देशभर में 10,354 एकड़ रक्षा भूमि पर अतिक्रमण किया गया है: सरकार

सरकारी जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 1,778.9 एकड़ रक्षा भूमि पर क़ब्ज़ा है, जो देशभर के 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज़्यादा है. दूसरे और तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/ADGPI - Indian Army)

नई दिल्ली: रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने शुक्रवार (9 अगस्त) को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि देशभर में लगभग 18 लाख एकड़ रक्षा भूमि में से लगभग 10,354 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक,केंद्रीय मंत्री ने रक्षा भूमि पर अतिक्रमण का राज्यवार ब्यौरा भी साझा किया. इसके अनुसार,उत्तर प्रदेश में 1,778.9 एकड़ रक्षा भूमि पर कब्जा है, जो देशभर में 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा है.

इसके बाद इस सूची में दूसरा नंबर मध्य प्रदेश का है, जहांं कुल 1,757.979 एकड़ रक्षा भूमि पर अतिक्रमण है. वहीं सबसे कम अतिक्रमण पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में है, जहां 0.003 एकड़ ज़मीन पर कब्जा दर्ज किया गया है.

रक्षा भूमि पर अतिक्रमण मामले में शीर्ष पांच राज्यों में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और हरियाणा के नाम शामिल हैं, जहां क्रमशा: 1,031, 816 और 780 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 147.6 एकड़ रक्षा भूमि पर अतिक्रमण दर्ज है.

मालूम हो कि इस सूची में मात्र एक राज्य- त्रिपुरा, और चार केंद्रशासित प्रदेश- चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, और पुडुचेरी का नाम नहीं है.

ज्ञात हो कि ये जानकारी लोकसभा में सांसद सौमित्र खान के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में रक्षा राज्य मंत्री द्वारा दी गई है.

संजय सेठ के अनुसार, ‘रक्षा भूमि के अतिक्रमण में राज्य सरकार के अधिकारियों की मिलीभगत की कोई सूचना नहीं है. हालांकि, कुछ भूमि पर कुछ राज्य सरकार की एजेंसियों का कब्जा है.’

मंत्री ने रक्षा मंत्रालय संबंधी भूमि को अतिक्रमण से बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कुछ कदमों की जानकारी भी दी.

उन्होंने कहा, ‘रक्षा भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया गया है और संबंधित कार्यालयों द्वारा नियमित निरीक्षण किया जाता है और उन्हें नियमों के अनुसार वार्षिक प्रमाण पत्र जमा करना आवश्यक है.

उन्होंने आगे बताया कि अतिक्रमण का पता चलने पर पुलिस अधिकारियों और जिला प्रशासन के साथ समन्वय में कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाकर उन्हें हटाया जाता है. इसके अलावा रक्षा भूमि ऑडिट को एक सतत प्रक्रिया के रूप में 2011-12 से संस्थागत बना दिया गया है.

राक्षा राज्य मंत्री ने आगे जानकारी दी कि इस संबंध में एक भूमि प्रबंधन प्रणाली स्थापित की गई है, जिसमें भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) एक अवधि में अतिक्रमण के बारे में जानकारी प्रदान करती है और नए अतिक्रमण को रोकने में मदद करती है.

इसके साथ ही रक्षा भूमि पर अतिक्रमण के ‘खतरे’ के मूल्यांकन के लिए भी एक पद्धति तैयार की गई है. खतरे के मूल्य के आधार पर संबंधित अधिकारियों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में फील्ड कार्यालयों को सूचित कर दिया गया है.