नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में चुनावी बॉन्ड पर सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राजनीतिक दलों के फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड के बारे में कोई कानून लाने की उसकी कोई योजना नहीं है.
टाइम्स ऑफ इंडिया कि रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने कहा कि राजनीतिक दलों के लिए चुनावी बॉन्ड के बदले वैकल्पिक फंडिंग प्रस्ताव की भी उसकी कोई योजना नहीं है.
तृणमूल कांग्रेस की सांसद माला रॉय ने विवादास्पद चुनावी बॉन्ड पर लिखित सवाल में पूछा, ‘क्या सरकार के पास राजनीतिक दलों के फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड के बारे में कोई कानून लाने की कोई योजना है. अगर हां, तो उसका ब्यौरा क्या है; और अगर नहीं, तो लोकसभा/विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक दलों के फंडिंग के लिए किस विकल्प/विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.’
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, ‘सरकार के पास बॉन्ड के बारे में कोई कानून लाने की कोई योजना नहीं है और सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन भी नहीं है.’
बता दें कि 15 फरवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉन्ड योजना को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था. शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि यह योजना राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग का खुलासा करने में विफल रहने के कारण संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करती है.
इसके परिणामस्वरूप, सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी अधिनियम, आयकर अधिनियम और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में चुनावी बॉन्ड से संबंधित प्रावधानों को भी अमान्य कर दिया था. इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड के खरीदारों और प्राप्तकर्ताओं की जानकारी भी सार्वजनिक करने का आदेश दिया था.
मालूम हो कि लोकसभा चुनावों से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि भाजपा सत्ता में आने पर चुनावी बॉन्ड योजना को फिर से वापस लाएगी. सीतारमण का कहना था कि यदि उनकी पार्टी 2024 के आम चुनावों में सत्ता वापसी करती है, तो सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद चुनावी बॉन्ड योजना को किसी न किसी रूप में वापस लाया जाएगा.