केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एससी/एसटी आरक्षण वर्गीकरण पर कहा- आंबेडकर के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं

1 अगस्त को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यों को एससी और एसटी श्रेणियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने की अनुमति दी थी ताकि इन श्रेणियों के भीतर सबसे पिछड़े समुदायों को निश्चित उप-कोटा के माध्यम से प्रतिनिधित्व मिल सके.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने और एससी/एसटी सांसदों का प्रतिनिधिमंडल. (फोटो साभार: एक्स (ट्विटर)/@narendramodi)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण मामले में क्रीमी लेयर को चिन्हित करने के फैसले के बाद शुक्रवार (9 अगस्त) को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक बैठक कर कहा कि भीमराव आंबेडकर के दिए संविधान में एससी/एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर के लिए कोई प्रावधान नहीं है.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यों को एससी और एसटी श्रेणियों के भीतर उप-वर्गीकरण (सब-क्लासीफिकेशन) करने की अनुमति दी थी ताकि इन श्रेणियों के भीतर सबसे पिछड़े समुदायों को निश्चित उप-कोटा के माध्यम से प्रतिनिधित्व मिल सके.

इस संबंध में जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के बैठक में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर विस्तृत से चर्चा की गई, जिसमें उप-वर्गीकरण के पक्ष में फैसला देने वाली सात न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के चार न्यायाधीशों ने एससी/एसटी के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए कहा है, ताकि उन्हें आरक्षण के दायरे से बाहर रखा जा सके. इसमें आरक्षण के संबंध में कुछ सुझाव दिए गए हैं.

उन्होंने आगे कहा कि मंत्रिमंडल का यह विचार है कि राष्ट्रीय जनतंत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार संविधान के प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध है.  बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान के अनुसार, एससी और एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए कैबिनेट का ये निर्णय यह है कि आरक्षण बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान के अनुसार होना चाहिए.

ज्ञात हो कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लगभग 100 सांसदों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा था, जिसके कुछ घंटों बाद कैबिनेट का ये फैसला सामने आया.

बैठक में सांसदों ने कहा कि पीएम मोदी ने उनकी चिंताओं का संज्ञान लिया और कहा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से देखेगी. बैठक में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू, कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार भी शामिल थे.

बैठक के बाद मेघवाल ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर को नहीं लागू करने पर सहमत हुए हैं.

उन्होंने कहा, ‘माननीय प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की मांग के अनुसार अनुसूचित जाति/जनजाति समुदायों का उप-वर्गीकरण करके आरक्षण से क्रीमी लेयर को बाहर रखने की पहल को लागू नहीं करने पर सहमति जताई है और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के उचित कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया है.

द वायर से बात करते हुए भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि सांसदों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा की गई टिप्पणियां उनकी व्यक्तिगत राय थीं, न कि शीर्ष अदालत का फैसला.

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने हमें आश्वासन दिया है कि वह हमारी चिंताओं पर विचार करेंगे और सरकार इस मामले को देखेगी.

भाजपा सांसद सिकंदर कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें भरोसा दिया है कि एससी/एसटी को आरक्षण से बाहर रखने के लिए क्रीमी लेयर नहीं लाया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘100 से अधिक  एससी/एसटी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और आरक्षण नीति पर माननीय उच्चतम न्यायालय की हालिया टिप्पणियों पर अपनी चिंता जाहिर की. प्रधानमंत्री ने सभी प्रतिनिधियों को सुना और एससी/एसटी समुदायों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली में कोई बदलाव नहीं होगा.’

सांसदों से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने एक बयान में एससी/एसटी कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बताई.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘आज एससी/एसटी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. एसटी समुदायों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए हमारी प्रतिबद्धता और संकल्प को दोहराया.’

उधर, लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने से संबंधित शिवसेना-यूबीटी सांसद भाऊसाहेब वाकचौरे द्वारा उठाए गए पूरक प्रश्न के जवाब में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी निर्णय का हिस्सा नहीं थी और इसे लेकर देश को गुमराह नहीं किया जाना चाहिए.

इससे पहले एनडीए के सहयोगी दलों और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (लोजपा) और रामदास अठावले (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया) ने उप-वर्गीकरण के फैसले पर अपनी असहमति जताई थी. चिराग पासवान ने यहां तक कहा था कि उनकी पार्टी फैसले के खिलाफ अपील करेगी.

गौरतलब है कि 6:1 के बहुमत वाले इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट के जज- जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने इस बात को रेखांकित किया था कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए मौजूद क्रीमी लेयर सिस्टम की तरह ही एससी/एसटी समुदाय में भी क्रीमी लेयर सिस्टम लागू किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एससी और एसटी के बीच आरक्षण सबसे योग्य व्यक्ति तक पहुंचे.

बार एंड बेंच के अनुसार, जस्टिस गवई ने कहा था, ‘सच्ची समानता हासिल करने का यही एकमात्र तरीका है. राज्य को एससी, एसटी श्रेणी के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने और उन्हें सकारात्मक कार्रवाई (आरक्षण) के दायरे से बाहर निकालने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए. ‘

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)