विनेश के वकील बोले- आईओए ने अयोग्य ठहराए जाने के दो दिन बाद तक कोई कार्रवाई नहीं की

भारत में विनेश फोगाट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने दावा किया है कि पेरिस ओलंपिक में भारतीय पहलवान को फाइनल से पहले अयोग्य ठहराए जाने के निर्णय पर भारत सरकार केवल तभी जागी जब ओलंपिक खेलों के दौरान खिलाड़ियों की क़ानूनी सहायता के लिए गठित पैनल के निशुल्क वकीलों ने फोगाट का मामला कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स में उठा दिया था.

(फोटो साभार: एक्स)

नई दिल्ली: महिला पहलवान विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक के फाइनल मुकाबले में स्वीकार्य वजन से 100 ग्राम अधिक होने के कारण अयोग्य ठहराए जाने के संबंध में कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (सीएएस) के फैसले का इंतजार कर रही हैं. वहीं ,भारत में उनके वकील ने सोशल मीडिया पर उनकी अयोग्यता के बाद हुए घटनाक्रम का विवरण साझा किया है.

भारत में फोगाट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने दावा किया है कि भारत सरकार ने केवल तभी कार्रवाई की जब फ्रांस में प्रो बोनो वकील (स्वेच्छा से कानूनी सहायता के लिए आगे आए वकील) सीएएस के समक्ष फोगाट का प्रतिनिधित्व कर चुके थे. 

मेहरा ने विश्वसनीय सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि अगर फोगाट पूरी तरह से भारत सरकार के भरोसे रहतीं, तो उन्हें अदालत के सामने अपना मामला पेश करने का अवसर नहीं मिलता. 

मेहरा का यह बयान सीएएस द्वारा फोगाट की अपील पर अपना निर्णय घोषित करने से कुछ ही समय पहले आया है. सीएएस ने शनिवार (10 अगस्त) को इस मामले में सुनवाई के दौरान मामले को 13 अगस्त तक स्थगित कर दिया था. 

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर मेहरा की पोस्ट के अनुसार, फोगाट को फाइनल से अयोग्य घोषित किए जाने के पूरे दो दिन बाद यानी 8 अगस्त की शाम तक भारत सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. 

मेहरा ने लिखा, ‘अगले दिन, यानी गुरुवार को जब इस घटना ने पूरे भारत में सबका ध्यान आकर्षित किया, और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के साथ-साथ भारत सरकार को कोई भी कार्रवाई करते हुए नहीं देखा गया, तब पेरिस में वकीलों ने आईओए को सुझाव दिया कि वे इस मामले में एक इच्छुक पक्ष के रूप में मध्यस्थता के लिए आवेदन (एमिकस ब्रीफ) दायर कर सकते हैं… मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से, यह माना जाता है कि हरीश साल्वे को इस मामले में आईओए द्वारा गुरुवार देर रात ही शामिल किया गया था.’

बता दें कि फोगाट के मामले की सुनवाई सीएएस के समक्ष 9 अगस्त को हुई थी. फोगाट और आईओए ने शुरू में खेल पंचाट से फोगाट को फाइनल में खेलने देने की अनुमति मांगी थी.  

हालांकि, मामले की सुनवाई के लिए सीएएस के पास समय की कमी के कारण फोगाट ने अनुरोध किया कि अंतरराष्ट्रीय अदालत उन्हें रजत पदक संयुक्त रूप से प्रदान करे. मेहरा ने बताया कि इस मामले में फोगाट का प्रतिनिधित्व खेलों के दौरान खिलाड़ियों की सहायता के लिए गठित पैनल के निशुल्क वकीलों द्वारा किया गया था.

मेहरा इस साल की शुरुआत में दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दायर एक रिट याचिका में पहलवान फोगाट, बजरंग पुनिया और अन्य का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिसमें दिसंबर 2023 में भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के लिए हुए नए चुनावों को चुनौती दी गई है. 

फोगट, पुनिया और साक्षी मलिक, तीनों डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करने में सबसे आगे रहे हैं. बृज भूषण पर एक दशक से अधिक समय तक महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप  है.

हालांकि, बृज भूषण सिंह को दबाव में पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके बाद महासंघ ने सिंह के करीबी सहयोगी संजय सिंह को नया अध्यक्ष नियुक्त किया. 

रिट याचिका में इस नियुक्ति को चुनौती दी गई है.

तीन दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान मेहरा ने कहा कि डब्ल्यूएफआई और उसके अध्यक्ष संजय सिंह ओलंपिक में फोगाट की ओर से निर्णय ले रहे थे, जबकि डब्ल्यूएफआई की निर्वाचित कार्यकारी समिति को 2023 में केंद्रीय खेल मंत्रालय द्वारा निलंबित कर दिया गया था.