दे पर एनजीटी द्वारा स्वतः संज्ञान लिए जाने से वे घबरा गए हैं. कार्यकर्ताओं से निपटने के लिए उनके पास कोई उपाय नहीं बचा है और इसीलिए उन्होंने मेरे बारे में गलत जानकारी फैलाना शुरू कर दिया है. ग्रामीण निर्दोष हैं, लेकिन राजनीतिक आकाओं ने उन्हें झूठ कहकर भरमाया है. हम अपने सदस्यों की तत्काल रिहाई और उन्हें चोट पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं.’

उधर, राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां ने कहा, ‘मैं बुधवार को हुई घटना की कड़ी निंदा करता हूं. बदमाशों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए.’

द वायर ने कृषक मुक्ति संग्राम समिति के किसान नेता और शिवसागर विधानसभा क्षेत्र के विधायक अखिल गोगोई से भी बात की. उन्होंने कहा, ‘ऐसी घटना बेहद निंदनीय है. काजीरंगा में पांच सितारा होटल होना चाहिए या नहीं, इस पर सार्वजनिक सुनवाई होनी चाहिए. इसका फैसला जनता पर छोड़ देना चाहिए.’

उल्लेखनीय है कि होटल का प्रस्तावित निर्माण स्थल हाथीकुली-इंगले पोथर है. वहां के स्थानीय लोग इस स्थल को जंगली हाथियों के लिए खेल का मैदान और चरागाह मानते हैं.

हाल ही में यह स्थल एक ओर जमीनी स्तर के अधिकार कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों तथा दूसरी ओर शर्मा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बीच संघर्ष का केंद्र बन गया है, जो विवादास्पद परियोजना को आगे बढ़ाने पर अड़ी हुई है.

कार्यकर्ताओं ने बताया कि यह योजना केएनपीटीआर और इसके नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक आपदा साबित होगी.

बीते 3 अगस्त को शर्मा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार और टाटा समूह ने हाथीकुली में एक पांच सितारा ताज होटल के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. इससे पहले सितंबर 2023 में राज्य सरकार ने इंगले पोथर में एक और पांच सितारा होटल बनाने के लिए शिकागो स्थित हयात होटल्स के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)