नई दिल्ली: वामपंथी समूहों और भाजपा ने मंगलवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधिकारियों पर परिसर में एक जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के संबंध में सबूतों से छेड़छाड़ करने का प्रयास करने का आरोप लगाया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सीपीआई (एम) से संबद्ध डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने मंगलवार को अस्पताल के आपातकालीन भवन के गेट पर एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने आरोप लगाया कि सबूतों को नष्ट करने और असली अपराधियों को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है.
इस बीच, वामपंथी संगठन ज्वाइंट फोरम ऑफ डॉक्टर्स से जुड़े एक डॉक्टर ने दावा किया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के कुछ निष्कर्षों से पता चलता है कि पीड़िता के साथ एक से अधिक लोगों ने बलात्कार किया होगा.
डॉक्टर सुवर्ण गोस्वामी, जो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखने के समय पीड़िता के परिवार के साथ थे, ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है… उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था.’
पुलिस ने 31 वर्षीय डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के सिलसिले में एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया है.
इस मामले ने पूरे देश में सनसनी फैला दी है और कई अस्पतालों के डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया है.
मंगलवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहीं डीवाईएफआई की राज्य सचिव मीनाक्षी मुखर्जी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि टीएमसी सरकार असली दोषियों को छिपाने की कोशिश कर रही है. हम अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों को मामले में सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने देंगे. वे लगातार ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं.’
सूत्रों के अनुसार, अस्पताल के अधिकारियों ने शनिवार को एक कमरे और पास के महिला शौचालय को ध्वस्त करने का आदेश दिया था – जो दोनों सेमिनार कक्ष से कुछ ही फीट की दूरी पर थे – ताकि एक विश्राम क्षेत्र बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि यह चेस्ट मेडिसिन विभाग में विश्राम क्षेत्र की छात्रों की मांग के बाद ऐसा किया गया.
While we raised fear of crucial evidence getting tampered with by R G Kar Medical College authorities, they actually did it and as soon as the case was handed over to the CBI, they started breaking down the walls within that fateful Chest Medicine Dept, destroying what may be… pic.twitter.com/P7eOBUklou
— Dr.Indranil Khan (@IndranilKhan) August 13, 2024
हालांकि, डॉक्टर का शव मिलने के एक दिन बाद ही इमारत को ध्वस्त करने का आदेश आने से यह आरोप लगने लगे हैं कि अधिकारी साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं.
भाजपा विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने पहले ही बहुत सारे सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है. सीबीआई को तुरंत मामला अपने हाथ में लेना चाहिए. हमने पहले ही ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की है, जो मुख्यमंत्री और राज्य की गृह मंत्री दोनों हैं.’
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘मंगलवार की सुबह राष्ट्रीय महिला आयोग की एक टीम पीओ (अपराध की जगह) देखने आई थी. उन्होंने यह देखकर विरोध किया कि अपराध स्थल के पास निर्माण कार्य चल रहा है. इसके तुरंत बाद एसएफआई-डीवाईएफआई समर्थकों ने विरोध करना शुरू कर दिया.’
पीड़ित परिवार के वकील और सीपीआई (एम) नेता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा, ‘पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) की मदद और राज्य सरकार की हरी झंडी के बिना मेडिकल कॉलेज के अधिकारी कुछ भी ध्वस्त या निर्माण नहीं कर सकते. इसलिए, यह स्पष्ट है कि इस कदम के पीछे राज्य सरकार थी.’
पिछले कुछ दिनों से भाजपा और माकपा नेता आरोप लगा रहे हैं कि गिरफ्तार आरोपी संजय रॉय ही डॉक्टर के बलात्कार और हत्या में शामिल एकमात्र व्यक्ति नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया है कि टीएमसी इसमें शामिल अन्य लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार (13 अगस्त, 2024) को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामले की जांच में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है और अपराध की जगह असाधारण महत्व रखती है.
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सीबीआई ने मामले को अपने हाथ में ले लिया और फोरेंसिक और चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ अधिकारियों की टीम बुधवार (14 अगस्त, 2024) को कोलकाता पहुंचेगी और अपराध स्थल का दौरा करेगी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले में हाईकोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें राज्य पुलिस जांच को सीबीआई या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ताओं में पीड़िता के माता-पिता और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी भी शामिल थे.
अदालत के आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि पीड़िता के शरीर पर चोट के निशान थे. माता-पिता ने उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी सबूत के साथ छेड़छाड़ या उसे नष्ट न किया जाए. माता-पिता ने खुद, गवाहों और मामले से संबंधित जानकारी रखने वाले किसी भी अन्य व्यक्ति के लिए सुरक्षा की भी मांग की.
अदालत के आदेश में कहा गया है कि राज्य पुलिस द्वारा की गई जांच में विश्वसनीयता की कमी है और निष्पक्ष, ईमानदार और पूर्ण जांच के लिए यह आवश्यक है और विशेष रूप से तब, जब राज्य एजेंसियों के निष्पक्ष कामकाज में जनता का विश्वास बनाए रखना अनिवार्य है.
पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि उसने मृत पाए जाने से कुछ घंटे पहले रात 11.30 बजे उनसे बात की थी, और वह हमेशा की तरह अच्छी लग रही थी, लेकिन किसी तरह की परेशानी का संकेत नहीं दे रही थी.
माता-पिता ने बताया कि अगले दिन सुबह 10.53 बजे अस्पताल के सहायक अधीक्षक ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी की तबीयत खराब है. करीब 22 मिनट बाद उसी सहायक अधीक्षक ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी ने अस्पताल परिसर में आत्महत्या कर ली है.
आदेश में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता तुरंत अस्पताल पहुंचे और उनके अनुसार, उन्हें अपनी बेटी का शव देखने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें 3 घंटे तक इंतजार करना पड़ा.’
साथ ही उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं को संदेह है कि यह देरी जानबूझकर की गई थी. पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद ही उन्हें शव देखने की अनुमति दी गई. इस समय तक अस्पताल परिसर में बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू हो गया था.
आदेश में कहा गया है, माता-पिता को संदेह है कि एक से अधिक व्यक्ति अपराधी थे और उनका संदेह है कि यह सामूहिक बलात्कार का मामला है.
अदालत ने राज्य सरकार और मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल को फटकार लगाई
हाईकोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष को कड़ी फटकार लगाई है, जिन्होंने अपने इस्तीफे और दूसरे मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में तुरंत बहाल होने के कारण सुर्खियां बटोरी थीं. कोर्ट ने कहा कि यह निराशाजनक है कि प्रिंसिपल सक्रिय नहीं थे.
अदालत ने कहा, ‘संस्थान के प्रिंसिपल या तो खुद या उचित निर्देश जारी करके पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते थे, क्योंकि मौत अस्पताल परिसर में हुई थी. हमारे विचार में यह प्रिंसिपल और उनके अधीन अधिकारियों की ओर से कर्तव्य की स्पष्ट उपेक्षा थी और अधिकारियों ने माना कि स्थिति अराजक हो गई और रैपिड एक्शन फोर्स को बुलाना पड़ा.’
अदालत ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि डॉ. घोष को सबसे कम समय में नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का प्रिंसिपल बनाया गया.
अदालत ने कहा, ‘यह समझना मुश्किल है कि जब कोई व्यक्ति अपना इस्तीफा देता है, तो राज्य के संबंधित अधिकारी दो विकल्पों का उपयोग क्यों नहीं करते हैं, जो उपलब्ध हैं यानी या तो इस्तीफा स्वीकार करें या इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार करें.’
अदालत ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य प्राधिकरण को उन परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए जिनके कारण इस्तीफा दिया गया.
आदेश में कहा गया है, ‘इसलिए, यह मानते हुए भी कि इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया, संबंधित विभाग के जिम्मेदार उच्च अधिकारी से कम से कम यह तो अपेक्षित ही है कि वह प्रिंसिपल को तत्काल उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दे और उन्हें समान जिम्मेदारी वाला कोई अन्य कार्य न सौंपे. यदि यह रास्ता नहीं अपनाया गया होता और उन्हें उनके द्वारा निभाई जा रही जिम्मेदारी के बराबर कोई अन्य जिम्मेदारी सौंपी गई होती, तो यह उन्हें अधिक महत्व देने के समान होता.’
आदेश में डॉ. घोष को नई भूमिका देने में अत्यधिक जल्दबाजी पर सवाल उठाया गया. अदालत ने डॉ. घोष को तुरंत छुट्टी पर जाने को कहा और कहा कि उन्हें अगले निर्देश तक कलकत्ता के नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल का पद संभालने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
अदालत ने डॉक्टर की मौत के बाद दर्ज अप्राकृतिक मौत के मामले में अस्पताल प्रशासन को फटकार लगाई. यह कहते हुए कि यह काफी परेशान करने वाला था. अदालत ने कहा, ‘जब मृतक पीड़ित अस्पताल में काम करने वाली एक डॉक्टर थी, तो यह हैरान करने वाली है कि प्रिंसिपल/अस्पताल ने औपचारिक शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई. हमारे विचार से यह एक गंभीर चूक थी, जिससे संदेह की गुंजाइश बनती है.’
पोस्टमार्टम रिपोर्ट: पीड़िता को दस चोटें, गला घोंटने मौत
इस दौरान व्यापक आक्रोश के बीच ट्रेनी डॉक्टर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भयावह जानकारी का खुलासा हुआ है.
द हिंदू के मुताबिक, रिपोर्ट में 10 चोटों की बात कही गई है, जिसमें योनि, दोनों आंखों और मुंह से खून बहना शामिल है. रिपोर्ट में चेहरे, बाएं पैर, पेट, दाहिने हाथ, होंठ और गर्दन पर चोट का जिक्र है.
9 अगस्त को शाम करीब 4.40 बजे तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, गद्दे पर बालों के कई रेशे थे जो खून से लथपथ थे. सियालदह के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के निर्देश पर की गई जांच के समय पीड़िता की मां और दो गवाह मौजूद थे. मौके पर एक टूटा हुआ चश्मा और एक हेयर क्लिप मिला.
जांच के बाद शव का पोस्टमार्टम किया गया और रिपोर्ट पीड़िता के परिवार के साथ साझा की गई. उसके परिवार के सदस्यों द्वारा दायर याचिका में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी हत्या की गई थी. मौत का कारण गला घोंटना और दम घुटना बताया गया है.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर के विभिन्न हिस्सों पर चोट के निशान और यौन उत्पीड़न के निशान पाए गए.