प्रधानमंत्री मोदी ने एनपीए को यूपीए सरकार के दौर का सबसे बड़ा घोटाला बताया.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकों की दुर्दशा के लिए पिछली संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि बैंकों पर दबाव डालकर चुनिंदा उद्योगपतियों को कर्ज दिलाया गया जिससे बैंकों की करोड़ों रुपये की राशि कर्ज में फंस गई. उन्होंने इसे संप्रग सरकार के समय का सबसे बड़ा घोटाला बताया.
मोदी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संप्रग सरकार को बैंकों की दुर्दशा के लिये आड़े हाथों लिया. उन्होंने इस स्थिति के लिए फिक्की जैसे उद्योगपतियों के संगठनों के कामकाज को लेकर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार बैंकों की कर्ज में फंसी राशि एनपीए के रूप में मौजूदा सरकार के लिए सबसे बड़ी देनदारी छोड़कर गई है.
प्रधानमंत्री देश के शीर्ष उद्योग मंडल फिक्की की 90वीं वार्षिक आम बैठक में बोल रहे थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद किसी उद्योग मंडल की सालाना आम बैठक में यही उनका पहला संबोधन था.
उन्होंने कहा, बैंकों पर दबाव डालकर उद्योगपतियों को पैसा दिलाया गया. इससे बैंकों की स्थिति खराब हुई. इस पर तब फिक्की ने कोई अध्ययन किया था क्या तब उद्योग संगठन क्या कुछ आवाज उठा रहे थे. सभी को पता था कि कुछ न कुछ गलत हो रहा है, लेकिन क्या किसी ने आवाज उठाई.
मोदी ने इस अवसर पर अपनी सरकार की तमाम उपलब्धियां भी गिनाईं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार देश के युवाओं और मौजूदा जरूरतों को ध्यान में रखकर नीतियां बना रही हैं. जबकि पिछली सरकार के समय बैंकों का करोड़ो रुपया चुनींदा उद्योगपतियों को दिलाया गया.
राष्ट्रमंडल, 2जी और कोयला घोटाला हुआ. जनता की गाढ़ी कमाई लूट ली गई. इन सभी घोटालों में कहीं न कहीं बैंकों पर ही बुरा असर पड़ा. उन्होंने एनपीए को पिछली सरकार के समय का बससे बड़ा घोटाला बताया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने बैंकिंग उद्योग की मजबूती के लिये कदम उठाए हैं. बैंकों को नई पूंजी उपलब्ध कराई जा रही है ताकि बैंक ग्राहकों के साथ साथ देश का हित साधा जा सके.
मोदी ने बिल्डरों की मनमानी को लेकर भी पिछली सरकार पर सवाल उठाया. उन्होंने सवाल किया कि रेरा जैसा कानून पिछले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय क्यों नहीं बना.
उन्होंने उद्योगों से भी कहा कि जब बिल्डर मनमानी कर रहे थे तो उसके बारे में जानकारी सरकार तक क्यों नहीं पहुंचाई गई. लोगों को उनके घर नहीं मिल रहे थे, बिल्डर मनमानी कर रहे थे तो कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाये गये.
फ्लैट खरीदारों के हितों की सुरक्षा और रीयल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता के लिये रीयल एस्टेट नियमन और विकास अधिनियम रेरा क्यों नहीं लाया गया प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर चुटकी लेते हुए कहा, मुझे पता है कि मैं उसी फोरम से बोल रहा है जिनके पास बिल्डरों की बड़ी सदस्यता है.
प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की गरीबों के लिए शुरू की गई नीतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने सत्ता में आने के बाद पिछले तीन साल के दौरान कपड़ा, स्वास्थ्य, उर्वरक और विमानन क्षेत्र के लिए नई नीतियां बनाई हैं.
यूरिया क्षेत्र के लिए नई नीति पर अमल करने मात्र से ही बिना नया कारखाना लगाये यूरिया का उत्पादन 18 से 20 लाख टन तक बढ़ गया. कपड़ा क्षेत्र की नई नीति रोजगार के एक करोड़ अवसर पैदा करेगी. विमानन क्षेत्र की नीति में किया गया बदलाव अब हवाई चप्पल वालों को भी हवाई यात्रा की सुविधा देगा.
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले तीन साल के अपने कार्यकाल में 21 क्षेत्रों में 87 महत्वपूर्ण सुधार किये हैं. इस संबंध में उन्होंने निर्माण, रक्षा, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का विशेषतौर पर जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कारोबार सुगमता के लिए उठाये गए कदमों से इस मामले में भारत 142वें स्थान से चढ़कर 100वें स्थान पर पहुंच गया.
विदेशी मुद्रा भंडार 300 अरब डालर से बढ़कर 400 अरब डालर के पार पहुंच गया. वैश्विक नवोन्मेष की रैंकिंग में भारत का स्थान 21 अंक सुधार गया. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में इस दौरान 70 प्रतिशत वृद्धि हुई है.
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत में अंग्रेजी राज द्वारा 1927 के समय भारत को संवैधानिक अधिकार देने पर विचार के लिए गठित साइमन कमीशन का जिक्र किया. उसमें कोई भारतीय सदस्य नहीं था और आयोग के भारत आने पर उसका जबरदस्त विरोध किया गया था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि साइमन कमीशन के खिलाफ जिस तरह भारतीय उद्योग जगत भी उस समय लामबंद हुआ, वह अपने आप में प्रेरणादायक बात थी. अपने हितों से पर उठकर उद्योग जगत ने साइमन कमीशन के गठन के खिलाफ आवाज उठाई थी.
मोदी ने कहा, जैसे 90 साल पहले सामान्य मानवी अपनी दैनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ देश की जिम्मेदारियों को उठाने के लिए आगे आया था, वैसा ही दौर अब फिर शुरू हुआ है. इस समय देश के लोगों की आशाएं-आकांक्षाएं जिस स्तर पर हैं, उसे आप समझ सकते हैं. लोग देश की इन आंतरिक बुराइयों से, भ्रष्टाचार से, कालेधन से परेशान हो चुके हैं, इनसे छुटकारा पाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा आज हर संस्था चाहे वो कोई राजनीतिक दल हो, या फिर फिक्की जैसा औद्योगिक संगठन, उसके लिए ये मंथन का समय है कि वो देश की आवश्यकताओं और देश के लोगों की भावनाओं को समझते हुए अपनी भावी रणनीति बनाएं.
प्रधानमंत्री ने कहा, हम सभी ने संकल्प लिया है न्यू इंडिया के निर्माण का. फिक्की जैसी संस्थाओं का दायरा इतना बड़ा है, जिम्मेदारी इतनी बड़ी है, कि उसे आगे कदम बढ़ाकर, न्यू इंडिया के लिए नए संकल्प लेने होंगे.
आपके लिए कितने ही सेक्टर हैं जहां काम करने की बहुत संभावनाएं हैं. खाद्य प्रसंस्करण, स्टार्ट अप, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, सोलर पावर सेक्टर, हेल्थकेयर, इन सभी को फिक्की के अनुभव का फायदा मिल सकता है. क्या आपकी संस्था देश के एमएसएमई के लिए थिंक टैंक के तौर पर कार्य कर सकती है.
फिक्की के निर्वतमान अध्यक्ष पंकजआर पटेल और वार्षिक बैठक के बाद संगठन की कमान संभालने वाले नये अध्यक्ष राशेस शाह की उपस्थिति में प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हमारे संकल्प सिद्ध होंगे तो देश भी सिद्ध होगा. हां, बस इस बात का ध्यान रखना है कि जैसे क्रिकेट में कुछ बल्लेबाज 90 पर आकर 100 के इंतजार में धीरे खेलने लगते हैं, वैसे फिक्की ना करे. उठिए, सीधे एक छक्का, एक चौका और सैकड़ा पार करें.
बैंक ग्राहकों के हित सुरक्षित हैं, एफआरडीआई विधेयक को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों को दूर करने का उद्योग जगत से आह्वान करते हुए कहा कि सरकार लगातार बैंक ग्राहकों और उनकी जमा पूंजी की सुरक्षा के लिए काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार देश के बैंकों को मजबूत बनाने के लिए काम कर रही है. सरकार बैंकों में ग्राहकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए लगातार काम कर रही है लेकिन इसके खिलाफ अफवाहें फैलाई जा रही हैं.
मोदी ने एफआरडीआई विधेयक का जिक्र करते हुए कहा, इस विधेयक के प्रावधानों को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही है. सरकार ग्राहक हितों को सुरक्षित करने के लिए लगातार काम कर रही है, लेकिन खबरें ठीक इसके उल्टी फैलाई जा रही हैं.
उन्होंने उद्योग संगठन फिक्की से इस संबंध में आगे आकर जागरूकता बढ़ाने का काम करने को कहा.
एफआरडीआई विधेयक 2017 में बेल-इन प्रावधान को लेकर कुछ लोगों ने आशंकायें व्यक्त की हैं. उनका कहना है कि इस प्रावधान के रहते बैंकों में जमा पूंजी रखने वाले ग्राहकों का नुकसान हो सकता है.
यह विधेयक अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था और इस समय संयुक्त संसदीय समिति के विचाराधीन है. इस विधेयक में कहा जा रहा है कि वित्तीय संस्थानों जैसे कि बैंकों, बीमा कंपनियों और गैर-बैंकिंग संस्थानों के दिवालिया होने की स्थिति में एक समाधान निगम बनाने का प्रस्ताव है.
यह निगम पूरी प्रक्रिया पर नजर रखेगा और ऐसे संस्थानों को दिवालिया होने से बचाने के लिए कदम उठाएगा. इसके लिए वह इन संस्थानों की देनदारी को समाप्त कर सकता है. इस प्रावधान को बेल-इन का नाम दिया गया है.